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कोरोना: बिल नहीं चुकाने वालों का मोबाइल बंद नहीं करने की मांग खारिज - दिल्ली कोरोना अपडेट

कोरोना की वजह से मोबाइल का बिल नहीं भर पाने वाले उपभोक्ताओं की मोबाइल सेवाओं को ब्लॉक न करने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.

Demand rejected for not closing mobile of those who did not pay bill due to Corona
कोरोना की वजह से बिल नहीं चुकाने वालों का मोबाइल बंद नहीं करने की मांग खारिज
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Published : Jun 26, 2020, 6:00 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना की वजह से मोबाइल का बिल नहीं भर पाने वाले उपभोक्ताओं की मोबाइल सेवाओं को ब्लॉक न करने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कोरोना संकट के दौर में हर आदमी परेशानी से गुजर रहा है लेकिन हम मोबाइल कंपनियों को चैरिटी करने का आदेश नहीं दे सकते हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
आर्थिक तंगी की वजह से बिल जमा नहीं कर पा रहे लोग


याचिका वकील प्रियतम भारद्वाज ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि कोरोना की वजह से लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. काफी लोग अपने मोबाइल का बिल जमा नहीं कर पाए हैं. याचिका में मांग की गई थी कि टेलीकॉम सेवा प्रदाता को दिशानिर्देश जारी किया जाए कि ऐसे लोगों के मोबाइल पर इनकमिंग कॉल और एसएमएस की सुविधा को बंद न करें. याचिका में कहा गया था कि जिन लोगों ने अपने मोबाइल का बिल नहीं दिया है और उनकी मोबाइल सेवा बंद कर दी गई है, उसे दोबारा चालू किया जाए.


चैरिटी करने के लिए कैसे बाध्य नहीं कर सकते


याचिका में कहा गया था कि कोरोना के चलते काफी लोगों का रोजगार छिन गया है. लोग पैसे न होने के चलते अपना मोबाइल को रिचार्ज कराने की स्थिति में भी नहीं हैं. ऐसे में लोगों को अपने परिवार के संपर्क में बने रहने के लिए उनकी इनकमिंग, एसएमएस और कॉल की सुविधा को बंद न किया जाए. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस तरह के आदेश कोर्ट की तरफ से जारी नहीं किए जा सकते हैं. कोर्ट किसी भी व्यावसायिक कंपनी को चैरिटी करने के लिए कैसे बाध्य कर सकता है.


जनरल फंड का इस्तेमाल उपभोक्ताओं के कल्याण के लिए


सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) अधिनियम की धारा 22 के तहत जनरल फंड इकट्ठा किया जाता है. इस फंड का इस्तेमाल उपभोक्ताओं से जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जाता है. इस फंड का इस्तेमाल भी बिल न दे पाने वाले उपभोक्ताओं के लिए किया जा सकता है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना की वजह से मोबाइल का बिल नहीं भर पाने वाले उपभोक्ताओं की मोबाइल सेवाओं को ब्लॉक न करने का दिशानिर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कोरोना संकट के दौर में हर आदमी परेशानी से गुजर रहा है लेकिन हम मोबाइल कंपनियों को चैरिटी करने का आदेश नहीं दे सकते हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
आर्थिक तंगी की वजह से बिल जमा नहीं कर पा रहे लोग


याचिका वकील प्रियतम भारद्वाज ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि कोरोना की वजह से लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. काफी लोग अपने मोबाइल का बिल जमा नहीं कर पाए हैं. याचिका में मांग की गई थी कि टेलीकॉम सेवा प्रदाता को दिशानिर्देश जारी किया जाए कि ऐसे लोगों के मोबाइल पर इनकमिंग कॉल और एसएमएस की सुविधा को बंद न करें. याचिका में कहा गया था कि जिन लोगों ने अपने मोबाइल का बिल नहीं दिया है और उनकी मोबाइल सेवा बंद कर दी गई है, उसे दोबारा चालू किया जाए.


चैरिटी करने के लिए कैसे बाध्य नहीं कर सकते


याचिका में कहा गया था कि कोरोना के चलते काफी लोगों का रोजगार छिन गया है. लोग पैसे न होने के चलते अपना मोबाइल को रिचार्ज कराने की स्थिति में भी नहीं हैं. ऐसे में लोगों को अपने परिवार के संपर्क में बने रहने के लिए उनकी इनकमिंग, एसएमएस और कॉल की सुविधा को बंद न किया जाए. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस तरह के आदेश कोर्ट की तरफ से जारी नहीं किए जा सकते हैं. कोर्ट किसी भी व्यावसायिक कंपनी को चैरिटी करने के लिए कैसे बाध्य कर सकता है.


जनरल फंड का इस्तेमाल उपभोक्ताओं के कल्याण के लिए


सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) अधिनियम की धारा 22 के तहत जनरल फंड इकट्ठा किया जाता है. इस फंड का इस्तेमाल उपभोक्ताओं से जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जाता है. इस फंड का इस्तेमाल भी बिल न दे पाने वाले उपभोक्ताओं के लिए किया जा सकता है.

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