नई दिल्ली: जल बोर्ड के वाइस चेयरपर्सन रहते हुए भी आम आदमी पार्टी विधायक राघव चड्ढा अपने ही इलाके में लोगों की पानी से जुड़ी समस्याएं दूर नहीं कर पा रहे हैं. आलम यह है कि राजेंद्र नगर विधानसभा में पड़ने वाले नारायणा गांव के लोग महीनों से गंदा पानी पीने के भरोसे जी रहे हैं. खास बात है कि इसी गंदे पानी के लिए उनसे बिल भी खूब वसूला जाता है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं होता.
ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट
गर्मियां आते ही दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में पानी से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं. इसी के मद्देनजर ईटीवी भारत इलाकों में जाकर न सिर्फ लोगों की समस्याएं सुन रहा है बल्कि समाधान के लिए प्रतिनिधियों और तंत्र में बैठे हुए लोगों से भी बात कर रहा है. राजेंद्र नगर विधानसभा के नारायणा गांव में बुधवार को जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो यहां लोगों ने बताया कि किस कदर को पानी की समस्या से वो परेशान हैं.
घरों में आता है सीवर का पानी
नारायणा गांव की मशहूर चौपाल पर निवासियों ने बताया कि यहां जल बोर्ड ने पाइपलाइन तो दी है, लेकिन इस पाइप लाइन से जो पानी आता है वह ना तो पीने लायक है और ना ही किसी और इस्तेमाल के लायक. मजबूरी में लोग इस गंदे पानी को ही अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए लेते हैं. पीने के लिए वो या तो बाहर से कैन या बोतलों पर निर्भर रहते हैं. लोगों का आरोप है कि जल बोर्ड की पाइप लाइन से उन्हें सीवर का पानी मिलता है.
आती है गंदी बदबू
लोग बताते हैं कि नारायणा गांव में जल बोर्ड की पाइप लाइन से जो पानी घरों में आता है, उसमें से गंदी बदबू आती है. यह पानी पीने लायक तो नहीं ही होता है. साथ ही अगर इससे कपड़े धो लिए जाएं तो कपड़ों में भी बदबू आने लग जाती है. लोगों का कहना है कि जल बोर्ड की पाइप लाइन सीवर की पाइप लाइन से कैसे मिक्स हो रही है, इसका अंदाजा पानी के समय सड़क पर सीवर और जल बोर्ड के पानी का मिश्रण बहते देख ही पता लगाया जा सकता है.
क्या की गई है शिकायत?
नारायणा गांव के लोग बताते हैं कि इस संबंध में कई बार शिकायत की गई है. लोगों को समाधान का आश्वासन तो हर बार दिया जाता है लेकिन समाधान एक भी बार नहीं किया गया. खास बात है कि बीते ही दिन यहां स्थानीय विधायक और जल बोर्ड के वाइस चेयरपर्सन राघव चड्ढा के कार्यालय से कुछ लोग शिकायत सुनने पहुंचे थे और फिर से आश्वासन देकर लौट आए हैं.
इसी संबंध में ईटीवी भारत में राघव चड्ढा से संपर्क करने की कोशिश की. उनके सहयोगियों ने शाम 4:00 बजे तक राघव के मीटिंग में होने का हवाला दिया. लिहाजा इस संबंध में राघव चड्ढा को लिखित सवाल भी भेजे गए. शाम 5:00 बजे राघव चड्ढा की ओर से एक कॉल जरूर आई, लेकिन इसमें भी उनका पक्ष नहीं मिल पाया है.