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26 जुलाई और 9 अगस्त को महिलाएं करेंगी किसान संसद का संचालन

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आंदोलन के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी दी. मीनाक्षी लेखी के बयान पर कहा कि वह सांसद व मंत्री बनने लायक नहीं हैं.

किसान संसद
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Published : Jul 23, 2021, 5:51 PM IST

Updated : Jul 23, 2021, 10:00 PM IST

नई दिल्ली : बीते सात महीनों से भी अधिक समय से किसान केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. किसान नेता सरकार से 11 दौर की वार्ता भी कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है. दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसान संसद को लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने ईटीवी से खास बातचीत की.

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने बताया कि 26 जुलाई और 9 अगस्त को जंतर मंतर पर किसान संसद का संचालन महिलाएं करेंगी. इस दिन कोई पुरुष किसान संसद का हिस्सा नहीं बनेंगे. इसके अलावा संसद की तर्ज पर ही शनिवार और रविवार को किसान संसद का आयोजन भी नहीं होगा.

26 जुलाई और 9 अगस्त को महिलाएं चलाएंगी किसान संसद



ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान युद्धवीर सिंह ने बताया कि 26 जुलाई और 9 अगस्त को सिंघु बॉर्डर से 200 महिलाएं जंतर-मंतर पहुंचेंगी और किसान संसद का संचालन करेंगी. महिलाओं के सहयोग के लिए कुछ पुरुष वॉलिंटियर्स भी मौजूद रहेंगे, लेकिन कोई पुरुष किसान संसद का हिस्सा नहीं बनेगा. यह सिलसिला 13 अगस्त तक चलेगा. हर दिन सिंघु बॉर्डर से 200 की संख्या में किसान आएंगे और कृषि बिलों पर यहां चर्चा की जाएगी.

ये भी पढ़ें- संसद प्रदर्शन: ट्रैक्टर नहीं DTC बसों से संसद जाएंगे किसान, टिकट भी लेंगे- टिकैत


युद्धवीर सिंह ने कहा कि लोग पूछते हैं कि किसान संसद से सरकार पर कितना दबाव बनेगा. यह कहना चाहता हूं कि शर्मसार इंसानों पर दबाव बनता है. सरकार के ऊपर तो सत्ता का नशा छाया हुआ है. उन पर क्या दबाव बनेगा. किसान नेताओं की जड़ हैं और किसानों के दम पर ही, इनकी सरकार बनी है, लेकिन सरकार इन जड़ों को ही काट रही है. ऐसा मूर्ख तो बस कालिदास हुआ था. अपनी आवाज को दिल्ली की संसद तक पहुंचाने के लिए आए हैं. इस आवाज को देश की आम जनता तक पहुंचाने के लिए आए हैं. आम लोगों के बीच सरकार यह भ्रम फैला रही है कि किसान अपनी बातों को सही से रख नहीं पा रहे हैं. उन सभी बिंदुओं पर, यहां किसान संसद में चर्चा की जा रही है, ताकि देश की आम जनता को यह पता चल सके कि तीन नए कृषि कानूनों में कितनी खामियां हैं.


सरकार के साथ वार्ता से जुड़े सवाल के जवाब में युद्धवीर सिंह ने कहा कि वार्ता कभी शर्तों के साथ नहीं होती. कृषि मंत्री कहते हैं कि बात कर लेते हैं, लेकिन कृषि कानून वापस नहीं होगा. उसमें संशोधन किए जाएंगे. कृषि मंत्री को यह बताना चाहता हूं कि अगर कृषि मंत्री को किसानों से बात करनी है, तो उन्हें यह कंडीशन हटानी होगी. कृषि मंत्री यह कहें कि खुले मन से बात करेंगे. कृषि कानून अगर वापस लेने लायक होंगे, तो उन्हें वापस लेंगे. सरकार खुले मन से बात करें, तो देश का किसान बात करने के लिए तैयार है.

ये भी पढ़ें- किसान संसद पर बोले राकेश टिकैत, सरकार को माननी होगी मांग

किसान आंदोलन से जुड़े सवाल के जवाब में युद्धवीर सिंह ने कहा कि सरकार का रवैया देखकर लगता है कि किसान आंदोलन वर्षों तक चलेगा. किसान भी बगैर किसी निर्णय के वापस नहीं लौटेगा. अब कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है. यह कानून वापस होंगे या हम बॉर्डर पर ही बैठे रहेंगे. अब तो कई बॉर्डर पर पक्के मकान बनना भी शुरू हो गए हैं. किसान बॉर्डर पर ही रहेगा और आखिरी दम तक लड़ेगा. सरकार, जितना किसानों का उत्पीड़न करेगी, किसान उतनी मजबूती से प्रदर्शन करेगा.

केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी के किसानों पर दिए गए बयान से जुड़े सवाल के जवाब में युद्धवीर सिंह ने कहा कि मीनाक्षी लेखी का किसानों पर बयान उनके स्तर को दर्शाता है. देश की जनता के सामने, उन्होंने यह उजागर कर दिया है कि वह सांसद और मंत्री बनने के लायक नहीं हैं. देश के अन्नदाताओं को मीनाक्षी लेखी ने मवाली कहा है. भारतीय जनता पार्टी को इस नेता के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए. किसान समुदाय के लिए, इतने घटिया शब्द का इस्तेमाल, आज तक किसी ने नहीं किया.

नई दिल्ली : बीते सात महीनों से भी अधिक समय से किसान केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. किसान नेता सरकार से 11 दौर की वार्ता भी कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है. दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसान संसद को लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने ईटीवी से खास बातचीत की.

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने बताया कि 26 जुलाई और 9 अगस्त को जंतर मंतर पर किसान संसद का संचालन महिलाएं करेंगी. इस दिन कोई पुरुष किसान संसद का हिस्सा नहीं बनेंगे. इसके अलावा संसद की तर्ज पर ही शनिवार और रविवार को किसान संसद का आयोजन भी नहीं होगा.

26 जुलाई और 9 अगस्त को महिलाएं चलाएंगी किसान संसद



ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान युद्धवीर सिंह ने बताया कि 26 जुलाई और 9 अगस्त को सिंघु बॉर्डर से 200 महिलाएं जंतर-मंतर पहुंचेंगी और किसान संसद का संचालन करेंगी. महिलाओं के सहयोग के लिए कुछ पुरुष वॉलिंटियर्स भी मौजूद रहेंगे, लेकिन कोई पुरुष किसान संसद का हिस्सा नहीं बनेगा. यह सिलसिला 13 अगस्त तक चलेगा. हर दिन सिंघु बॉर्डर से 200 की संख्या में किसान आएंगे और कृषि बिलों पर यहां चर्चा की जाएगी.

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युद्धवीर सिंह ने कहा कि लोग पूछते हैं कि किसान संसद से सरकार पर कितना दबाव बनेगा. यह कहना चाहता हूं कि शर्मसार इंसानों पर दबाव बनता है. सरकार के ऊपर तो सत्ता का नशा छाया हुआ है. उन पर क्या दबाव बनेगा. किसान नेताओं की जड़ हैं और किसानों के दम पर ही, इनकी सरकार बनी है, लेकिन सरकार इन जड़ों को ही काट रही है. ऐसा मूर्ख तो बस कालिदास हुआ था. अपनी आवाज को दिल्ली की संसद तक पहुंचाने के लिए आए हैं. इस आवाज को देश की आम जनता तक पहुंचाने के लिए आए हैं. आम लोगों के बीच सरकार यह भ्रम फैला रही है कि किसान अपनी बातों को सही से रख नहीं पा रहे हैं. उन सभी बिंदुओं पर, यहां किसान संसद में चर्चा की जा रही है, ताकि देश की आम जनता को यह पता चल सके कि तीन नए कृषि कानूनों में कितनी खामियां हैं.


सरकार के साथ वार्ता से जुड़े सवाल के जवाब में युद्धवीर सिंह ने कहा कि वार्ता कभी शर्तों के साथ नहीं होती. कृषि मंत्री कहते हैं कि बात कर लेते हैं, लेकिन कृषि कानून वापस नहीं होगा. उसमें संशोधन किए जाएंगे. कृषि मंत्री को यह बताना चाहता हूं कि अगर कृषि मंत्री को किसानों से बात करनी है, तो उन्हें यह कंडीशन हटानी होगी. कृषि मंत्री यह कहें कि खुले मन से बात करेंगे. कृषि कानून अगर वापस लेने लायक होंगे, तो उन्हें वापस लेंगे. सरकार खुले मन से बात करें, तो देश का किसान बात करने के लिए तैयार है.

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किसान आंदोलन से जुड़े सवाल के जवाब में युद्धवीर सिंह ने कहा कि सरकार का रवैया देखकर लगता है कि किसान आंदोलन वर्षों तक चलेगा. किसान भी बगैर किसी निर्णय के वापस नहीं लौटेगा. अब कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है. यह कानून वापस होंगे या हम बॉर्डर पर ही बैठे रहेंगे. अब तो कई बॉर्डर पर पक्के मकान बनना भी शुरू हो गए हैं. किसान बॉर्डर पर ही रहेगा और आखिरी दम तक लड़ेगा. सरकार, जितना किसानों का उत्पीड़न करेगी, किसान उतनी मजबूती से प्रदर्शन करेगा.

केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी के किसानों पर दिए गए बयान से जुड़े सवाल के जवाब में युद्धवीर सिंह ने कहा कि मीनाक्षी लेखी का किसानों पर बयान उनके स्तर को दर्शाता है. देश की जनता के सामने, उन्होंने यह उजागर कर दिया है कि वह सांसद और मंत्री बनने के लायक नहीं हैं. देश के अन्नदाताओं को मीनाक्षी लेखी ने मवाली कहा है. भारतीय जनता पार्टी को इस नेता के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए. किसान समुदाय के लिए, इतने घटिया शब्द का इस्तेमाल, आज तक किसी ने नहीं किया.

Last Updated : Jul 23, 2021, 10:00 PM IST
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