नई दिल्ली: दिल्ली में सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार की जांच करने की बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर आज जांच अधिकारी ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया। कोर्ट ने इस मामले में जांच अधिकारी के ताजा स्टेटस रिपोर्ट पर विचार करने के लिए 6 जनवरी 2022 की तिथि नियत किया.
आज सुनवाई के दौरान मनोज तिवारी कोर्ट में पेश नहीं हुए। मनोज तिवारी की ओर से पेश वकील विजय जोशी ने कहा कि अगर जांच अधिकारी को जरुरत हो तो शिकायतकर्ता जांच में सहयोग करने को तैयार हैं। तब जांच अधिकारी ने कहा कि वे इस मामले में आगे और जांच करना चाहते हैं और सुनवाई की अगली तिथि को विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे.
14 दिसंबर को सुनवाई के दौरान इस मामले का जांच अधिकारी कोर्ट के समक्ष पेश नहीं हुआ और न ही स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई. उसके बाद कोर्ट ने जांच अधिकारी को स्टेटस रिपोर्ट के साथ पेश होने का आदेश दिया था. 2 दिसंबर को कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. 15 नवंबर को एसीबी की ओर से वकील विजय जोशी ने कहा था कि स्टेटस रिपोर्ट में सतर्कता महानिदेशक की ओर से शिकायतकर्ता मनोज तिवारी से शिकायतों को कुछ स्पष्टीकरण मांगे गए हैं. उन्होंने शिकायतकर्ता से स्पष्टीकरण प्राप्त होने के बाद आगे दूसरी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने की बात कही थी.
9 अक्टूबर को कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. एसीबी के जांच अधिकारी बृजेश मिश्रा ने स्टेटस रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था कि इस शिकायत पर जांच शुरु करने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है. जांच अधिकारी ने कहा था कि वो अनुमति लेने की प्रक्रिया में तेजी लाएगा.
मनोज तिवारी ने शिकायत की है कि उन्होंने केंद्र सरकार के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली में सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में पीडब्डल्यूडी विभाग की ओर से फर्जीवाड़ा किया गया है.
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ये सात अस्पताल शालीमार बाग, किराड़ी, सुल्तानपुरी, चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय, जीटीबी , सरिता विहार और रघुबीर नगर में स्थित हैं. इन अस्थायी अस्पतालों के निर्माण के लिए एक ही कंपनी सैम इंडिया बिल्डवेल प्राईवेट लिमिटेड को ठेका देने में पक्षपात किया गया. इस कंपनी को 1256 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया जबकि इन अस्पतालों को बनाने में अनुमानित लागत 1216 करोड़ रुपये थी। ये भी ठेका बिना दिल्ली सरकार की अनुमति के एक ही दिन में दे दिया गया.
मनोज तिवारी ने अपनी शिकायत में कहा है कि दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येन्द्र जैन, पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियर इन चीफ शशिकांत, पीडब्ल्यूडी विभाग के चीफ इंजीनियर संजीव रस्तोगी की भूमिका की जांच हो.
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शिकायत में कहा गया है कि शशिकांत ने अपने रिटायर होने की तिथि 31 अगस्त को अस्थायी अस्पताल के निर्माण के लिए सैम बिल्डवेल के नाम से 1256 करोड़ रुपये के तीन टेंडर स्वीकृत किए. इन अस्पतालों की टेंडर राशि को संजीव रस्तोगी ने यह कहकर बढ़ा दिया कि स्ट्रक्चरल ट्यूब की कीमत 79 हजार रुपये प्रति टन हो गया है, जबकि इसकी कीमत 52,625 रुपये प्रति टन थी.