नई दिल्ली: नवरात्रि का आज पांचवा दिन है. आज मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है, मां स्कंदमाता को वात्सल्य की मूर्ति माना जाता है और मान्यता है कि इनकी पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, साथ ही जिन दंपतियों को संतान नहीं होती वह यदि स्कंदमाता की सच्चे मन से पूजा अर्चना करें तो संतान योग की प्राप्ति होती है.
मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना करने की सही विधि मंत्र आरती क्या है, इसको लेकर ईटीवी भारत में सिद्ध पीठ कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत से बात की. जिन्होंने बताया कि मां स्कंदमाता सिंह पर सवार हैं. उनकी चार भुजाएं हैं और गोद में स्कंद है. इसीलिए इनकी पूजा अर्चना करने से संतान की प्राप्ति भी होती है, उन्होंने बताया कि इनका आसान कमल है इसीलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है.
माता के हाथों में नहीं है कोई अस्त्र शस्त्र
महंत जी ने बताया कि माता के नौ स्वरूपों में से 2 माताएं ऐसी हैं, जिनके हाथ में कोई भी अस्त्र-शस्त्र नहीं है जिसमें पहला ब्रह्मचारिणी और दूसरा स्कंदमाता. माता ब्रह्मचारिणी तपस्विनी है और स्कंदमाता अपने चारों हाथों से श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देती हैं, उनके हाथ में कोई भी अस्त्र-शस्त्र नहीं है. गोद में भगवान स्कंद हैं. इसीलिए पूरे विधि-विधान सच्चे मन से यदि उनकी पूजा-अर्चना की जाए तो संतान की प्राप्ति होती है.