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DU: ओपन बुक एग्जामिनेशन के खिलाफ दायर दो नई याचिकाओं पर सुनवाई टली - ओपन बुक एग्जामिनेशन

दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित ऑनलाइन ओपन बुक एग्जामिनेशन के खिलाफ दायर दो नई याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई टाल दी है.

Two new petitions filed against open book examination of Delhi University rejected by high court
DU: ओपन बुक एग्जामिनेशन के खिलाफ दायर दो नई याचिकाओं पर सुनवाई टली
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Published : Aug 6, 2020, 7:16 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित ऑनलाइन ओपन बुक एग्जामिनेशन के खिलाफ दायर दो नई याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी है. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि याचिका में कुछ मांगें यूजीसी से जुड़ी हुई हैं और यूजीसी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है.

दो नई याचिकाओं पर सुनवाई टली

पचास फीसदी अंक इंटरनल असेसमेंट के आधार पर मिले


नई याचिकाएं मनदीप सिंह और अक्षय लाकड़ा ने दायर किया था. याचिका में मांग की गई है कि सभी ईयर के छात्रों को मिलने वाले अंक का पचास फीसदी इंटरनल असेसमेंट के आधार पर जारी किया जाए. बाकी पचास फीसदी अंक पहले वाले सेमेस्टर के आधार पर दिए जाएं. यूजीसी के दिशानिर्देशों के मुताबिक फाईनल ईयर के छात्रों की परीक्षा 30 सितंबर तक पूरी कर ली जाए.

ओपन बुक एग्जामिनेशन को निरस्त करने की मांग


याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से होने वाली ऑनलाइन ओपन बुक एग्जामिनेशन को निरस्त किया जाए. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी ने ओपन बुक एग्जामिनेशन एकेडमिक काउंसिल और एक्जीक्युटिव काउंसिल की सलाह के बिना आयोजित करने का फैसला किया है. याचिका में मांग की गई है कि ओपन बुक एग्जामिनेशन से संबंधित सभी नोटिफिकेशन वापस लिए जाएं.

कोर्ट ने पूछा था-रिजल्ट कब जारी करेंगे


बता दें कि पिछले 5 अगस्त को हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूछा था कि वो 10 अगस्त से शुरु हो रहे ऑनलाइन ओपन बुक एग्जामिनेशन का रिजल्ट कब जारी करेगा. कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया था कि वो दृष्टिबाधित दिव्यांग छात्रों को दो पुस्तकें और कॉमन सर्विस सेंटर पर लेखक उपलब्ध कराने का आदेश दिया.



हाईकोर्ट ने ये आदेश दिए थे


कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को आदेश दिया है कि हर उस दिव्यांग छात्र को कॉमन सर्विस सेंटर पर लेखक जरूर उपलब्ध कराया जाए जिसने इसके लिए विकल्प चुना है. अगर कोई छात्र आंसर शीट दाखिल करने में कामयाब नहीं होता है तो उसे आफलाइन परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी. अगर किसी छात्र ने आंसर शीट दाखिल किया है तो उसे ऑफलाइन परीक्षा में दोबारा बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

हालांकि उन्हें अपने रिजल्ट में सुधार करने के लिए पूरक परीक्षा देने की अनुमति दी जा सकती है. अगर कोई छात्र ओपन बुक एग्जामिनेशन में शामिल होता है और वो दिल्ली यूनिवर्सिटी में पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए आवेदन करता है तो उसे अस्थायी दाखिला दिया जाएगा. ओपन बुक एग्जामिनेशन के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रों को डिजिटल सिग्नेचर के जरिये डिग्री देने पर विचार करेगा.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित ऑनलाइन ओपन बुक एग्जामिनेशन के खिलाफ दायर दो नई याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी है. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि याचिका में कुछ मांगें यूजीसी से जुड़ी हुई हैं और यूजीसी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है.

दो नई याचिकाओं पर सुनवाई टली

पचास फीसदी अंक इंटरनल असेसमेंट के आधार पर मिले


नई याचिकाएं मनदीप सिंह और अक्षय लाकड़ा ने दायर किया था. याचिका में मांग की गई है कि सभी ईयर के छात्रों को मिलने वाले अंक का पचास फीसदी इंटरनल असेसमेंट के आधार पर जारी किया जाए. बाकी पचास फीसदी अंक पहले वाले सेमेस्टर के आधार पर दिए जाएं. यूजीसी के दिशानिर्देशों के मुताबिक फाईनल ईयर के छात्रों की परीक्षा 30 सितंबर तक पूरी कर ली जाए.

ओपन बुक एग्जामिनेशन को निरस्त करने की मांग


याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से होने वाली ऑनलाइन ओपन बुक एग्जामिनेशन को निरस्त किया जाए. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी ने ओपन बुक एग्जामिनेशन एकेडमिक काउंसिल और एक्जीक्युटिव काउंसिल की सलाह के बिना आयोजित करने का फैसला किया है. याचिका में मांग की गई है कि ओपन बुक एग्जामिनेशन से संबंधित सभी नोटिफिकेशन वापस लिए जाएं.

कोर्ट ने पूछा था-रिजल्ट कब जारी करेंगे


बता दें कि पिछले 5 अगस्त को हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूछा था कि वो 10 अगस्त से शुरु हो रहे ऑनलाइन ओपन बुक एग्जामिनेशन का रिजल्ट कब जारी करेगा. कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया था कि वो दृष्टिबाधित दिव्यांग छात्रों को दो पुस्तकें और कॉमन सर्विस सेंटर पर लेखक उपलब्ध कराने का आदेश दिया.



हाईकोर्ट ने ये आदेश दिए थे


कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को आदेश दिया है कि हर उस दिव्यांग छात्र को कॉमन सर्विस सेंटर पर लेखक जरूर उपलब्ध कराया जाए जिसने इसके लिए विकल्प चुना है. अगर कोई छात्र आंसर शीट दाखिल करने में कामयाब नहीं होता है तो उसे आफलाइन परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी. अगर किसी छात्र ने आंसर शीट दाखिल किया है तो उसे ऑफलाइन परीक्षा में दोबारा बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

हालांकि उन्हें अपने रिजल्ट में सुधार करने के लिए पूरक परीक्षा देने की अनुमति दी जा सकती है. अगर कोई छात्र ओपन बुक एग्जामिनेशन में शामिल होता है और वो दिल्ली यूनिवर्सिटी में पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए आवेदन करता है तो उसे अस्थायी दाखिला दिया जाएगा. ओपन बुक एग्जामिनेशन के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रों को डिजिटल सिग्नेचर के जरिये डिग्री देने पर विचार करेगा.

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