नई दिल्ली : दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने सरकारी स्कूलों में 20 अप्रैल से ग्रीष्मकालीन अवकाश की घोषणा कर दी है. वहीं इसी के साथ दिल्ली शिक्षा निदेशालय की ओर से एक और सर्कुलर जारी किया गया है. जिसमें कहा गया कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के साथ ही अतिथि शिक्षकों को भी सेवा मुक्त कर दिया गया है. शिक्षा निदेशालय के सर्कुलर में कहा गया है कि अतिथि शिक्षकों को 19 अप्रैल तक मानदेय दिया जाएगा. अगर स्कूल में ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान अतिथि शिक्षकों को कार्य के लिए बुलाया जाता है तो उन्हें नियमों के मुताबिक उसका मानदेय मिलेगा.
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सरकार के आदेश से अतिथि शिक्षकों पर संकट
वहीं, ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण डेडा ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक तरफ कह रहे हैं कि इस महामारी के समय पूरा देश पीड़ित है, लेकिन अतिथि शिक्षकों को सेवा मुक्त करने से इस महामारी में उन पर दोहरी मार पड़ी है. अब उन हजारों अतिथि शिक्षकों पर अपने परिवार का पालन पोषण का संकट आ पड़ा है.
पंचर बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा
अरुण डेडा ने कहा कि गत वर्ष भी इसी तरह के आदेश की वजह से अतिथि शिक्षकों को सब्जी बेचने, पंचर बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इसके अलावा उन्होंने कहा कि दिल्ली में अतिथि शिक्षक देश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं और यहां पर ज्यादातर अतिथि शिक्षक किराए के मकान में रहकर किसी तरह अपना गुजर बसर कर रहे हैं. इस दौरान अरुण ने सरकार से मांग की है कि वह अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करें.
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GSTA ने जताई नाराजगी
वहीं, राजकीय स्कूल शिक्षक संघ (जीएसटीए), डिस्ट्रिक्ट, वेस्ट ए, सेक्रेटरी, संतराम ने कहा कि अचानक स्कूल कैलेंडर का बदलना और अतिथि शिक्षकों को हटाना अमानवीय है. उन्होंने कहा कि अचानक ऐसा करना सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा होता है. साथ ही कहा कि इस महामारी के समय में सरकार को सभी का बराबर ख्याल रखना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने सरकार से अपने फैसले पर तुरंत विचार करने की मांग की है.