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कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों में मनी लॉन्ड्रिंग मामले के सह-आरोपी की अर्जी पर सुनवाई टाली - दिल्ली दंगों में मनी लांड्रिंग मामले के सह-आरोपी

कड़कड़डूमा कोर्ट (Karkardooma Court) में दिल्ली दंगों (Delhi riots) को लेकर सुनवाई हुई, जिसमें एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने दिल्ली दंगों में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सह आरोपी अमित गुप्ता की खुद को सरकारी गवाह बनाने की अर्जी पर सुनवाई टाल दी और दो दिसंबर को सुनवाई करने का आदेश दिया.

Karkardooma court  postponed hearing in delhi Riots Money laundering
Karkardooma court postponed hearing in delhi Riots Money laundering
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Published : Nov 17, 2021, 7:37 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों (Delhi riots) में मनी लांड्रिंग मामले के सहआरोपी अमित गुप्ता की खुद को सरकारी गवाह बनाने की अर्जी पर सुनवाई टाल दी है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने दो दिसंबर को सुनवाई करने का आदेश दिया है.

एक नवंबर को सुनवाई के दौरान अमित गुप्ता के मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज बयान को सीलबंद लिफाफे में कोर्ट (Karkardooma Court) के समक्ष पेश किया गया था, जिसके बाद अमित गुप्ता का बयान पांच अक्टूबर को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट भरत अग्रवाल के समक्ष दर्ज किया गया. 29 सितंबर को ईडी ने अमित गुप्ता की सरकारी गवाह बनाने की अर्जी का शर्तों के साथ समर्थन किया.

एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने अमित गुप्ता को अपने बयान दर्ज कराने के लिए मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के पास भेजने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान अमित गुप्ता की ओर से वकील कुंवर अभय सिंह, क्षितिज अहलावत और ऋषभ सचदेवा ने कहा कि अमित गुप्ता ने इस मामले के मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मदद की है, लेकिन इसका उसे कोई लाभ नहीं हुआ है और न ही उसने कोई सहयोग किया है. इस पर उन्होंने कहा था कि अमित गुप्ता को अगर सरकारी गवाह बनाया जाता है तो उसके बयानों से इस मामले के दूसरे आरोपियों तक पहुंचने में मदद मिलेगी.


सुनवाई के दौरान अमित गुप्ता ने कहा था कि वह इस अपराध की सच्चाई का खुलासा करेंगे. इसलिए उन्हें माफ करके सरकारी गवाह बनने की अनुमति दी जाए.

यह भी पढ़ें- Delhi Riots: हवलदार रतनलाल की हत्या के आरोपियों को क्यों मिली जमानत

इस दौरान ईडी की ओर से वकील एनके माटा और ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर पंकज कुमार खत्री ने जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि अमित गुप्ता (Amit Gupta) को सरकारी गवाह बनाया जा सकता है बशर्ते कि वह इस अपराध का पूरा खुलासा करें. इस पर ईडी ने कहा कि अमित गुप्ता को इस मामले की जांच में पूरा सहयोग करना होगा. सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी ने कहा कि वह इस अर्जी का विरोध करे या नहीं इस पर तभी फैसला करेगा जब अमित गुप्ता के मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयानों को वे देखेंगे. इस पर अमित गुप्ता ने कहा कि उसने किसी भी दबाव में यह अर्जी दाखिल नहीं की है, तब कोर्ट ने कहा कि इस अर्जी पर फैसला तभी किया जा सकता है जब अमित गुप्ता का मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान हो.


पिछले 28 जनवरी को सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन (Tahir Hussain) की ओर से वकील रिजवान ने कहा था कि ताहिर हुसैन के खिलाफ मीडिया में अपमानजनक खबरें चलाई जा रही हैं. उन्होंने कहा था कि कोर्ट के आदेश के पहले ही मीडिया ऐसी खबरें चला रही है जैसे ताहिर हुसैन दोषी हो. जिसपर उन्होंने कहा था कि ताहिर हुसैन विचाराधीन कैदी है दोषी नहीं. चार्जशीट में जो आरोप लगाए गए हैं वे महज आरोप हैं, प्रमाणित तथ्य नहीं. मीडिया की ओर से ऐसा करने से उसके निष्पक्ष ट्रायल के अधिकार का उल्लंघन होता है. रिजवान ने कोर्ट से मीडिया संगठनों को ताहिर हुसैन के खिलाफ ट्रायल चलाने से रोकने का आदेश देने की मांग की थी.


ईडी ने ताहिर हुसैन और अमित गुप्ता को आरोपी बनाया है. 16 अक्टूबर 2020 को ईडी के असिस्टेंड डायरेक्टर पंकज कुमार खत्री ने चार्जशीट दाखिल किया था. ईडी ने ताहिर हुसैन और अमित गुप्ता को मनी लांड्रिंग एक्ट (Money Laundering Act) के तहत धारा तीन के तहत आरोपी बनाया है.

चार्जशीट में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों में ताहिर द्वारा धनराशि लगाने का आरोप लगाया है. ईडी ने कहा है कि करीब सवा करोड़ रुपये से दंगों के लिए हथियारों की खरीदारी की गई. ईडी के मुताबिक ताहिर हुसैन और उससे जुड़े लोगों ने एक करोड़ दस लाख रुपये की मनी लाउंड्रिंग की. दंगों के लिए एकत्रित किए गए इस धन को फर्जी कंपनी के जरिये नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चल रहे धरना-प्रदर्शनों में लगाया गया.

नई दिल्ली : दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों (Delhi riots) में मनी लांड्रिंग मामले के सहआरोपी अमित गुप्ता की खुद को सरकारी गवाह बनाने की अर्जी पर सुनवाई टाल दी है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने दो दिसंबर को सुनवाई करने का आदेश दिया है.

एक नवंबर को सुनवाई के दौरान अमित गुप्ता के मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज बयान को सीलबंद लिफाफे में कोर्ट (Karkardooma Court) के समक्ष पेश किया गया था, जिसके बाद अमित गुप्ता का बयान पांच अक्टूबर को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट भरत अग्रवाल के समक्ष दर्ज किया गया. 29 सितंबर को ईडी ने अमित गुप्ता की सरकारी गवाह बनाने की अर्जी का शर्तों के साथ समर्थन किया.

एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने अमित गुप्ता को अपने बयान दर्ज कराने के लिए मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के पास भेजने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान अमित गुप्ता की ओर से वकील कुंवर अभय सिंह, क्षितिज अहलावत और ऋषभ सचदेवा ने कहा कि अमित गुप्ता ने इस मामले के मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मदद की है, लेकिन इसका उसे कोई लाभ नहीं हुआ है और न ही उसने कोई सहयोग किया है. इस पर उन्होंने कहा था कि अमित गुप्ता को अगर सरकारी गवाह बनाया जाता है तो उसके बयानों से इस मामले के दूसरे आरोपियों तक पहुंचने में मदद मिलेगी.


सुनवाई के दौरान अमित गुप्ता ने कहा था कि वह इस अपराध की सच्चाई का खुलासा करेंगे. इसलिए उन्हें माफ करके सरकारी गवाह बनने की अनुमति दी जाए.

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इस दौरान ईडी की ओर से वकील एनके माटा और ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर पंकज कुमार खत्री ने जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि अमित गुप्ता (Amit Gupta) को सरकारी गवाह बनाया जा सकता है बशर्ते कि वह इस अपराध का पूरा खुलासा करें. इस पर ईडी ने कहा कि अमित गुप्ता को इस मामले की जांच में पूरा सहयोग करना होगा. सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी ने कहा कि वह इस अर्जी का विरोध करे या नहीं इस पर तभी फैसला करेगा जब अमित गुप्ता के मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयानों को वे देखेंगे. इस पर अमित गुप्ता ने कहा कि उसने किसी भी दबाव में यह अर्जी दाखिल नहीं की है, तब कोर्ट ने कहा कि इस अर्जी पर फैसला तभी किया जा सकता है जब अमित गुप्ता का मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान हो.


पिछले 28 जनवरी को सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन (Tahir Hussain) की ओर से वकील रिजवान ने कहा था कि ताहिर हुसैन के खिलाफ मीडिया में अपमानजनक खबरें चलाई जा रही हैं. उन्होंने कहा था कि कोर्ट के आदेश के पहले ही मीडिया ऐसी खबरें चला रही है जैसे ताहिर हुसैन दोषी हो. जिसपर उन्होंने कहा था कि ताहिर हुसैन विचाराधीन कैदी है दोषी नहीं. चार्जशीट में जो आरोप लगाए गए हैं वे महज आरोप हैं, प्रमाणित तथ्य नहीं. मीडिया की ओर से ऐसा करने से उसके निष्पक्ष ट्रायल के अधिकार का उल्लंघन होता है. रिजवान ने कोर्ट से मीडिया संगठनों को ताहिर हुसैन के खिलाफ ट्रायल चलाने से रोकने का आदेश देने की मांग की थी.


ईडी ने ताहिर हुसैन और अमित गुप्ता को आरोपी बनाया है. 16 अक्टूबर 2020 को ईडी के असिस्टेंड डायरेक्टर पंकज कुमार खत्री ने चार्जशीट दाखिल किया था. ईडी ने ताहिर हुसैन और अमित गुप्ता को मनी लांड्रिंग एक्ट (Money Laundering Act) के तहत धारा तीन के तहत आरोपी बनाया है.

चार्जशीट में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों में ताहिर द्वारा धनराशि लगाने का आरोप लगाया है. ईडी ने कहा है कि करीब सवा करोड़ रुपये से दंगों के लिए हथियारों की खरीदारी की गई. ईडी के मुताबिक ताहिर हुसैन और उससे जुड़े लोगों ने एक करोड़ दस लाख रुपये की मनी लाउंड्रिंग की. दंगों के लिए एकत्रित किए गए इस धन को फर्जी कंपनी के जरिये नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चल रहे धरना-प्रदर्शनों में लगाया गया.

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