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'आर्थिक पैकेज बनाते हुए छात्र हितों का भी सरकार को ध्यान रखना था'

देश में कोरोना से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की. जिसके बारे में वित्त मंत्री ने पूरी जानकारी दी. लेकिन इस पैकेज में छात्रों के लिए कुछ नहीं दिया गया है. जिससे NSUI ने इस निराशाजनक करार दिया है.

NSUI says that government had to take care of student interests while making economic package
राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन
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Published : May 13, 2020, 8:43 PM IST

Updated : May 13, 2020, 9:51 PM IST

नई दिल्ली: देश कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की. बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पैकेज के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी. वहीं एनएसयूआई ने इसे निराशाजनक करार दिया.

एनएसयूआई ने आर्थिक पैकेज पर जताई नाराजगी
आर्थिक पैकेज में छात्रों की हुई अनदेखी



वहीं एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा कि सरकार के दिए गए आर्थिक पैकेज में छात्रों की अनदेखी की गई है. उन्होंने कहा कि सरकार की शुरू से ही छात्र विरोधी नीति रही है. लेकिन इस महामारी के दौर में उम्मीद की जा रही थी कि सरकार छात्रों का भी ख्याल रखेगी. लेकिन जिस तरह से वित्त मंत्री ने आर्थिक पैकेज के बारे में जानकारी दी.

उसमें यह देखकर हैरानी होती है कि उन्होंने छात्रों के लिए कुछ नहीं बोला है. नीरज ने कहा कि कई ऐसे छात्र हैं जिन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए लोन लिया था. लेकिन इस दौरान उनकी ना क्लास हुई ना किसी तरह से पढ़ाई हुई और अब कर्ज चुकाने का मानसिक और आर्थिक तनाव वह लोग उठा रहे हैं.

ऐसे में जो भी छात्र कमजोर आर्थिक तबके से आते हैं, उनके लिए छात्रवृत्ति या कोई अन्य योजना सरकार ने ना बनाकर उनके साथ सौतेला व्यवहार किया है.


सेमेस्टर फीस होनी चाहिए माफ



नीरज कुंदन ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से छात्रों की क्लास बाधित है. उन्होंने कहा कि कई ऐसे छात्र हैं जो कि मौजूदा स्थिति में सेमेस्टर की फीस चुकाने में असमर्थ है. इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि सरकार इस सेमेस्टर की फीस माफ करने का भी एलान कर सकती है. लेकिन जिस तरह से वित्त मंत्री ने आर्थिक पैकेज के बारे में बताया उसमें छात्रों के लिए कुछ नहीं था. ऐसे में छात्र वर्ग में काफी रोष है.


किराया देने का बनाया जा रहा है दबाव



वहीं नीरज कुंदन ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया सहित देश के तमाम विश्वविद्यालयों में देश के अलग-अलग हिस्सों से छात्र पढ़ने के लिए जाते हैं और वहां पीजी में रहते हैं. लेकिन इस आपदा के समय में उन पर मकान का किराया देने का भी दबाव बनाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि छात्र इस समय उम्मीद कर रहे थे कि सरकार इस ओर कुछ ना कुछ ठोस कदम जरूर उठाएगी. लेकिन सबके हाथ केवल निराशा लगी है. ऐसे में सरकार से उनकी मांग है कि या तो आर्थिक सहायता का एक बड़ा हिस्सा छात्रों को दिया जाए या फिर सरकार विरोध झेलने के लिए तैयार हो जाए.

नई दिल्ली: देश कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की. बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पैकेज के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी. वहीं एनएसयूआई ने इसे निराशाजनक करार दिया.

एनएसयूआई ने आर्थिक पैकेज पर जताई नाराजगी
आर्थिक पैकेज में छात्रों की हुई अनदेखी



वहीं एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा कि सरकार के दिए गए आर्थिक पैकेज में छात्रों की अनदेखी की गई है. उन्होंने कहा कि सरकार की शुरू से ही छात्र विरोधी नीति रही है. लेकिन इस महामारी के दौर में उम्मीद की जा रही थी कि सरकार छात्रों का भी ख्याल रखेगी. लेकिन जिस तरह से वित्त मंत्री ने आर्थिक पैकेज के बारे में जानकारी दी.

उसमें यह देखकर हैरानी होती है कि उन्होंने छात्रों के लिए कुछ नहीं बोला है. नीरज ने कहा कि कई ऐसे छात्र हैं जिन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए लोन लिया था. लेकिन इस दौरान उनकी ना क्लास हुई ना किसी तरह से पढ़ाई हुई और अब कर्ज चुकाने का मानसिक और आर्थिक तनाव वह लोग उठा रहे हैं.

ऐसे में जो भी छात्र कमजोर आर्थिक तबके से आते हैं, उनके लिए छात्रवृत्ति या कोई अन्य योजना सरकार ने ना बनाकर उनके साथ सौतेला व्यवहार किया है.


सेमेस्टर फीस होनी चाहिए माफ



नीरज कुंदन ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से छात्रों की क्लास बाधित है. उन्होंने कहा कि कई ऐसे छात्र हैं जो कि मौजूदा स्थिति में सेमेस्टर की फीस चुकाने में असमर्थ है. इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि सरकार इस सेमेस्टर की फीस माफ करने का भी एलान कर सकती है. लेकिन जिस तरह से वित्त मंत्री ने आर्थिक पैकेज के बारे में बताया उसमें छात्रों के लिए कुछ नहीं था. ऐसे में छात्र वर्ग में काफी रोष है.


किराया देने का बनाया जा रहा है दबाव



वहीं नीरज कुंदन ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया सहित देश के तमाम विश्वविद्यालयों में देश के अलग-अलग हिस्सों से छात्र पढ़ने के लिए जाते हैं और वहां पीजी में रहते हैं. लेकिन इस आपदा के समय में उन पर मकान का किराया देने का भी दबाव बनाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि छात्र इस समय उम्मीद कर रहे थे कि सरकार इस ओर कुछ ना कुछ ठोस कदम जरूर उठाएगी. लेकिन सबके हाथ केवल निराशा लगी है. ऐसे में सरकार से उनकी मांग है कि या तो आर्थिक सहायता का एक बड़ा हिस्सा छात्रों को दिया जाए या फिर सरकार विरोध झेलने के लिए तैयार हो जाए.

Last Updated : May 13, 2020, 9:51 PM IST
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