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मंदी की चपेट में 'गणपति बाप्पा'! गणेश चतुर्थी पर मूर्ति बाजार ठंडा, बिक्री में भारी गिरावट

दिल्ली में इसबार गणेश चतुर्थी पर मूर्ती बाजार सुस्त दिख रहा है. व्यापारियों का कहना है कि मंहगाई और विसर्जन पर रोक से ऐसे हालात बने.

गणेश चतुर्थी पर मूर्ती बाजार सुस्त etv bharat
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Published : Sep 2, 2019, 11:16 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में गणेश चतुर्थी के मद्देनजर बाजार सजते हैं और लोगों में एक उत्साह का माहौल रहता है. वहीं मूर्तियों का व्यापार भी भारी मात्रा में किया जाता है. लेकिन इस गणेश चतुर्थी बाजार ठंडा पड़ा है.

गणेश चतुर्थी पर मूर्ती बाजार सुस्त

महंगाई और आर्थिक मंदी कारण
मूर्तिकार भी इस बार गणेश चतुर्थी पर मायूस और सुस्त दिख रहे हैं. जिसका कारण महंगाई और आर्थिक मंदी के चलते ब्रिक्री भी कम हो रही है.

मूर्तियों की बिक्री में भारी गिरावट
इस दिन गणेश जी के भक्तगण गणेश जी की मूर्ति व प्रतिमा को अपने घर में स्थापित करते हैं. 11 दिन पूजा-अर्चना के बाद उनका विसर्जन किया जाता है. ऐसे में यह त्योहार पूरे देश समेत राजधानी दिल्ली में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार गणेश चतुर्थी पर भक्तजनों समेत मूर्तिकार भी सुस्त दिख रहे हैं. जिसका कारण मूर्तिकार महंगाई और आर्थिक मंदी मान रहे हैं. पश्चिमी दिल्ली के विकासपुरी इलाके में कुछ ऐसे ही मूर्तिकारों से बातचीत की जिन्होंने पिछले कई सालों की अपेक्षा इस साल मूर्तियों की बिक्री में भारी गिरावट बताई.

इन मूर्तियों की कीमत ₹100 से लेकर कई हजार रुपए होती है. लोग बड़े ही श्रद्धा भक्ति से गणपति बप्पा की मूर्तियों को खरीद कर अपने घर ले जाते थे लेकिन इस बार बिक्री की तादात ना के बराबर होने के कारण मूर्तिकार व मूर्ति विक्रेता बहुत मायूस दिख रहे हैं.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में गणेश चतुर्थी के मद्देनजर बाजार सजते हैं और लोगों में एक उत्साह का माहौल रहता है. वहीं मूर्तियों का व्यापार भी भारी मात्रा में किया जाता है. लेकिन इस गणेश चतुर्थी बाजार ठंडा पड़ा है.

गणेश चतुर्थी पर मूर्ती बाजार सुस्त

महंगाई और आर्थिक मंदी कारण
मूर्तिकार भी इस बार गणेश चतुर्थी पर मायूस और सुस्त दिख रहे हैं. जिसका कारण महंगाई और आर्थिक मंदी के चलते ब्रिक्री भी कम हो रही है.

मूर्तियों की बिक्री में भारी गिरावट
इस दिन गणेश जी के भक्तगण गणेश जी की मूर्ति व प्रतिमा को अपने घर में स्थापित करते हैं. 11 दिन पूजा-अर्चना के बाद उनका विसर्जन किया जाता है. ऐसे में यह त्योहार पूरे देश समेत राजधानी दिल्ली में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार गणेश चतुर्थी पर भक्तजनों समेत मूर्तिकार भी सुस्त दिख रहे हैं. जिसका कारण मूर्तिकार महंगाई और आर्थिक मंदी मान रहे हैं. पश्चिमी दिल्ली के विकासपुरी इलाके में कुछ ऐसे ही मूर्तिकारों से बातचीत की जिन्होंने पिछले कई सालों की अपेक्षा इस साल मूर्तियों की बिक्री में भारी गिरावट बताई.

इन मूर्तियों की कीमत ₹100 से लेकर कई हजार रुपए होती है. लोग बड़े ही श्रद्धा भक्ति से गणपति बप्पा की मूर्तियों को खरीद कर अपने घर ले जाते थे लेकिन इस बार बिक्री की तादात ना के बराबर होने के कारण मूर्तिकार व मूर्ति विक्रेता बहुत मायूस दिख रहे हैं.

Intro:लोकेशन--दिल्ली/विकास पूरी
स्लग--गणेश चतुर्थी ,
रिपोर्ट--ओपी शुक्ला

पश्चिमी दिल्ली:- राजधानी दिल्ली में गणेश चतुर्थी के उपलक्ष में जहां बाजार सजते है और लोगों में एक उत्साह का माहौल रहता है । वही गणेश जी की मूर्तियां भी भारी तादाद में बाजारों में बेची जाती है । लेकिन इस गणेश चतुर्थी पर महगाई के चलते जैसे माहौल ठंडा से हो गया हो ।और मूर्तिकार भी इस बार गणेश चतुर्थी पर मायूस और सुस्त दिख रहे हैं । जिसका कारण महंगाई और आर्थिक मंदी के चलते ब्रिक्री भी कम हो रही है ।
Body:कहते हैं विघ्न हरण मंगल करण श्री गणेश जी को घर लाने से सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। और घर में सुख समृद्धि का वास होता है । गणेश जी का पवित्र और विशाल त्योहार गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गणेश जी के भक्तगण गणेश जी की मूर्ति व प्रतिमा को अपने घर में स्थापित करते हैं । और 11 दिन के पूजा-अर्चना के बाद उनका विसर्जन किया जाता है । ऐसे में यह त्यौहार पूरे देश समेत राजधानी दिल्ली में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है । जहां राजधानी दिल्ली में भी इस अवसर पर गणेश जी की भारी तादाद में मूर्तिकार मूर्तियां बनाते हैं और बाजार में इनकी अत्यधिक बिक्री होती है। लेकिन इस बार गणेश चतुर्थी पर भक्तजनों समेत मूर्तिकार भी सुस्त दिख रहे है। जिसका कारण मूर्तिकार महंगाई और आर्थिक मंदी मान रहे हैं। जहां पश्चिमी दिल्ली के विकासपुरी इलाके में कुछ ऐसे ही मूर्तिकारों से बातचीत की जिन्होंने पिछले कई सालों की अपेक्षा इस साल मूर्तियों की बिक्री में भारी गिरावट बताई । जहां इन मूर्तियों की कीमत ₹100 से लेकर कई हजार रुपए होती है। और लोग बड़े ही श्रद्धा भक्ति से गणपति बप्पा की मूर्तियों को खरीद कर अपने घर ले जाते थे। लेकिन इस बार बिक्री की तादात ना के बराबर होने के कारण मूर्तिकार व मूर्ति विक्रेता काफी सुस्त और मायूस दिख रहे है।Conclusion:बाईट--कन्हैया , दुकानदार
बाईट--राजू, दुकानदार

फिलहाल मार्केट की स्थिति कुछ भी हो भक्तगण गणपति बप्पा का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाएंगे जिससे उनके विघ्न और संकट खत्म हो व आर्थिक मंदी से उन्हें मुक्ति मिल सके ।


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