नई दिल्ली: एक सितंबर से लागू हुए नए मोटर व्हीकल एक्ट के बाद सड़क हादसों में भी काफी कमी देखी गई है. जिसके लिए ट्रैफिक पुलिस और सरकार दशकों से प्रयास कर रही थी. केवल सितंबर माह की बात करें तो वर्ष 2018 के मुकाबले इस वर्ष सड़क हादसों में 100 से ज्यादा लोगों की जान बची है.
'आंकड़ा और नीचे जाएगा'
वर्ष 2018 के सितंबर माह में सड़क हादसों में जहां 236 लोगों की मौत हुई थी, वहीं सितंबर 2019 में 92 लोग सड़क हादसों में मारे गए हैं. ट्रैफिक पुलिस का मानना है कि आने वाले समय में यह आंकड़ा और नीचे जाएगा.
जानकारी के अनुसार राजधानी सहित देशभर में सड़क हादसों में मरने वाले लोगों को बचाने के लिए गंभीरता से काम चल रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए ही मोटर व्हीकल एक्ट में संसोधन किया गया है.
इस संसोधन के बाद से ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर चालान की राशि 10 से 20 गुना तक बढ़ गई है. इसके बाद से लोगों में जिस प्रकार का सुधार देखने को मिल रहा है, वह अभूतपूर्व है. आंकड़े बता रहे हैं कि केंद्र सरकार और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की मेहनत अब रंग दिखाने लगी है.
पहले माह में दिखा असर, 55 फीसदी कम हुई मौत
नए मोटर व्हीकल एक्ट एक सितंबर से लागू होने के बाद परिणाम बेहद सकारात्मक आये हैं. ट्रैफिक पुलिस से मिले आंकड़ों के अनुसार बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष के सितंबर माह में सड़क हादसों में 142 लोगों की कम मौत हुई है.
ट्रैफिक पुलिस के संयुक्त आयुक्त एनएस बुंदेला का कहना है कि अभी आंकड़ों को लेकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा, लेकिन यह साफ है कि बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सड़क हादसे में होने वाली मौत में कमी आई है. उन्होंने कहा कि जहां तक नए एमवी एक्ट के असर की बात है, तो इसे लेकर अभी आंकलन किया जा रहा है.
चालान में 67 फीसदी की कमी आई
ट्रैफिक पुलिस के संयुक्त आयुक्त एनएस बुंदेला ने बताया कि नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद से पुलिस इसके बारे में लोगों को लगातार जागरूक कर रही है. चालान की राशि काफी ज्यादा हो गई है. फिलहाल सभी चालान अदालत भेजे जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन से पहले जहां रोजाना औसतन 20 हजार चालान होते थे, वहीं अब रोजाना औसतन 7000 चालान हो रहे हैं.
इन वजहों से होते हैं ज्यादा सड़क हादसे
ट्रैफिक पुलिस के अनुसार बीते वर्ष सड़क हादसों के कारणों को लेकर ट्रैफिक पुलिस ने जानकारी जुटाई. इस दौरान हादसों के कई कारण सामने आए. इनमें गाड़ियों की संख्या बढ़ना, पैदल लोगों के लिए बेहतर सुविधा का नहीं होना, राजधानी में कई जगह पर अंधेरा होना, एक ही रास्ते पर विभिन्न तरह की गाड़ियों का चलना, सड़क की इंजीनियरिंग में खामी होना, तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना, शराब पीकर गाड़ी चलाना शामिल हैं.
ट्रैफिक पुलिस ने किया यह काम
ट्रैफिक पुलिस के अनुसार उन्होंने सबसे पहले ऐसे हॉटस्पॉट को चिन्हित किया, जहां ज्यादा सड़क हादसे होते हैं. इसके साथ ही संबंधित विभाग को लिखकर ऐसी जगहों पर गति सीमा को कम करवाया. इसके लिए ब्रेकर बनाने के साथ ही अन्य उपाय भी करवाए गए. ट्रैफिक पुलिस शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है.
खासतौर से वीकेंड पर ट्रैफिक पुलिस ड्राइव चलाती है. कई बार रोड इंजीनियरिंग में समस्या की वजह से भी सड़क हादसे होते हैं. ऐसी जगहों को चिन्हित कर वहां उसे संबंधित एजेंसी की मदद से ठीक करवाया जा रहा है.
सड़क हादसों में मारे गए लोग
- 2016- 1548
- 2017- 1565
- 2018- 1657
- 2018- 1241
- 2019- 1041(2 अक्टूबर तक)