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उर्दू के नामवर शायर गुलजार दहलवी का 93 वर्ष की आयु में निधन - Gulzar Dehlavi

गुलजार देहलवी का आज 93 वर्ष की आयु में अपने निवास नोएडा में निधन हो गया. जिसके बाद उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ पड़ी.

Urdu poet Gulzar Dehlavi died at the age of 93 in noida
Urdu poet Gulzar Dehlavi died at the age of 93 in noida
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Published : Jun 12, 2020, 9:38 PM IST

नई दिल्ली: उर्दू के प्रसिद्ध शायर पंडित आनंद मोहन जुतशी गुलजार देहलवी का आज 93 वर्ष की आयु में अपने निवास नोएडा में निधन हो गया. वो पिछले दिनों कोरोना से जंग जीत कर अपने घर लौटे थे. गुलज़ार देहलवी का जन्म 7 जुलाई 1926 को पुरानी दिल्ली की गली काश्मीरीयान में हुआ था. वो कई सालों से उर्दू साइंस की दुनिया के एडिटर रहे. वही अंजुमन तामीर उर्दू के नाम से एक संस्था की भी बुनियाद रखी जिसे उन्होंने अखिरी समय तक चलाया

गुलजार दहलवी का हुआ निधन

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उनके निधन की खबर जैसे ही आई सोशल मीडिया पर उनके चाहने वालो ने उन्हें श्रद्धांजलि देनी शुरू कर दिया. एक फेसबुक यूजर ने लिखा उर्दू तहजीब के रोशन मीनार पंडित आनंद मोहन जुतशी गुलजार देहलवी का निधन एक युग का अंत है. वहीं एक और युजर ने लिखा गुलज़ार देहलवी हमारे दरमियान नहीं रहे और इसी के साथ ही देहलवी तहजीब का आखिरी चिराग गुल हो गया.

गुलजार देहलवी को उर्दू और फारसी जबान पर मलका हासिल था. उनका निधन पुरानी दिल्ली वालों और उर्दू वालों के साथ उर्दू शायरी के लिए बड़ा नुकसान है.

नई दिल्ली: उर्दू के प्रसिद्ध शायर पंडित आनंद मोहन जुतशी गुलजार देहलवी का आज 93 वर्ष की आयु में अपने निवास नोएडा में निधन हो गया. वो पिछले दिनों कोरोना से जंग जीत कर अपने घर लौटे थे. गुलज़ार देहलवी का जन्म 7 जुलाई 1926 को पुरानी दिल्ली की गली काश्मीरीयान में हुआ था. वो कई सालों से उर्दू साइंस की दुनिया के एडिटर रहे. वही अंजुमन तामीर उर्दू के नाम से एक संस्था की भी बुनियाद रखी जिसे उन्होंने अखिरी समय तक चलाया

गुलजार दहलवी का हुआ निधन

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उनके निधन की खबर जैसे ही आई सोशल मीडिया पर उनके चाहने वालो ने उन्हें श्रद्धांजलि देनी शुरू कर दिया. एक फेसबुक यूजर ने लिखा उर्दू तहजीब के रोशन मीनार पंडित आनंद मोहन जुतशी गुलजार देहलवी का निधन एक युग का अंत है. वहीं एक और युजर ने लिखा गुलज़ार देहलवी हमारे दरमियान नहीं रहे और इसी के साथ ही देहलवी तहजीब का आखिरी चिराग गुल हो गया.

गुलजार देहलवी को उर्दू और फारसी जबान पर मलका हासिल था. उनका निधन पुरानी दिल्ली वालों और उर्दू वालों के साथ उर्दू शायरी के लिए बड़ा नुकसान है.

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