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RT- PCR टेस्ट के लिए स्वैब की जगह गार्गल तकनीक कितनी कारगर, एक्सपर्ट से जानिए - कोरोना आरटीपीसीआर टेस्ट

दिल्ली में कोरोना कहर के बीच वैज्ञानिक इसके टेस्ट के तरीकों पर काम कर रहे है, जिसके तहत नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) के वैज्ञानिकों ने आरटी पीसीआर टेस्ट का सैंपल लेने के लिए गार्गल सैंपल की नई तकनीक लाई है, वहीं इसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने अप्रूवल भी दे दिया है और जल्द ही आरटी पीसीआर टेस्ट के लिए इस प्रक्रिया को शुरू भी किया जाएगा.

new gargle technique used for RT-PCR test
गार्गल तकनीक से कोरोना टेस्ट
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Published : Jun 4, 2021, 10:53 AM IST

नई दिल्ली: कोरोना के संक्रमण के बढ़ने के साथ-साथ वैज्ञानिक इसके जांच के तरीकों को भी लगातार डेवलप कर रहे हैं, इसी कड़ी मे आरटी पीसीआर टेस्ट का सैंपल लेने के लिए एक नई तकनीक लाई गई है, जिसमें स्वैब की जगह गार्गल (गरारे) से सैंपल लिया जा सकेगा.

RT- PCR टेस्ट के लिए स्वैब की जगह गार्गल तकनीक

नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) के वैज्ञानिकों ने कोविड की जांच के लिए ये नया तरीका लाया गया है. वहीं इसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने अप्रूवल भी दे दिया है और जल्द ही आरटी पीसीआर टेस्ट के लिए इस प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा.

स्लाइन गार्गल से संक्रमण का पता लगाया जायेगा

इस विधि को 'स्लाइन गार्गल rt-pcr विधि' भी नाम दिया गया है, यह विधि कैसे काम करेगी? और स्वैब की जगह स्लाइन गार्गल से rt-pcr टेस्ट कैसे किया जायेगा, ये किस प्रकार से भिन्न है, इसको लेकर ईटीवी भारत ने ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर एमसी मिश्रा से जानकारी ली.

डॉ मिश्रा ने बताया कि अभी तक आरटी पीसीआर टेस्ट के सैंपल के लिए स्वैब की आवश्यकता होती थी और उस स्वैब के जरिए नाक और मुंह से सैंपल लिया जाता था और फिर उसकी जांच से संक्रमण का पता लगाया जाता था, लेकिन अब गार्गल स्लाइन से संक्रमण का पता लगाया जाएगा, जिस व्यक्ति की जांच करनी है वह गार्गल करके एक कंटेनर में देगा और फिर उससे संक्रमण का पता लगाया जाएगा.

ये भी पढ़ें: Delhi ICU Beds Availability: दिल्ली के कोरोना अस्पतालों में खाली है 46 सौ से ज्यादा आईसीयू बेड्स.

गार्गल से लिया जायेगा संक्रमण की जांच के लिए सैंपल

डॉ मिश्रा ने बताया कि नीरी के वैज्ञानिक ये दावा कर रहे हैं कि इस तकनीक में मुंह और नाक में स्वैब के जरिए सैंपल लेने की तुलना में गार्गल से सैंपल लेना आसान होगा और रिजल्ट बराबर आएगास, लेकिन कई बार यह देखा गया है कि स्वैब द्वारा मुंह से लिए गए सैंपल से टेस्ट निगेटिव आ जाता है, लेकिन नाक से स्वैब लेने पर टेस्ट पॉज़िटिव पाया जाता है.

डॉक्टर ने कहा कि नीरी को इस विधि के लिए सभी सैंपलों की जानकारी देनी चाहिए, कि अब तक इस प्रक्रिया से कितने लोगों की जांच की गई है, और कितने लोगों पर यह 100 फ़ीसदी कारगर रहा है, वहीं मौजूदा समय में स्वैब के जरिए जिस आरटी पीसीआर टेस्ट से संक्रमण का पता लगाया जा रहा है उसकी तुलना में यह कितना कारगर है.

एम्स के रेसिडेंट डॉक्टरों ने किया दावा

वहीं ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की ओर से यह दावा किया गया है स्लाइन गार्गल से आरटी पीसीआर टेस्ट की जांच की तकनीक सबसे पहले एम्स के डॉक्टरों द्वारा की गई.

एम्स आरडीए के अध्यक्ष डॉ अमनदीप सिंह का कहना है कि पिछले साल ही एम्स के मेडिसन और एनएसथीसिया डिपार्टमेंट की ओर से इस तकनीक पर स्टडी की गई, इस पर जांच की गई. और इंडियन जनरल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने इसे पिछले वर्ष प्रकाशित भी किया गया.

एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर और फैकेल्टी मेंबर द्वारा इस तकनीक पर काम किया गया, इस पर रिसर्च की गई. बावजूद इसके इस तकनीक को जब लागू किया गया है, तो किसी भी तरीके से एम्स को इसका क्रेडिट नहीं मिला है, यह सरासर गलत है.

नई दिल्ली: कोरोना के संक्रमण के बढ़ने के साथ-साथ वैज्ञानिक इसके जांच के तरीकों को भी लगातार डेवलप कर रहे हैं, इसी कड़ी मे आरटी पीसीआर टेस्ट का सैंपल लेने के लिए एक नई तकनीक लाई गई है, जिसमें स्वैब की जगह गार्गल (गरारे) से सैंपल लिया जा सकेगा.

RT- PCR टेस्ट के लिए स्वैब की जगह गार्गल तकनीक

नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) के वैज्ञानिकों ने कोविड की जांच के लिए ये नया तरीका लाया गया है. वहीं इसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने अप्रूवल भी दे दिया है और जल्द ही आरटी पीसीआर टेस्ट के लिए इस प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा.

स्लाइन गार्गल से संक्रमण का पता लगाया जायेगा

इस विधि को 'स्लाइन गार्गल rt-pcr विधि' भी नाम दिया गया है, यह विधि कैसे काम करेगी? और स्वैब की जगह स्लाइन गार्गल से rt-pcr टेस्ट कैसे किया जायेगा, ये किस प्रकार से भिन्न है, इसको लेकर ईटीवी भारत ने ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर एमसी मिश्रा से जानकारी ली.

डॉ मिश्रा ने बताया कि अभी तक आरटी पीसीआर टेस्ट के सैंपल के लिए स्वैब की आवश्यकता होती थी और उस स्वैब के जरिए नाक और मुंह से सैंपल लिया जाता था और फिर उसकी जांच से संक्रमण का पता लगाया जाता था, लेकिन अब गार्गल स्लाइन से संक्रमण का पता लगाया जाएगा, जिस व्यक्ति की जांच करनी है वह गार्गल करके एक कंटेनर में देगा और फिर उससे संक्रमण का पता लगाया जाएगा.

ये भी पढ़ें: Delhi ICU Beds Availability: दिल्ली के कोरोना अस्पतालों में खाली है 46 सौ से ज्यादा आईसीयू बेड्स.

गार्गल से लिया जायेगा संक्रमण की जांच के लिए सैंपल

डॉ मिश्रा ने बताया कि नीरी के वैज्ञानिक ये दावा कर रहे हैं कि इस तकनीक में मुंह और नाक में स्वैब के जरिए सैंपल लेने की तुलना में गार्गल से सैंपल लेना आसान होगा और रिजल्ट बराबर आएगास, लेकिन कई बार यह देखा गया है कि स्वैब द्वारा मुंह से लिए गए सैंपल से टेस्ट निगेटिव आ जाता है, लेकिन नाक से स्वैब लेने पर टेस्ट पॉज़िटिव पाया जाता है.

डॉक्टर ने कहा कि नीरी को इस विधि के लिए सभी सैंपलों की जानकारी देनी चाहिए, कि अब तक इस प्रक्रिया से कितने लोगों की जांच की गई है, और कितने लोगों पर यह 100 फ़ीसदी कारगर रहा है, वहीं मौजूदा समय में स्वैब के जरिए जिस आरटी पीसीआर टेस्ट से संक्रमण का पता लगाया जा रहा है उसकी तुलना में यह कितना कारगर है.

एम्स के रेसिडेंट डॉक्टरों ने किया दावा

वहीं ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की ओर से यह दावा किया गया है स्लाइन गार्गल से आरटी पीसीआर टेस्ट की जांच की तकनीक सबसे पहले एम्स के डॉक्टरों द्वारा की गई.

एम्स आरडीए के अध्यक्ष डॉ अमनदीप सिंह का कहना है कि पिछले साल ही एम्स के मेडिसन और एनएसथीसिया डिपार्टमेंट की ओर से इस तकनीक पर स्टडी की गई, इस पर जांच की गई. और इंडियन जनरल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने इसे पिछले वर्ष प्रकाशित भी किया गया.

एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर और फैकेल्टी मेंबर द्वारा इस तकनीक पर काम किया गया, इस पर रिसर्च की गई. बावजूद इसके इस तकनीक को जब लागू किया गया है, तो किसी भी तरीके से एम्स को इसका क्रेडिट नहीं मिला है, यह सरासर गलत है.

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