नई दिल्ली : प्राथमिक शिक्षा को लेकर केन्द्र सरकार ने शिक्षक-छात्र अनुपात की रैंकिंग जारी की है, जिसमें दिल्ली ने टॉप तो नहीं किया, लेकिन आखिरी से टॉप-2 में है. मतलब 37 में से दिल्ली को 36वां स्थान मिला है. दिल्ली से पीछे इस मामले में सिर्फ बिहार है.
अब इस रिपोर्ट को लेकर नॉर्थ एमसीडी में शिक्षा समिति की अध्यक्ष गरिमा गुप्ता ने वीडियो जारी कर कहा है कि केन्द्र सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट ये बताती है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज क्या स्थिति है. दिल्ली सरकार जबरन निगम के स्कूलों का फंड रोक रही है. शिक्षा के मद में पिछले एक साल से दिल्ली सरकार ने एक रुपये का भी फंड जारी नहीं किया, जो दिल्ली की खराब रैंकिंग का सबसे बड़ा कारण है.
गरिमा गुप्ता ने कहा कि निगम अपने खराब वित्तीय हालात के कारण न तो अपने 7 हजार शिक्षकों को समय पर वेतन दे पा रहा है और न ही जरूरत के मुताबिक शिक्षकों की नियुक्ति कर पा रहा है. केन्द्र की ओर से जारी की गई रैंकिंग में दिल्ली के 36वें स्थान पर होने के लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार है.
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बता दें कि दिल्ली में प्राथमिक शिक्षा की सबसे बड़ी जिम्मेदारी नगर निगम के स्कूलों की है. नॉर्थ एमसीडी के अंतर्गत आने वाले स्कूलों में 2 लाख 30 हजार बच्चे पढ़ने हैं, जिनके लिए करीब 7 हजार शिक्षक हैं. यानि निगम के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों का अनुपात छात्रों के मुकाबले काफी कम है. दिल्ली में प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर छात्रों के मुकाबले शिक्षकों का अनुपात 32.7 है. यानि हर 33 छात्र पर सिर्फ एक शिक्षक है, जबकि बिहार में ये अनुपात 55.4 है.
अलग-अलग राज्यों में शिक्षक-छात्र का अनुपात
1. | सिक्किम | 6.7 |
2. | हिमाचल प्रदेश | 15.3 |
3. | जम्मू-कश्मीर | 15.4 |
4. | उत्तराखंड | 18.5 |
5. | छत्तीसगढ़ | 19.3 |
6. | कर्नाटक | 20.9 |
7. | राजस्थान | 24.8 |
8. | पंजाब | 25 |
9. | चंडीगढ़ | 25.1 |
10. | महाराष्ट्र | 25.7 |