ETV Bharat / city

मजदूरों पर भारी कोरोना की बीमारी, 40 साल में पहली बार मनाएंगे ऐसी दिवाली

कोरोना महामारी के दौरान आर्थिक तंगी से गुजरने के बाद दिहाड़ी मजदूरों को दिवाली से आस थी, लेकिन अब ये आस टूटती नजर आ रही है. जानिए क्या है मजदूरों का कहना..

Workers upset from Corona
काम की आस में लेबर चौक पर बैठे मजदूर
author img

By

Published : Oct 29, 2020, 5:53 PM IST

Updated : Oct 29, 2020, 6:24 PM IST

नई दिल्ली: साल 2020 के शुरुआत में ही पूरा देश कोरोना वायरस की चपेट में आ गया था, लेकिन अब धीरे-धीरे सब कुछ वापस पटरी पर आता नजर आ रहा है, लेकिन हर व्यक्ति आर्थिक मंदी से आज भी जूझ रहा है. इस वायरस के चलते सबसे ज्यादा मुसीबत का सामना मजदूरों ने किया. कोरोना के समय पलायन और अब जब सब कुछ पहले जैसा होना शुरू हुआ है ऐसे में रोजगार की तलाश. जिसके बाद इन मजदूरों को दिवाली से उम्मीद थी, क्योंकि दिवाली का त्योहार हर किसी के लिए खुशियां लेकर आता है, लेकिन इस साल हर एक त्योहार पर लोगों ने कोरोना की मार झेली है, वहीं जिन लोगों को दिवाली से आस थी, वह इस समय रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. रोजाना कमाकर खाने वाले वो तमाम दिहाड़ी मजदूरों को कोरोना के चलते काम नहीं मिल रहा है.

जानिए काम को लेकर क्या है मजदूरों का कहना
लॉकडाउन के बाद दिवाली से थी आस


ईटीवी भारत की टीम जब दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी में मौजूद लेबर चौक पर पहुंची, तो देखा कि कई दिहाड़ी मजदूर काम के इंतजार में खड़े हुए हैं, जिसमें बेलदार, मिस्त्री, सफेदी करने वाले, बिजली का काम करने वाले आदि सभी मजदूर शामिल हैं.

काम का इंतजार कर रहे हैं मजदूर

मिस्त्री का काम करने वाले मुकिर ने बताया की

दिवाली को लेकर हम सोच रहे थे कि शायद अब काम कुछ पटरी पर आएगा और लोगों के घरों में काम मिलेगा, जिससे हम कुछ मजदूरी कर कमा पाएंगे, लेकिन कोई काम नहीं आ रहा है, रोजाना पिछले करीब 20 से 25 दिनों से लेबर चौक पर सुबह 9 बजे आकर खड़े हो जाते हैं ,लेकिन कोई भी काम नहीं मिलता.

Workers upset from Corona
काम की आस में लेबर चौक पर बैठे मजदूर

1 महीने से रोजाना काम का इंतजार

मजदूर राकेश ने बताया कि वो

सफेदी पुताई आदि का काम करते हैं, जिसके लिए 500 से 600 रुपये की दिहाड़ी कमा लेते हैं. कोरोना के बाद दिवाली से काफी उम्मीदें थी, क्योंकि दिवाली पर लोग अपने घरों में रंगाई पुताई करवाते हैं, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं आया है. रोजाना लेबर चौक पर खड़े होकर काम आने का इंतजार कर रहे हैं.

एक्सपोर्ट का काम छूटा मजबूरन शुरू करना पड़ा सफेदी का काम

वहीं दक्षिणी दिल्ली स्थित गोविंदपुरी के एक घर में रंगाई पुताई का काम कर रहे मजदूर प्रेम सिंह चौहान ने बताया कि

लॉकडाउन से पहले एक्सपोर्ट का काम करते थे, लेकिन उनका काम छूट गया और अब घरों में सफेदी रंगाई पुताई आदि का काम कर रहे हैं, क्योंकि कहीं और नौकरी नहीं मिल रही है. घर चलाना काफी मुश्किल हो रहा है.

Workers upset from Corona
नौकरी नहीं मिली तो शुरू किया रंगाई पुताई का काम

40 सालों में नहीं देखे ऐसे दिन

मजदूर विश्वनाथ पेंटर ने कहा कि

पिछले 40 सालों से वह घरों में रंगाई पुताई मजदूरी आदि का काम कर रहे हैं, लेकिन इस इस साल जैसे हालात आए हैं, वह कभी नहीं आए. 40 सालों में पहली बार दिवाली पर काम मिलना मुश्किल हो रहा है, जबकि दिवाली आते ही काम आना शुरू हो जाता था, बिल्कुल फुर्सत नहीं रहती थी. लेकिन इस साल कोई काम नहीं है.

Workers upset from Corona
लेबर चौक पर बैठे मजदूर

बता दें कि दिल्ली के लेबर चौक पर खड़े होकर काम का इंतजार करने वाले मजदूरों की संख्या लाखों में है, और कई मजदूर ऐसे हैं जो कि रजिस्टर्ड ही नहीं है, क्योंकि दिल्ली सरकार की तरफ से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के लिए कई नियम बनाए गए हैं. जिसमें दिल्ली के दस्तावेज होना आवश्यक है, इसीलिए कई मजदूर यह रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाते हैं. ऐसे में इनकी पहचान नहीं होती है और ना ही इनका सही डाटा मिलता है. यह मजदूर अलग-अलग क्षेत्रों में और असंगठित रूप से काम करते हैं.

नई दिल्ली: साल 2020 के शुरुआत में ही पूरा देश कोरोना वायरस की चपेट में आ गया था, लेकिन अब धीरे-धीरे सब कुछ वापस पटरी पर आता नजर आ रहा है, लेकिन हर व्यक्ति आर्थिक मंदी से आज भी जूझ रहा है. इस वायरस के चलते सबसे ज्यादा मुसीबत का सामना मजदूरों ने किया. कोरोना के समय पलायन और अब जब सब कुछ पहले जैसा होना शुरू हुआ है ऐसे में रोजगार की तलाश. जिसके बाद इन मजदूरों को दिवाली से उम्मीद थी, क्योंकि दिवाली का त्योहार हर किसी के लिए खुशियां लेकर आता है, लेकिन इस साल हर एक त्योहार पर लोगों ने कोरोना की मार झेली है, वहीं जिन लोगों को दिवाली से आस थी, वह इस समय रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. रोजाना कमाकर खाने वाले वो तमाम दिहाड़ी मजदूरों को कोरोना के चलते काम नहीं मिल रहा है.

जानिए काम को लेकर क्या है मजदूरों का कहना
लॉकडाउन के बाद दिवाली से थी आस


ईटीवी भारत की टीम जब दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी में मौजूद लेबर चौक पर पहुंची, तो देखा कि कई दिहाड़ी मजदूर काम के इंतजार में खड़े हुए हैं, जिसमें बेलदार, मिस्त्री, सफेदी करने वाले, बिजली का काम करने वाले आदि सभी मजदूर शामिल हैं.

काम का इंतजार कर रहे हैं मजदूर

मिस्त्री का काम करने वाले मुकिर ने बताया की

दिवाली को लेकर हम सोच रहे थे कि शायद अब काम कुछ पटरी पर आएगा और लोगों के घरों में काम मिलेगा, जिससे हम कुछ मजदूरी कर कमा पाएंगे, लेकिन कोई काम नहीं आ रहा है, रोजाना पिछले करीब 20 से 25 दिनों से लेबर चौक पर सुबह 9 बजे आकर खड़े हो जाते हैं ,लेकिन कोई भी काम नहीं मिलता.

Workers upset from Corona
काम की आस में लेबर चौक पर बैठे मजदूर

1 महीने से रोजाना काम का इंतजार

मजदूर राकेश ने बताया कि वो

सफेदी पुताई आदि का काम करते हैं, जिसके लिए 500 से 600 रुपये की दिहाड़ी कमा लेते हैं. कोरोना के बाद दिवाली से काफी उम्मीदें थी, क्योंकि दिवाली पर लोग अपने घरों में रंगाई पुताई करवाते हैं, लेकिन अभी तक कोई काम नहीं आया है. रोजाना लेबर चौक पर खड़े होकर काम आने का इंतजार कर रहे हैं.

एक्सपोर्ट का काम छूटा मजबूरन शुरू करना पड़ा सफेदी का काम

वहीं दक्षिणी दिल्ली स्थित गोविंदपुरी के एक घर में रंगाई पुताई का काम कर रहे मजदूर प्रेम सिंह चौहान ने बताया कि

लॉकडाउन से पहले एक्सपोर्ट का काम करते थे, लेकिन उनका काम छूट गया और अब घरों में सफेदी रंगाई पुताई आदि का काम कर रहे हैं, क्योंकि कहीं और नौकरी नहीं मिल रही है. घर चलाना काफी मुश्किल हो रहा है.

Workers upset from Corona
नौकरी नहीं मिली तो शुरू किया रंगाई पुताई का काम

40 सालों में नहीं देखे ऐसे दिन

मजदूर विश्वनाथ पेंटर ने कहा कि

पिछले 40 सालों से वह घरों में रंगाई पुताई मजदूरी आदि का काम कर रहे हैं, लेकिन इस इस साल जैसे हालात आए हैं, वह कभी नहीं आए. 40 सालों में पहली बार दिवाली पर काम मिलना मुश्किल हो रहा है, जबकि दिवाली आते ही काम आना शुरू हो जाता था, बिल्कुल फुर्सत नहीं रहती थी. लेकिन इस साल कोई काम नहीं है.

Workers upset from Corona
लेबर चौक पर बैठे मजदूर

बता दें कि दिल्ली के लेबर चौक पर खड़े होकर काम का इंतजार करने वाले मजदूरों की संख्या लाखों में है, और कई मजदूर ऐसे हैं जो कि रजिस्टर्ड ही नहीं है, क्योंकि दिल्ली सरकार की तरफ से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के लिए कई नियम बनाए गए हैं. जिसमें दिल्ली के दस्तावेज होना आवश्यक है, इसीलिए कई मजदूर यह रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाते हैं. ऐसे में इनकी पहचान नहीं होती है और ना ही इनका सही डाटा मिलता है. यह मजदूर अलग-अलग क्षेत्रों में और असंगठित रूप से काम करते हैं.

Last Updated : Oct 29, 2020, 6:24 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.