नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षकों के भारी कमी है और इसी कमी को दूर करते हुए दिल्ली सरकार की तरफ से करीब साढ़े 7 हजार नए शिक्षकों की बहाली हुई है. इन सभी शिक्षकों का त्यागराज स्टेडियम में स्वागत कार्यक्रम रखा गया था, जिसमें उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया भी मौजूद रहे.
सिसोदिया ने किया स्वागत
मनीष सिसोदिया ने सबसे पहले इन शिक्षकों का स्वागत किया और इन्हें इनकी जिम्मेदारियों से अवगत कराया. शिक्षा मंत्री ने बताया कि किस तरह दिल्ली सरकार के स्कूलों में बीते 6 महीने में 6 हजार शिक्षकों की भर्ती हुई है. उन्होंने कहा कि 2016 में हमने 10 हजार नए शिक्षकों की वैकेंसी क्रिएट की और उनमें से साढ़े 7 हजार आज जुड़ चुके हैं.
पायलट होता है शिक्षक शिक्षकों को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि हम इस विश्वास पर काम करते हैं कि शिक्षक शिक्षा विभाग का पायलट होता है और शिक्षा व्यवस्था के साथ-साथ बच्चों के भविष्य निर्धारण की जिम्मेदारी भी उसी के कंधे पर होती है.
शिक्षकों से कई मुद्दों पर बातचीत
मनीष सिसोदिया ने कई सवालों को लेकर शिक्षकों से बातचीत की. उन्होंने उनसे जानने की कोशिश की कि वे इस प्रोफेशन से क्यों जुड़े और क्यों एक शिक्षक बनना चाहते थे, या ऐसा कौन सा टर्निंग प्वाइंट रहा, जहां से उन्होंने इस ओर कदम बढ़ाया. उन्होंने यह भी सवाल किया कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षक के रूप में काम शुरू करने के बाद उनका पहला अनुभव कैसा रहा. बनें बदलाव के वाहक मनीष सिसोदिया ने शिक्षकों से यह भी कहा कि उन्हें सिर्फ पाठ्यक्रम खत्म करने का काम नहीं करना, उन्हें समाज में बड़े बदलाव का वाहक भी बनना है.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि अगर समाज में बलात्कार जैसी घटनाएं होती हैं, तो एक मुख्यमंत्री अपने पुलिस कमिश्नर, अपने डीजीपी से कहेगा कि हमें आगामी 1 साल या 1 महीने में इन सब घटनाओं पर रोक चाहिए, लेकिन हम चाहते हैं कि ऐसी घटनाओं के बाद शिक्षा विभाग का प्रमुख भी एक शिक्षक से कहे कि हमें अगले इतने समय में समाज में यह बदलाव चाहिए.
अपना व्हाट्सएप नम्बर भी दिया
अंत में शिक्षकों से मनीष सिसोदिया ने यह भी कहा कि आपको पाठ्यक्रम की किताबें तो पढ़ानी ही है, लेकिन उसके पहले पन्ने के पीछे जो संविधान की प्रस्तावना लिखी गई है, उसका भाव भी छात्रों के बीच भरना है. अंत में उन्होंने शिक्षकों से अपना व्हाट्सएप नंबर भी साझा किया और निःसंकोच जरूरी बात साझा करने की बात कही.