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सरकारी स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश, गेस्ट शिक्षक सेवा मुक्त

दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने सरकारी स्कूलों में 20 अप्रैल से ग्रीष्मकालीन अवकाश की घोषणा कर दी है. साथ ही अतिथि शिक्षकों को भी सेवा मुक्त कर दिया गया है. इस संबंध में दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने एक सर्कुलर जारी किया है.

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Published : Apr 20, 2021, 2:35 PM IST

guest teacher freed from service in delhi
सरकार के आदेश से अतिथि शिक्षकों पर संकट

नई दिल्ली : दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने सरकारी स्कूलों में 20 अप्रैल से ग्रीष्मकालीन अवकाश की घोषणा कर दी है. वहीं इसी के साथ दिल्ली शिक्षा निदेशालय की ओर से एक और सर्कुलर जारी किया गया है. जिसमें कहा गया कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के साथ ही अतिथि शिक्षकों को भी सेवा मुक्त कर दिया गया है. शिक्षा निदेशालय के सर्कुलर में कहा गया है कि अतिथि शिक्षकों को 19 अप्रैल तक मानदेय दिया जाएगा. अगर स्कूल में ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान अतिथि शिक्षकों को कार्य के लिए बुलाया जाता है तो उन्हें नियमों के मुताबिक उसका मानदेय मिलेगा.

सरकार के आदेश से अतिथि शिक्षकों पर संकट
अतिथि शिक्षक हुए सेवा मुक्त
दिल्ली शिक्षा निदेशालय के जारी सर्कुलर में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2021-22 में ग्रीष्मकालीन अवकाश 20 अप्रैल से 9 जून तक रहेगा. इस दौरान सभी स्कूलों के प्रिंसिपल को निर्देश दिया गया है कि 20 अप्रैल से अतिथि शिक्षकों को भी सेवा मुक्त कर दिया गया है. सर्कुलर में कहा गया है कि प्रिंसिपल अतिथि शिक्षकों को जरूरत पड़ने पर अकादमिक कार्य के लिए स्कूल बुला सकते हैं. हालांकि इस दौरान उन्हें कोरोना नियमों का सख्ती से पालन करना होगा. साथ ही कहा गया कि जिन भी अतिथि शिक्षकों को ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान बुलाया जाएगा उन्हें नियमों के मुताबिक मानदेय दिया जाएगा.


ये भी पढ़ें : केजरीवाल के 'मैं हूं ना' के आश्वासन के बावजूद घरों के लिए निकले हजारों प्रवासी कामगार

सरकार के आदेश से अतिथि शिक्षकों पर संकट

वहीं, ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण डेडा ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक तरफ कह रहे हैं कि इस महामारी के समय पूरा देश पीड़ित है, लेकिन अतिथि शिक्षकों को सेवा मुक्त करने से इस महामारी में उन पर दोहरी मार पड़ी है. अब उन हजारों अतिथि शिक्षकों पर अपने परिवार का पालन पोषण का संकट आ पड़ा है.

पंचर बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा

अरुण डेडा ने कहा कि गत वर्ष भी इसी तरह के आदेश की वजह से अतिथि शिक्षकों को सब्जी बेचने, पंचर बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इसके अलावा उन्होंने कहा कि दिल्ली में अतिथि शिक्षक देश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं और यहां पर ज्यादातर अतिथि शिक्षक किराए के मकान में रहकर किसी तरह अपना गुजर बसर कर रहे हैं. इस दौरान अरुण ने सरकार से मांग की है कि वह अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करें.

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GSTA ने जताई नाराजगी

वहीं, राजकीय स्कूल शिक्षक संघ (जीएसटीए), डिस्ट्रिक्ट, वेस्ट ए, सेक्रेटरी, संतराम ने कहा कि अचानक स्कूल कैलेंडर का बदलना और अतिथि शिक्षकों को हटाना अमानवीय है. उन्होंने कहा कि अचानक ऐसा करना सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा होता है. साथ ही कहा कि इस महामारी के समय में सरकार को सभी का बराबर ख्याल रखना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने सरकार से अपने फैसले पर तुरंत विचार करने की मांग की है.

नई दिल्ली : दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने सरकारी स्कूलों में 20 अप्रैल से ग्रीष्मकालीन अवकाश की घोषणा कर दी है. वहीं इसी के साथ दिल्ली शिक्षा निदेशालय की ओर से एक और सर्कुलर जारी किया गया है. जिसमें कहा गया कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के साथ ही अतिथि शिक्षकों को भी सेवा मुक्त कर दिया गया है. शिक्षा निदेशालय के सर्कुलर में कहा गया है कि अतिथि शिक्षकों को 19 अप्रैल तक मानदेय दिया जाएगा. अगर स्कूल में ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान अतिथि शिक्षकों को कार्य के लिए बुलाया जाता है तो उन्हें नियमों के मुताबिक उसका मानदेय मिलेगा.

सरकार के आदेश से अतिथि शिक्षकों पर संकट
अतिथि शिक्षक हुए सेवा मुक्त
दिल्ली शिक्षा निदेशालय के जारी सर्कुलर में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2021-22 में ग्रीष्मकालीन अवकाश 20 अप्रैल से 9 जून तक रहेगा. इस दौरान सभी स्कूलों के प्रिंसिपल को निर्देश दिया गया है कि 20 अप्रैल से अतिथि शिक्षकों को भी सेवा मुक्त कर दिया गया है. सर्कुलर में कहा गया है कि प्रिंसिपल अतिथि शिक्षकों को जरूरत पड़ने पर अकादमिक कार्य के लिए स्कूल बुला सकते हैं. हालांकि इस दौरान उन्हें कोरोना नियमों का सख्ती से पालन करना होगा. साथ ही कहा गया कि जिन भी अतिथि शिक्षकों को ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान बुलाया जाएगा उन्हें नियमों के मुताबिक मानदेय दिया जाएगा.


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सरकार के आदेश से अतिथि शिक्षकों पर संकट

वहीं, ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण डेडा ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक तरफ कह रहे हैं कि इस महामारी के समय पूरा देश पीड़ित है, लेकिन अतिथि शिक्षकों को सेवा मुक्त करने से इस महामारी में उन पर दोहरी मार पड़ी है. अब उन हजारों अतिथि शिक्षकों पर अपने परिवार का पालन पोषण का संकट आ पड़ा है.

पंचर बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा

अरुण डेडा ने कहा कि गत वर्ष भी इसी तरह के आदेश की वजह से अतिथि शिक्षकों को सब्जी बेचने, पंचर बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इसके अलावा उन्होंने कहा कि दिल्ली में अतिथि शिक्षक देश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं और यहां पर ज्यादातर अतिथि शिक्षक किराए के मकान में रहकर किसी तरह अपना गुजर बसर कर रहे हैं. इस दौरान अरुण ने सरकार से मांग की है कि वह अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करें.

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GSTA ने जताई नाराजगी

वहीं, राजकीय स्कूल शिक्षक संघ (जीएसटीए), डिस्ट्रिक्ट, वेस्ट ए, सेक्रेटरी, संतराम ने कहा कि अचानक स्कूल कैलेंडर का बदलना और अतिथि शिक्षकों को हटाना अमानवीय है. उन्होंने कहा कि अचानक ऐसा करना सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा होता है. साथ ही कहा कि इस महामारी के समय में सरकार को सभी का बराबर ख्याल रखना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने सरकार से अपने फैसले पर तुरंत विचार करने की मांग की है.

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