ETV Bharat / city

तलाक ए हसन को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता को हाईकाेर्ट ने सुप्रीम कोर्ट जाने का दिया निर्देश - तलाक ए हसन

मुस्लिम समाज में तलाक के तरीके पर लगातार बहस चल रही है. तीन तलाक में एक झटके में तीन तलाक कहकर छोड़ दिया जाता था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में तलाक ए हसन का मुद्दा पहुंचा है. इसी मुद्दे पर दिल्ली हाईकाेर्ट में याचिका दायर की गई है. हाईकाेर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता काे सुप्रीम कोर्ट में दायर ऐसी ही याचिका की सुनवाई में शामिल होने को कहा है. Delhi High court Talaq e hasan

हाईकाेर्ट
हाईकाेर्ट
author img

By

Published : Aug 18, 2022, 6:52 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मुस्लिम पुरुषों को तलाक का एकतरफा हक देने वाले तलाक ए हसन (Delhi High court Talaq e hasan ) को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट (Talaq e Hassan in Supreme Court) में ऐसी ही याचिका पर सुनवाई में शामिल होने को कहा है. जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने ये आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता रजिया नाज की ओर से वकील मोहन एस और शुभम झा ने कहा कि उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका से अलग है. तब कोर्ट ने कहा कि याचिका भले ही अलग हो, लेकिन मसला एक ही है.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर याचिका दायर करने वाले पक्षकार के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि यह याचिका उनकी याचिका का कट एंड पेस्ट है. इस पर सुनवाई करना समय की बर्बादी है. अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि इस याचिका में तो केंद्र सरकार को पक्षकार तक नहीं बनाया गया है.

बता दें, 16 अगस्त को इस मसले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तलाक पीड़िता से पूछा था कि क्या आप आपसी सहमति से इस तरह तलाक लेना चाहेंगी, जिसमें आपको मेहर से अधिक मुआवजा दिलाया जाए.

तलाक ए हसन पर क्या कह रहे हैं अधिवक्ता, देखिये वीडियो में.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहली नजर में तलाक ए हसन में (Talaq e Hassan in Supreme Court) गड़बड़ी नहीं है, क्योंकि महिला के पास खुला तलाक का विकल्प है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील पिंकी आनंद ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी करार दिया, लेकिन तलाक ए हसन का मामला अनिर्णीत रहा. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या याचिकाकर्ता आपसी सहमति से इस तरह तलाक लेना चाहेंगी जिसमें आपको मेहर से अधिक मुआवजा दिलाया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम नहीं चाहते कि यह किसी और तरह का एजेंडा बने.


इसे भी पढ़ेंः इच्छामृत्यु के लिए विदेश जाने से रोकने की मांग वाली याचिका वापस, दोस्त को लगा था आघात

तलाक ए हसन की शिकार मुंबई की नाजरीन निशा और गाजियबाद की रहने वाली बेनज़ीर हिना ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. याचिका में मांग की गई है कि मुस्लिम लड़कियों को भी बाकी लड़कियों जैसे अधिकार मिलने चाहिए. वकील अश्विनी उपाध्याय के जरिये दाखिल याचिका में बेनजीर ने बताया है कि उनकी 2020 में दिल्ली के यूसुफ नकी से शादी हुई थी. उनका सात महीने का बच्चा भी है. दिसंबर 2021 में पति ने एक घरेलू विवाद के बाद उन्हें घर से बाहर कर दिया था. पिछले पांच महीने से उनसे कोई संपर्क नहीं रखा. अब अचानक अपने वकील के जरिये डाक से एक पत्र मिला है, जिसमें कहा गया है कि वह तलाक-ए-हसन के तहत पहला तलाक दे रहे हैं.

याचिका में कहा गया है कि धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर मुस्लिम महिलाओं को कानून की नजर में समानता और सम्मान से जीवन जीने जैसे मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता है. याचिका में मांग की गई है कि तलाक-ए-हसन और अदालती तरीके से न होने वाले दूसरे सभी किस्म के तलाक को असंवैधानिक करार दिया जाए. याचिका में शरीयत कानून की धारा 2 को रद्द करने का आदेश देने की मांग की गई है. याचिका में डिसॉल्यूशन ऑफ मुस्लिम मैरिज एक्ट को पूरी तरह निरस्त करने की मांग की गई है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मुस्लिम पुरुषों को तलाक का एकतरफा हक देने वाले तलाक ए हसन (Delhi High court Talaq e hasan ) को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट (Talaq e Hassan in Supreme Court) में ऐसी ही याचिका पर सुनवाई में शामिल होने को कहा है. जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने ये आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता रजिया नाज की ओर से वकील मोहन एस और शुभम झा ने कहा कि उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका से अलग है. तब कोर्ट ने कहा कि याचिका भले ही अलग हो, लेकिन मसला एक ही है.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर याचिका दायर करने वाले पक्षकार के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि यह याचिका उनकी याचिका का कट एंड पेस्ट है. इस पर सुनवाई करना समय की बर्बादी है. अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि इस याचिका में तो केंद्र सरकार को पक्षकार तक नहीं बनाया गया है.

बता दें, 16 अगस्त को इस मसले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तलाक पीड़िता से पूछा था कि क्या आप आपसी सहमति से इस तरह तलाक लेना चाहेंगी, जिसमें आपको मेहर से अधिक मुआवजा दिलाया जाए.

तलाक ए हसन पर क्या कह रहे हैं अधिवक्ता, देखिये वीडियो में.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहली नजर में तलाक ए हसन में (Talaq e Hassan in Supreme Court) गड़बड़ी नहीं है, क्योंकि महिला के पास खुला तलाक का विकल्प है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील पिंकी आनंद ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी करार दिया, लेकिन तलाक ए हसन का मामला अनिर्णीत रहा. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या याचिकाकर्ता आपसी सहमति से इस तरह तलाक लेना चाहेंगी जिसमें आपको मेहर से अधिक मुआवजा दिलाया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम नहीं चाहते कि यह किसी और तरह का एजेंडा बने.


इसे भी पढ़ेंः इच्छामृत्यु के लिए विदेश जाने से रोकने की मांग वाली याचिका वापस, दोस्त को लगा था आघात

तलाक ए हसन की शिकार मुंबई की नाजरीन निशा और गाजियबाद की रहने वाली बेनज़ीर हिना ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. याचिका में मांग की गई है कि मुस्लिम लड़कियों को भी बाकी लड़कियों जैसे अधिकार मिलने चाहिए. वकील अश्विनी उपाध्याय के जरिये दाखिल याचिका में बेनजीर ने बताया है कि उनकी 2020 में दिल्ली के यूसुफ नकी से शादी हुई थी. उनका सात महीने का बच्चा भी है. दिसंबर 2021 में पति ने एक घरेलू विवाद के बाद उन्हें घर से बाहर कर दिया था. पिछले पांच महीने से उनसे कोई संपर्क नहीं रखा. अब अचानक अपने वकील के जरिये डाक से एक पत्र मिला है, जिसमें कहा गया है कि वह तलाक-ए-हसन के तहत पहला तलाक दे रहे हैं.

याचिका में कहा गया है कि धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर मुस्लिम महिलाओं को कानून की नजर में समानता और सम्मान से जीवन जीने जैसे मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता है. याचिका में मांग की गई है कि तलाक-ए-हसन और अदालती तरीके से न होने वाले दूसरे सभी किस्म के तलाक को असंवैधानिक करार दिया जाए. याचिका में शरीयत कानून की धारा 2 को रद्द करने का आदेश देने की मांग की गई है. याचिका में डिसॉल्यूशन ऑफ मुस्लिम मैरिज एक्ट को पूरी तरह निरस्त करने की मांग की गई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.