नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की तरफ से मजदूरों के नाम रजिस्टर्ड कराने के लिए कैंपेन चलाया गया. नाम दर्ज कराने के लिए श्रम मंत्री के प्रतिनिधि जगह-जगह घूम कर रजिस्ट्रेशन केंद्रों पर पहुंचकर हालात का जायजा ले रहे हैं.
वहीं श्रम मंत्री के प्रतिनिधि और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता बुराड़ी विधानसभा में दिल्ली सरकार के स्कूल में पहुंचे, जहां पर मजदूरों का नाम रजिस्टर करने की प्रक्रिया चल रही थी. इस दौरान इन्हें मजदूरों के विरोध का सामना भी करना पड़ा और लोगों को समझाकर शांत किया गया.
ईटीवी भारत के सामने छलका मजदूरों का दर्द
ईटीवी भारत की टीम को नाम दर्ज कराने आए मजदूरों ने बताया कि वह लोग अपना काम छोड़कर कई-कई दिनों से यहां पर लाइन में लगे हुए हैं. नाम दर्ज कराने के लिए रात भर स्कूल में आकर पड़े रहते हैं कि किसी तरह दिल्ली सरकार के खाते में नाम जुड़ जाए, लेकिन कभी सर्वर डाउन तो कभी सिस्टम फैलियर के कारण मजदूरों के नाम भी दर्ज नहीं हो पा रहे हैं. जिसके लिए मजदूरों ने श्रम मंत्री के प्रतिनिधि के सामने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि यह लोग अपने ही जानकारों के नाम रजिस्टर्ड करा रहे हैं.
जबकि आम लोगों को नाम दर्ज कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों को टोकन भी मिले हुए हैं और नाम भी एक दिन में 20 से 25 ही दर्ज किए जा रहे हैं, उसके बावजूद भी लोगों का नाम दर्ज नहीं हो रहा है.
नाम दर्ज होने से मिलेगी सुविधाएं
दिल्ली सरकार के लेबर खाते में नाम दर्ज कराने आए लोगों ने बताया कि लोगों को कई-कई घंटों पहले अपना काम छोड़कर लाइन में लगना पड़ता है, तब जाकर उन्हें कहीं टोकन मिलता है और उसके बाद भी नाम दर्ज नहीं होते है. नाम दर्ज होने पर ही दिल्ली सरकार की तरफ से सुविधाएं मिलेंगी, जैसे कोरोना काल में रजिस्टर्ड मजदूरों को दिल्ली सरकार के श्रम मंत्रालय ने पांच हजार रुपये उनके खातों में दिए गए थे.
दिल्ली सरकार की तरफ से तभी फायदा मिलेगा, जब उनके खाते में नाम दर्ज होगा. एक शख्स ने बताया कि आने वाले समय में बच्चों की पढ़ाई में भी दिल्ली सरकार की तरफ से छूट दी जाएगी, जिसका फायदा मजदूरों को आने वाले समय में मिलेगा, लेकिन इसके लिए लोग नाम दर्ज कराने के लिए लोग मारामारी करने को मजबूर हैं.
दिल्ली में 40 हजार रजिस्टर्ड मजदूर हैं
आप कार्यकर्ता सनी उपाध्याय और श्रम मंत्री के प्रतिनिधि नवीन कौशिक ने बताया कि दिल्ली में फिलहाल चालीस हजार रजिस्टर्ड मजदूर हैं और अब करीब 15 दिन नाम रजिस्टर करने के कैंपेन चलाने के बाद सही आकलन हो पाएगा कि दिल्ली में कितने और मजदूरों के नाम रजिस्टर्ड हुए हैं. जिन चालीस हजार मजदूरों के नाम पहले रजिस्टर्ड थे, दिल्ली सरकार की तरफ से उन्हें कोरोना महामारी के दौरान पांच हजार रुपये दिए गए, जिससे लोगों के सामने आर्थिक संकट न खड़ा हो और परिवार का भरण पोषण इस मुश्किल घड़ी में आसानी से चल सके. 'आप' कार्यकर्ता ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली थी कि कई जगह काम धीरे चल रहा है, जिसके लिए वह आज बुराड़ी विधानसभा के रजिस्ट्रेशन केंद्र पर पहुंचे. जहां पर लोगों ने उन्हें अपनी समस्या बताई और कहा कि सभी लोगों के नाम दर्ज किए जाएंगे, बाकी यदि कोई व्यक्ति बचेगा तो उसके लिए आगे और भी समय अवधि बढ़ाई जाएगी.
नाम दर्ज होने से पता चलेगा कितने रजिस्टर्ड मजदूर हैं
रजिस्ट्रेशन केंद्र पर नाम दर्ज कराने के लिए आए मजदूरों का कहना है कि आज अंतिम दिन है और नहीं लगता कि सारे मजदूरों के नाम दर्ज हो जाएंगे. दिल्ली में कितने मजदूर हैं, इसका आकलन भी तभी होगा जब सभी के नाम दर्ज होंगे. आने वाले समय में दिल्ली सरकार की तरफ से क्या-क्या फायदा लोगों को मिलेगा यह तो समय ही बताएगा. यदि आज अंतिम दिन भी सभी लोगों के नाम दर्ज नहीं होते, तो ये लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि आने वाले समय में इसकी समयावधि बढ़ाई जाए, जिससे दिल्ली में रहने वाले मजदूर और गरीब तबके के लोग दिल्ली सरकार के श्रम मंत्रालय के खाते में अपना नाम भी दर्ज करा सकें.