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टू-जी स्पेक्ट्रम मामले पर आज भी जारी रहेगी सुनवाई, ए राजा समेत 19 हैं आरोपी

टू-जी स्पेक्ट्रम मामले पर आज भी सुनवाई जारी रहेगी. इस मामले में सीबीआई और ईडी ने ए राजा और कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.

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टू-जी स्पेक्ट्रम मामला.
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Published : Oct 12, 2020, 9:44 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज टू-जी स्पेक्ट्रम केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और दूसरे आरोपियों को ट्रायल कोर्ट से बरी करने के फैसले के खिलाफ सीबीआई और ईडी की याचिका पर सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से कहा गया था कि सीबीआई अपील दायर करने के लिए केंद्र की ओर से जरुरी अनुमति संबंधी हलफनामा दायर करे। वहीं सीबीआई की ओर से कहा गया था कि केंद्र को किसी से सलाह लेने की जरुरत नहीं है.

टू-जी स्पेक्ट्रम मामला.
ई-मेल से दस्तावेज विश्वसनीय नहीं, हलफनामा दाखिल करें

सुनवाई के दौरान एक आरोपी आसिफ बलवा की ओर से वकील विजय अग्रवाल ने कहा था कि सीबीआई ने ई-मेल के जरिये दस्तावेज भेजे गए हैं. सीबीआई हाईकोर्ट के रुल्स के मुताबिक दस्तावेज उपलब्ध कराए. उन्होंने हाईकोर्ट के रुल्स का उदाहरण देते हुए कहा था कि दीवानी और आपराधिक मामलों में दस्तावेजों को दाखिल करने में कोई अंतर नहीं है. सभी दस्तावेज फाईलिंग काउंटर पर दाखिल करना चाहिए. ई-मेल की विश्वसनीयता संदेह में है. मैं किसी भी उस दस्तावेज को नहीं देखूंगा जो हलफनामे में नहीं हो.

स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति के लिए केंद्र को किसी से सलाह करने की जरुरत नहीं

सीबीआई की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा था कि एक दलील दी गई कि स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति हाईकोर्ट की सलाह से होनी चाहिए। स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति के लिए केंद्र को किसी से सलाह करने की जरुरत नहीं है. अगर विधायिका ने ऐसा चाहा होता तो वो इसका प्रावधान करती. हमें अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 24(8) की व्याख्या करने की जरुरत नहीं है. जैन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने धारा 142 के तहत टू-जी केस में स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति की। जैन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने तुषार मेहता की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है। सरकार ने अपील में जाने का फैसला किया है तो वो कई स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर नियुक्त कर सकती है. सरकार वर्तमान पब्लिक प्रोसिक्युटर की भी सेवाएं ले सकती है. इस मामले में सरकार ने ऐसा ही किया है. सभी नियुक्तियां सार्वजनिक हैं. सार्वजनिक दस्तावेज के बारे में आरोपी कैसे कह सकते हैं कि उनकी पहुंच नहीं है.

भंडारी की नियुक्ति कानूनी प्रावधानों के मुताबिक नहीं

पिछले 8 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से कहा गया कि वकील एस भंडारी की स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर के रुप में नियुक्ति कानूनी प्रावधानों के मुताबिक नहीं थी. सुनवाई के दौरान आरोपी सुरेन्द्र पिपारा की ओर से वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने एस भंडारी को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति संबंधी नोटिफिकेशन को पढ़ते हुए कहा था कि भंडारी ने अपील दायर किया, लेकिन ये नोटिफिकेशन धारा 24(1) को संतुष्ट नहीं करती है, क्योंकि ये नियुक्ति हाईकोर्ट की सलाह के बिना की गई है. उन्होंने कहा था कि अगर तुषार मेहता की नियुक्त धारा 24(1) के तहत हुई है तो वो स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर माने जाएंगे.

मेहता की नियुक्ति किस रुप में हुई ये स्पष्ट नहीं

रिलायंस कम्युनिकेशन की ओर से वकील डीपी सिंह ने कहा था कि 8 फरवरी 2018 को इस मामले में तुषार मेहता की नियुक्ति हुई. इस नोटिफिकेशन में मेहता को वरिष्ठ वकील की बजाय केवल एक वकील बताया गया है. टू-जी मामले पर एक अलग कोर्ट का गठन वैसे ही किया गया था जैसे कोयला घोटाला मामले की सुनवाई के लिए अलग कोर्ट है. सरकार ने टू-जी के लिए न केवल स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति की बल्कि पब्लिक प्रोसिक्युटर और एडिशनल पब्लिक प्रोसिक्युटर की भी नियुक्ति की.

भंडारी की नियुक्ति 2014 की है

डीपी सिंह ने कहा था कि हाल ही में दिल्ली दंगों को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया गया. इसमें सभी वकीलों की नियुक्ति की गई है. जिसमें सीनियर वकीलों की भी नियुक्ति की गई है. सीनियर वकीलों को दूसरा वकील सहयोग करता है. उन्होंने कहा था कि टू-जी केस में जब यूयू ललित की नियुक्ति की गई थी तो सरकार ने एक पब्लिक प्रोसिक्युटर और एडिशनल पब्लिक प्रोसिक्युटर भी नियुक्ति की थी. अगर एस भंडारी की नियुक्ति की गई तो ये फैसले का बाद किया गया. उनकी नियुक्ति 2014 की है. अपील भंडारी की ओर से तैयार नहीं की गई. सीबीआई ने दस्तावेज अभी तक आरोपियों को नहीं सौंपे.

जल्द सुनवाई की अनुमति दी थी

पिछले 29 सितंबर को कोर्ट ने इस मामले पर जल्द सुनवाई की अनुमति दे दी थी. सुनवाई के दौरान सीबीआई और ईडी की ओर से कहा गया था कि जल्द सुनवाई की मांग के पीछे जनहित है. वहीं दूसरी तरफ ए राजा समेत दूसरे आरोपियों ने कहा था कि जल्द सुनवाई की मांग का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि हाईकोर्ट के दिशानिर्देश के मुताबिक कोरोना के संकट के दौरान बरी किए जाने के फैसले पर सुनवाई करने में कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए.

ए राजा समेत 19 आरोपी हैं

इस मामले में सीबीआई और ईडी ने ए राजा औऱ कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। 25 मई 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया था. हाईकोर्ट ने इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया है.

2017 में बरी किया गया था

बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज टू-जी स्पेक्ट्रम केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और दूसरे आरोपियों को ट्रायल कोर्ट से बरी करने के फैसले के खिलाफ सीबीआई और ईडी की याचिका पर सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से कहा गया था कि सीबीआई अपील दायर करने के लिए केंद्र की ओर से जरुरी अनुमति संबंधी हलफनामा दायर करे। वहीं सीबीआई की ओर से कहा गया था कि केंद्र को किसी से सलाह लेने की जरुरत नहीं है.

टू-जी स्पेक्ट्रम मामला.
ई-मेल से दस्तावेज विश्वसनीय नहीं, हलफनामा दाखिल करें

सुनवाई के दौरान एक आरोपी आसिफ बलवा की ओर से वकील विजय अग्रवाल ने कहा था कि सीबीआई ने ई-मेल के जरिये दस्तावेज भेजे गए हैं. सीबीआई हाईकोर्ट के रुल्स के मुताबिक दस्तावेज उपलब्ध कराए. उन्होंने हाईकोर्ट के रुल्स का उदाहरण देते हुए कहा था कि दीवानी और आपराधिक मामलों में दस्तावेजों को दाखिल करने में कोई अंतर नहीं है. सभी दस्तावेज फाईलिंग काउंटर पर दाखिल करना चाहिए. ई-मेल की विश्वसनीयता संदेह में है. मैं किसी भी उस दस्तावेज को नहीं देखूंगा जो हलफनामे में नहीं हो.

स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति के लिए केंद्र को किसी से सलाह करने की जरुरत नहीं

सीबीआई की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा था कि एक दलील दी गई कि स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति हाईकोर्ट की सलाह से होनी चाहिए। स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति के लिए केंद्र को किसी से सलाह करने की जरुरत नहीं है. अगर विधायिका ने ऐसा चाहा होता तो वो इसका प्रावधान करती. हमें अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 24(8) की व्याख्या करने की जरुरत नहीं है. जैन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने धारा 142 के तहत टू-जी केस में स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति की। जैन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने तुषार मेहता की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है। सरकार ने अपील में जाने का फैसला किया है तो वो कई स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर नियुक्त कर सकती है. सरकार वर्तमान पब्लिक प्रोसिक्युटर की भी सेवाएं ले सकती है. इस मामले में सरकार ने ऐसा ही किया है. सभी नियुक्तियां सार्वजनिक हैं. सार्वजनिक दस्तावेज के बारे में आरोपी कैसे कह सकते हैं कि उनकी पहुंच नहीं है.

भंडारी की नियुक्ति कानूनी प्रावधानों के मुताबिक नहीं

पिछले 8 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से कहा गया कि वकील एस भंडारी की स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर के रुप में नियुक्ति कानूनी प्रावधानों के मुताबिक नहीं थी. सुनवाई के दौरान आरोपी सुरेन्द्र पिपारा की ओर से वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने एस भंडारी को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति संबंधी नोटिफिकेशन को पढ़ते हुए कहा था कि भंडारी ने अपील दायर किया, लेकिन ये नोटिफिकेशन धारा 24(1) को संतुष्ट नहीं करती है, क्योंकि ये नियुक्ति हाईकोर्ट की सलाह के बिना की गई है. उन्होंने कहा था कि अगर तुषार मेहता की नियुक्त धारा 24(1) के तहत हुई है तो वो स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर माने जाएंगे.

मेहता की नियुक्ति किस रुप में हुई ये स्पष्ट नहीं

रिलायंस कम्युनिकेशन की ओर से वकील डीपी सिंह ने कहा था कि 8 फरवरी 2018 को इस मामले में तुषार मेहता की नियुक्ति हुई. इस नोटिफिकेशन में मेहता को वरिष्ठ वकील की बजाय केवल एक वकील बताया गया है. टू-जी मामले पर एक अलग कोर्ट का गठन वैसे ही किया गया था जैसे कोयला घोटाला मामले की सुनवाई के लिए अलग कोर्ट है. सरकार ने टू-जी के लिए न केवल स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति की बल्कि पब्लिक प्रोसिक्युटर और एडिशनल पब्लिक प्रोसिक्युटर की भी नियुक्ति की.

भंडारी की नियुक्ति 2014 की है

डीपी सिंह ने कहा था कि हाल ही में दिल्ली दंगों को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया गया. इसमें सभी वकीलों की नियुक्ति की गई है. जिसमें सीनियर वकीलों की भी नियुक्ति की गई है. सीनियर वकीलों को दूसरा वकील सहयोग करता है. उन्होंने कहा था कि टू-जी केस में जब यूयू ललित की नियुक्ति की गई थी तो सरकार ने एक पब्लिक प्रोसिक्युटर और एडिशनल पब्लिक प्रोसिक्युटर भी नियुक्ति की थी. अगर एस भंडारी की नियुक्ति की गई तो ये फैसले का बाद किया गया. उनकी नियुक्ति 2014 की है. अपील भंडारी की ओर से तैयार नहीं की गई. सीबीआई ने दस्तावेज अभी तक आरोपियों को नहीं सौंपे.

जल्द सुनवाई की अनुमति दी थी

पिछले 29 सितंबर को कोर्ट ने इस मामले पर जल्द सुनवाई की अनुमति दे दी थी. सुनवाई के दौरान सीबीआई और ईडी की ओर से कहा गया था कि जल्द सुनवाई की मांग के पीछे जनहित है. वहीं दूसरी तरफ ए राजा समेत दूसरे आरोपियों ने कहा था कि जल्द सुनवाई की मांग का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि हाईकोर्ट के दिशानिर्देश के मुताबिक कोरोना के संकट के दौरान बरी किए जाने के फैसले पर सुनवाई करने में कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए.

ए राजा समेत 19 आरोपी हैं

इस मामले में सीबीआई और ईडी ने ए राजा औऱ कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। 25 मई 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया था. हाईकोर्ट ने इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया है.

2017 में बरी किया गया था

बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है.

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