नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप के मामले में फरार चल रहे वीरेंद्र देव दीक्षित के रोहिणी स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में महिलाओं को अमानवीय स्थिति में रखे जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि महिलाओं का ब्रेन वाश किया गया है. कोई समझदार महिला ऐसी स्थिति में आश्रम में नहीं रह सकती है. कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर अगली सुनवाई 25 अप्रैल को करेगी.
गुरुवार काे सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि आश्रम में रह रही महिलाओं का नग्न परेड कराया जाता था. उन्हें खुले में नहाने के लिए मजबूर किया जाता था. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि वे इस बारे में महिला और बाल विकास विभाग से निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराएंगे. उसके बाद कोर्ट ने 25 अप्रैल तक कोर्ट को सूचित करने का आदेश दिया.
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19 अप्रैल को कोर्ट ने महिलाओं को अमानवीय स्थिति में रखे जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया था. कोर्ट ने कहा था कि वो इस आश्रम को दिल्ली सरकार को टेकओवर करने का आदेश दे सकती है. कोर्ट ने कहा था कि वीरेंद्र देव दीक्षित की अनुपस्थिति में इस आश्रम का संचालन कौन कर रहा है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा था कि बच्चियों के माता-पिता उनसे मिलना चाहते हैं लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा था कि आश्रम का मालिक वीरेंद्र देव दीक्षित है. उसके खिलाफ 10 से ज्यादा केस दर्ज हैं. उसके खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट भी दाखिल की है.
गुरुस्वामी ने दिल्ली महिला आयोग के चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल और वकील नंदिता राव की उस रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि आश्रम में जानवरों जैसे हालात हैं. आश्रम में कई नाबालिग बच्चियां हैं जिन्हें प्रताड़ित किया जाता है. जब हाईकोर्ट को ये बताया गया कि एम्स और इहबास के डॉक्टरों की टीम ने जब आश्रम का दौरा किया था तो सब कुछ सामान्य पाया था. इस पर गुरुस्वामी ने कहा कि एम्स और इहबास के डॉक्टरों से आश्रम में रहनेवालों ने एक सामान्य सा जवाब दिया कि हम सब एक पिता के संतान हैं और हम यहां दुनिया को बचाने के लिए एकत्र हुए हैं. तब कोर्ट ने कहा कि आश्रम में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
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सुनवाई के दौरान जब मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि कोर्ट के सख्त रुख के बाद ऐसी आशंका है कि आश्रम में रह रही महिलाओं और बच्चियों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है. जब कोर्ट ने संबंधित उपायुक्त को निर्देश दिया कि वो ये सुनिश्चित करें कि वहां रह रही महिलाओं और बच्चों को दूसरी जगह शिफ्ट नहीं किया जाए. कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता को आश्रम में रह रही अपनी बेटी से मिलने की अनुमति दी. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वो बच्चियों के मां-बाप की सुरक्षा सुनिश्चित करें और उन्हें अपने बच्चों से मिलवाने का इंतजाम करें.