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उत्तर रेलवे ने 624 करोड़ के स्क्रैप बेचे, स्थापित किया नया रिकॉर्ड

उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि उत्तर रेलवे ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान स्क्रैप निपटान के क्षेत्र में 624.36 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित कर भारतीय रेलवे पर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है.

Northern Railway earns record Rs 624 crore by selling scrap
Northern Railway earns record Rs 624 crore by selling scrap
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Published : Apr 3, 2022, 2:56 PM IST

नई दिल्ली: उत्तर रेलवे ने स्क्रैप बिक्री करके एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है. स्क्रैप बेचकर लगभग 624.36 करोड़ का राजस्व इस साल जमा किया है. इस राजस्व को हासिल करने के बाद उत्तर रेलवे एकमात्र ऐसी जोनल रेलवे बन गई है, जिसने एक साल में 600 करोड़ रुपए के स्क्रैप की बिक्री की है यानी कि पिछले वर्ष की तुलना में 40% अधिक है.

उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि उत्तर रेलवे ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान स्क्रैप निपटान के क्षेत्र में 624.36 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित कर भारतीय रेलवे पर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है. उत्तर रेलवे ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में स्थापित 536.99 करोड़ रुपये के पिछले बेहतरीन रिकार्ड को पार कर लिया है. उत्तर रेलवे एक वर्ष में 600 करोड़ रुपये की स्क्रैप बिक्री के आंकड़े को पार करने वाली एक मात्र जोनल रेलवे बन गई है। इस प्रक्रिया में, उत्तर रेलवे ने न केवल अपने पिछले वर्ष के 443 करोड़ रुपये के आंकड़े में 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है बल्कि रेल मंत्रालय द्वारा दिये गये 370 करोड़ रुपये के लक्ष्य से 69 प्रतिशत अधिक राजस्व अर्जित किया है.

उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष के दौरान, उत्तर रेलवे शुरू से ही सहयोगी रेलों के बीच स्क्रैप्स निपटान के माध्यम से अधिकतम राजस्व अर्जित करने की दौड़ में अग्रणीय थी. विभिन्न क्षेत्रीय रेलों में, उत्तर रेलवे पहली ऐसी रेलवे थी, जिसमें सितम्बर 2021 में 200 करोड़ रुपये, अक्तूबर 2021 में 300 करोड़ रुपये, दिसम्बर 2021 में 400 करोड़ रुपये, फरवरी 2022 में 500 करोड़ रुपये और मार्च 2022 में 600 करोड़ रुपये के आंकड़े को छुआ था। उत्तर रेलवे ने मंत्रालय द्वारा तय किये गए निर्धारित लक्ष्य को नवंबर 2021 में ही हासिल कर लिया था.

उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे पर स्क्रैप का निपटान एक महत्वपूर्ण गतिविधि है. राजस्व अर्जित करने के साथ-साथ यह कार्य परिसरों को साफ-सुथरा रखने में भी मदद करता है. रेलपथों के किनारे पड़े पटरियों के टुकड़े, स्लीपर, टाई बार, इत्यादि की मौजूदगी से न केवल संरक्षा संबंधी चुनौतियां उत्पन्न होती है बल्कि यह लोगों को देखने में भी साफ-सुथरा नहीं लगता. उत्तर रेलवे ने सतत कार्य करते हुए इस्तेमाल से बाहर कर दी गई ढांचों जैसे स्टाफ क्वार्टर, केबिन, शेड, पानी की टंकियां आदि के निपटान का कार्य किया है. इससे न केवल राजस्व अर्जित करने में मदद मिली है बल्कि शरारती तत्वों द्वारा पुराने ढांचों के दुर्यपयोग के संभावनाओं को टालने में तथा बेहतर इस्तेमाल के लिए मूल्यवान स्थान भी उपलब्ध हुआ है.

पढ़ें: गाजियाबाद : एक बार फिर बदला जिले का कप्तान, अब IPS मुनिराज संभालेंगे SSP पद की अस्थायी जिम्मेदारी

उत्तर रेलवे ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान 8 स्थानों से 592 ई-नीलामियां की और एक लाख मीट्रिक टन से अधिक लोहे के स्क्रैप का निपटान किया. इसमें 70 हजार मीट्रिक टन का रेल स्क्रैप, 850 मीट्रिक टन अलौह स्क्रैप, 1930 मीट्रिक टन लीड एसिड बैट्री, 201 मीट्रिक टन से अधिक ई-कचरा, 250 से अधिक सेवा से हटाये गये रोलिंग स्टॉक, रेलपथों के किनारे पड़े 1.55 लाख कंक्रीट स्लीपर शामिल हैं. उत्तर रेलवे ने मिशन मोड में कार्य करते हुए 31.03.2022 को “जीरो स्क्रैप” का दर्जा प्राप्त करके अपने क्षेत्राधिकार से स्क्रैप को हटा दिया है.

नई दिल्ली: उत्तर रेलवे ने स्क्रैप बिक्री करके एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है. स्क्रैप बेचकर लगभग 624.36 करोड़ का राजस्व इस साल जमा किया है. इस राजस्व को हासिल करने के बाद उत्तर रेलवे एकमात्र ऐसी जोनल रेलवे बन गई है, जिसने एक साल में 600 करोड़ रुपए के स्क्रैप की बिक्री की है यानी कि पिछले वर्ष की तुलना में 40% अधिक है.

उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि उत्तर रेलवे ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान स्क्रैप निपटान के क्षेत्र में 624.36 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित कर भारतीय रेलवे पर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है. उत्तर रेलवे ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में स्थापित 536.99 करोड़ रुपये के पिछले बेहतरीन रिकार्ड को पार कर लिया है. उत्तर रेलवे एक वर्ष में 600 करोड़ रुपये की स्क्रैप बिक्री के आंकड़े को पार करने वाली एक मात्र जोनल रेलवे बन गई है। इस प्रक्रिया में, उत्तर रेलवे ने न केवल अपने पिछले वर्ष के 443 करोड़ रुपये के आंकड़े में 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है बल्कि रेल मंत्रालय द्वारा दिये गये 370 करोड़ रुपये के लक्ष्य से 69 प्रतिशत अधिक राजस्व अर्जित किया है.

उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष के दौरान, उत्तर रेलवे शुरू से ही सहयोगी रेलों के बीच स्क्रैप्स निपटान के माध्यम से अधिकतम राजस्व अर्जित करने की दौड़ में अग्रणीय थी. विभिन्न क्षेत्रीय रेलों में, उत्तर रेलवे पहली ऐसी रेलवे थी, जिसमें सितम्बर 2021 में 200 करोड़ रुपये, अक्तूबर 2021 में 300 करोड़ रुपये, दिसम्बर 2021 में 400 करोड़ रुपये, फरवरी 2022 में 500 करोड़ रुपये और मार्च 2022 में 600 करोड़ रुपये के आंकड़े को छुआ था। उत्तर रेलवे ने मंत्रालय द्वारा तय किये गए निर्धारित लक्ष्य को नवंबर 2021 में ही हासिल कर लिया था.

उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे पर स्क्रैप का निपटान एक महत्वपूर्ण गतिविधि है. राजस्व अर्जित करने के साथ-साथ यह कार्य परिसरों को साफ-सुथरा रखने में भी मदद करता है. रेलपथों के किनारे पड़े पटरियों के टुकड़े, स्लीपर, टाई बार, इत्यादि की मौजूदगी से न केवल संरक्षा संबंधी चुनौतियां उत्पन्न होती है बल्कि यह लोगों को देखने में भी साफ-सुथरा नहीं लगता. उत्तर रेलवे ने सतत कार्य करते हुए इस्तेमाल से बाहर कर दी गई ढांचों जैसे स्टाफ क्वार्टर, केबिन, शेड, पानी की टंकियां आदि के निपटान का कार्य किया है. इससे न केवल राजस्व अर्जित करने में मदद मिली है बल्कि शरारती तत्वों द्वारा पुराने ढांचों के दुर्यपयोग के संभावनाओं को टालने में तथा बेहतर इस्तेमाल के लिए मूल्यवान स्थान भी उपलब्ध हुआ है.

पढ़ें: गाजियाबाद : एक बार फिर बदला जिले का कप्तान, अब IPS मुनिराज संभालेंगे SSP पद की अस्थायी जिम्मेदारी

उत्तर रेलवे ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान 8 स्थानों से 592 ई-नीलामियां की और एक लाख मीट्रिक टन से अधिक लोहे के स्क्रैप का निपटान किया. इसमें 70 हजार मीट्रिक टन का रेल स्क्रैप, 850 मीट्रिक टन अलौह स्क्रैप, 1930 मीट्रिक टन लीड एसिड बैट्री, 201 मीट्रिक टन से अधिक ई-कचरा, 250 से अधिक सेवा से हटाये गये रोलिंग स्टॉक, रेलपथों के किनारे पड़े 1.55 लाख कंक्रीट स्लीपर शामिल हैं. उत्तर रेलवे ने मिशन मोड में कार्य करते हुए 31.03.2022 को “जीरो स्क्रैप” का दर्जा प्राप्त करके अपने क्षेत्राधिकार से स्क्रैप को हटा दिया है.

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