नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली के बड़े अस्पताल राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी में अब कचरे को भी रंगीन पहचान दी जा रही है. यहां अस्पताल से निकलने वाले कचरे को अलग-अलग इकट्ठा करने के लिए अलग-अलग रंगों के कमरे में रखा जा रहा है. राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में वैक्सीनेशन सेंटर के सामने इन दिनों 6 रंगों के कमरे दिखते हैं, जो दूर से देखने में किसी खूबसूरत फूल जैसा लगता है.
दरअसल अस्पताल से निकले कचरे को अलग-अलग रखने के लिए बने हैं. यहां कचरे को उसके दुष्प्रभाव की दृष्टि से रंगों की पहचान दी गई है. इसलिए अस्पताल से कचरे को उसी रंग के बिन में लाया जाता है और उसमें रखा जाता है.
अलग-अलग होता है डिस्पोजल
अस्पताल के नोडल ऑफिसर डॉ अजित जैन बताते हैं कि हरा रंग जेनरल वेस्ट को दिया गया है, जिसमें सामान्य पेड़ पौधों की पत्तियां और खाद्य पदार्थ को रखा जाता है. नीला रंग शीशे के कचरे को दिया गया है. लाला रंग बायोलॉजिकल वेस्ट को दिया गया है, जिसमें इंजेक्शन की सुई, इस्तेमाल में आ चुके ग्लब्स और रूई, पट्टी है. वहीं गुलाबी रंग आटोक्लेव को दिया गया है. जहां बायोलॉजिकल वेस्ट को पहले अधिक तापमान पर स्टरेलाईज किया जाता है और उसके बाद ही इसे डिस्पोज के लिए जीटीबी अस्पताल में भेजा जाता है.