नई दिल्ली : दिल्ली के सिविल लाइन इलाके में मुख्यमंत्री आवास से महज 300 मीटर की दूरी पर नेशनल स्किल्स क्वॉलिफिकेशन फ्रेमवर्क (NSQF) के तहत काम करने वाले टीचर अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे हुए हैं.
टीचर्स का कहना है कि करीब 800 की तादाद में (NSQF) के तहत टीचर काम कर रहे हैं. उनको दूसरे टीचर्स के समान वेतन नहीं दिया जा रहा है. जिसकी वजह से उन्हें धरना-प्रदर्शन कर अपनी आवाज उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
नेशनल स्किल क्वॉलिफिकेशन फ्रेमवर्क के तहत दिल्ली सरकार बच्चों को अच्छी एजुकेशन देने का दावा करती है, लेकिन उसके उलट (NSQF) के तहत बच्चों को वोकेशनल शिक्षा देने वाले टीचर्स अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर हैं.
टीचर्स का कहना है कि 7 साल पहले दिल्ली सरकार ने वादा किया था कि आप लोगों को अच्छी सैलरी मिलेगी. वादे के मुताबिक अभी तक सैलरी नहीं बढ़ाई गई. जबकि देश के दूसरे इलाकों में (NSQF) के तहत शिक्षकों को अच्छी सैलरी मिल रही है.
आरोप है कि दिल्ली सरकार इनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. जिसकी वजह से टीचर्स को सड़क पर उतरना पड़ा. जो शिक्षक स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग के माध्यम से बच्चों का भविष्य बनाते हैं, वही अपने बच्चों के भविष्य की खातिर सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से किए गए दावे पूरे क्यों नहीं हो रहे हैं? टीचर्स ने शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना महामारी से पहले त्याग राज स्टेडियम में शिक्षा मंत्री ने कहा था कि आप बच्चों को बेहतर शिक्षा दें, आप का वेतन बढ़ाएंगे.
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उस वादे के बावजूद अभी तक वेतन में किसी तरह का इजाफा नहीं किया गया है. इन शिक्षकों को महज 17 हजार रुपए सैलरी मिल रही है. जिससे इस घोर महंगाई में घर का खर्च चलाना बहुत मुश्किल हो गया है.