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जागरूकता अभियान से सितम्बर में अस्पताल पहुंचे दो तिहाई दर्द के मरीज

मैक्स अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ आमोद मनोचा बताते हैं कि लगातार दर्द का रहना इंसान को चिड़चिड़ा बना देता है और अवसाद ग्रस्त कर देता है.

Two-thirds of pain patients reached hospital by awareness campaign in September
जागरूकता अभियान से सितम्बर में अस्पताल पहुंचे दो तिहाई दर्द के मरीज
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Published : Oct 2, 2020, 3:11 AM IST

नई दिल्ली: देश में शुगर, कैंसर और दिल की बीमारियों के जितने मरीज हैं उन सबके योग से भी ज्यादा मरीज अकेले दर्द के हैं. देश में अभी तक इसे किसी बीमारी के तौर पर नहीं देखा जाता है लेकिन दुनियाभर में इसे बीमारी मानकर लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए सितंबर के महीने को पेन अवेयरनेस महीने के तौर पर मनाया जाता है.

अस्पताल पहुंचे दो तिहाई दर्द के मरीज
'अवसाद ग्रस्त कर देता है दर्द'

जीवन में कई बार ऐसा भी होता है कि चोट के इलाज के बाद भी दर्द रह जाता है या बढ़ती उम्र में पीठ दर्द, कमर दर्द या जोड़ों का दर्द होने लगता है. अक्सर लोग इसी को नियति मान कर दर्द के साथ ही जीने लगते हैं. ऐसा करना आपकी जिंदगी को काफी नुकसान पहुंचा सकता है. मैक्स अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ आमोद मनोचा बताते हैं कि लगातार दर्द का रहना इंसान को चिड़चिड़ा बना देता है और अवसाद ग्रस्त कर देता है.


सितंबर में आए दो तिहाई मरीज

डॉ बताते हैं कि अब तकनीक की मदद से दर्द का इलाज काफी हद तक संभव है. घुटने और जोड़ों के दर्द का भी बिना ऑपरेशन और बिना चिरा लगाए भी इलाज संभव है. भारत में इसे लेकर जानकारी का आभाव है इसलिए सितंबर महीने उन्होंने सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर जागरूकता फैलाने की काफी कोशिश की. जिसका नतीजा है कि लॉकडाउन खुलने के तीसरे महीने में ही सामान्य दिनों के मुकाबले दो तिहाई मरीज आने लग गए.

नई दिल्ली: देश में शुगर, कैंसर और दिल की बीमारियों के जितने मरीज हैं उन सबके योग से भी ज्यादा मरीज अकेले दर्द के हैं. देश में अभी तक इसे किसी बीमारी के तौर पर नहीं देखा जाता है लेकिन दुनियाभर में इसे बीमारी मानकर लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए सितंबर के महीने को पेन अवेयरनेस महीने के तौर पर मनाया जाता है.

अस्पताल पहुंचे दो तिहाई दर्द के मरीज
'अवसाद ग्रस्त कर देता है दर्द'

जीवन में कई बार ऐसा भी होता है कि चोट के इलाज के बाद भी दर्द रह जाता है या बढ़ती उम्र में पीठ दर्द, कमर दर्द या जोड़ों का दर्द होने लगता है. अक्सर लोग इसी को नियति मान कर दर्द के साथ ही जीने लगते हैं. ऐसा करना आपकी जिंदगी को काफी नुकसान पहुंचा सकता है. मैक्स अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ आमोद मनोचा बताते हैं कि लगातार दर्द का रहना इंसान को चिड़चिड़ा बना देता है और अवसाद ग्रस्त कर देता है.


सितंबर में आए दो तिहाई मरीज

डॉ बताते हैं कि अब तकनीक की मदद से दर्द का इलाज काफी हद तक संभव है. घुटने और जोड़ों के दर्द का भी बिना ऑपरेशन और बिना चिरा लगाए भी इलाज संभव है. भारत में इसे लेकर जानकारी का आभाव है इसलिए सितंबर महीने उन्होंने सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर जागरूकता फैलाने की काफी कोशिश की. जिसका नतीजा है कि लॉकडाउन खुलने के तीसरे महीने में ही सामान्य दिनों के मुकाबले दो तिहाई मरीज आने लग गए.

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