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जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर देश के नौनिहाल, सवालों के घेरे में विधायक और PWD विभाग

प्रिंसिपल ने कहा कि इस ब्लॉक को सही कराने की कई बार अर्जी डाली जा चुकी है, लेकिन पीडब्ल्यूडी की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई है. इसमें उनका क्या कसूर है?

केजरीवाल सरकार के दावों की खुली पोल
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Published : Oct 11, 2019, 10:34 AM IST

नई दिल्ली: सरकारी स्कूलों की शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर में लगातार सुधार का दावा करने वाली दिल्ली सरकार के दावों कहीं-कहीं फेल होते दिख रहे हैं. नजफगढ़ के उजवा गांव में स्थित गवर्नमेंट बॉयस सीनियर सेकेंडरी स्कूल की बिल्डिंग का एक ब्लॉक जर्जर हालत में है.

गवर्नमेंट बॉयस सीनियर सेकेंडरी स्कूल की हालत जर्जर

प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं की गई
डेंजर जोन घोषित होने के बाद भी इस पर ना कोई प्रशासनिक कार्रवाई हुई ना, ही स्कूल प्रशासन ने इस ब्लॉक की मरम्मत कराने की जहमत उठाई. सैकड़ों बच्चों के जीवन को खतरे में डालकर स्कूल चलाया जा रहा है. अभिभावकों का आरोप है कि उन्होंने कई बार इसकी शिकायत प्रिंसिपल से की, लेकिन अभी भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है.

Government Boys Senior Secondary School bad condition in najafgarh delhi
डेंजर जोन घोषित किया गया

प्रिंसिपल ने कहा कि इस ब्लॉक को सही कराने की कई बार अर्जी डाली जा चुकी है, लेकिन पीडब्ल्यूडी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इसमें उनका क्या कसूर है? अचानक अभिभावकों के पहुंच जाने से स्कूल के प्रिंसिपल ने बौखलाहट में कहा कि स्कूल में किसी तरह का इंस्पेक्शन नहीं हुआ है और ना ही किसी खामी को लेकर उन्हें कोई रिपोर्ट सौंपी गई है. जबकि स्कूल बिल्डिंग पर स्पष्ट रूप से डेंजर जोन मार्क किया जा चुका है. प्रिंसिपल ने साफ तौर पर कहा कि उनके हाथ में केवल कागजी कार्रवाई है जो उन्होंने पूरी की है. उन्होंने लिखित तौर पर शिकायत की, लेकिन प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई.

Government Boys Senior Secondary School bad condition in najafgarh delhi
जर्जर हालत में स्कूल

'कोई भी फंड सेक्शन नहीं किया जाता'
वहीं एक गैर सरकारी संस्था इंटेलेक्चुअल फॉर्म फॉर ह्यूमन राइट्स के चैयरमैन राहुल भारत ने बताया कि स्कूल की जर्जर स्थिति को लेकर उन्होंने प्रिंसिपल से शिकायत की. उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल के यह कहने पर कि पीडब्लूडी एक्शन नहीं लेता, उन्होंने पीडब्ल्यूडी विभाग और विधायक से भी बात की, तो उन्हें केवल आश्वासन ही मिला. वहीं स्कूल के प्रिंसिपल और अन्य अधिकारियों से पता चला कि इस स्कूल के नाम पर कोई भी फंड सैंक्शन नहीं किया जाता. जिसका कारण पूछने पर यह समझ आया कि यहां बच्चों की संख्या कम है.

नई दिल्ली: सरकारी स्कूलों की शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर में लगातार सुधार का दावा करने वाली दिल्ली सरकार के दावों कहीं-कहीं फेल होते दिख रहे हैं. नजफगढ़ के उजवा गांव में स्थित गवर्नमेंट बॉयस सीनियर सेकेंडरी स्कूल की बिल्डिंग का एक ब्लॉक जर्जर हालत में है.

गवर्नमेंट बॉयस सीनियर सेकेंडरी स्कूल की हालत जर्जर

प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं की गई
डेंजर जोन घोषित होने के बाद भी इस पर ना कोई प्रशासनिक कार्रवाई हुई ना, ही स्कूल प्रशासन ने इस ब्लॉक की मरम्मत कराने की जहमत उठाई. सैकड़ों बच्चों के जीवन को खतरे में डालकर स्कूल चलाया जा रहा है. अभिभावकों का आरोप है कि उन्होंने कई बार इसकी शिकायत प्रिंसिपल से की, लेकिन अभी भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है.

Government Boys Senior Secondary School bad condition in najafgarh delhi
डेंजर जोन घोषित किया गया

प्रिंसिपल ने कहा कि इस ब्लॉक को सही कराने की कई बार अर्जी डाली जा चुकी है, लेकिन पीडब्ल्यूडी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इसमें उनका क्या कसूर है? अचानक अभिभावकों के पहुंच जाने से स्कूल के प्रिंसिपल ने बौखलाहट में कहा कि स्कूल में किसी तरह का इंस्पेक्शन नहीं हुआ है और ना ही किसी खामी को लेकर उन्हें कोई रिपोर्ट सौंपी गई है. जबकि स्कूल बिल्डिंग पर स्पष्ट रूप से डेंजर जोन मार्क किया जा चुका है. प्रिंसिपल ने साफ तौर पर कहा कि उनके हाथ में केवल कागजी कार्रवाई है जो उन्होंने पूरी की है. उन्होंने लिखित तौर पर शिकायत की, लेकिन प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई.

Government Boys Senior Secondary School bad condition in najafgarh delhi
जर्जर हालत में स्कूल

'कोई भी फंड सेक्शन नहीं किया जाता'
वहीं एक गैर सरकारी संस्था इंटेलेक्चुअल फॉर्म फॉर ह्यूमन राइट्स के चैयरमैन राहुल भारत ने बताया कि स्कूल की जर्जर स्थिति को लेकर उन्होंने प्रिंसिपल से शिकायत की. उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल के यह कहने पर कि पीडब्लूडी एक्शन नहीं लेता, उन्होंने पीडब्ल्यूडी विभाग और विधायक से भी बात की, तो उन्हें केवल आश्वासन ही मिला. वहीं स्कूल के प्रिंसिपल और अन्य अधिकारियों से पता चला कि इस स्कूल के नाम पर कोई भी फंड सैंक्शन नहीं किया जाता. जिसका कारण पूछने पर यह समझ आया कि यहां बच्चों की संख्या कम है.

Intro:नई दिल्ली ।

शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर विकास करने की डींगें हांकने वाली दिल्ली सरकार की पोल खोली नजफगढ़ के उजवा गांव में स्थित गवर्नमेंट बॉयस सीनियर सेकेंडरी स्कूल ने जहां पर स्कूल की बिल्डिंग का एक ब्लॉक जर्जर हालत में खड़ा है. डेंजर जोन घोषित करने के बाबत इस पर ना कोई प्रशासनिक कार्यवाही हुई ना ही स्कूल प्रशासन ने इस ब्लॉक की मरम्मत कराने की जहमत उठाई. सैकड़ों बच्चों के जीवन को दांव पर लगाकर स्कूल चलाया जा रहा है. वहीं अभिभावकों का आरोप है कि उन्होंने कई दफा इसकी शिकायत प्रिंसिपल से की लेकिन अभी भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है.


Body:दिल्ली सरकार के स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस स्कूल बनाने के दावों की पोल खोलता नजर आया नजफगढ़ का एक सरकारी स्कूल. गवर्नमेंट बॉयस सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बना एक क्लॉक पूरी तरह जर्जर हालत में दिखाई दिया. वहीं स्कूल की ऐसी स्थिति को लेकर अभिभावकों में अपने बच्चों के जीवन की सुरक्षा को लेकर काफी चिंता है. इस स्थिति में सुधार के लिए अभिभावकों ने कई बार प्रिंसिपल से बात करनी चाही पर उन्होंने साफ इनकार कर दिया. बार-बार प्रयास करने पर जब प्रिंसिपल से मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा कि इस ब्लॉक को सही कराने की कई बार अर्जी डाली जा चुकी है लेकिन पीडब्ल्यूडी की ओर से कोई कार्यवाई नहीं की गई तो इसमें उनका क्या कसूर है.

स्कूल में अचानक अभिभावकों के पहुंच जाने से स्कूल प्रिंसिपल की स्थिति बदहाल हो गई और बौखलाहट में उन्होंने यहां तक कह दिया कि ना ही स्कूल में किसी तरह का इंस्पेक्शन हुआ है और ना ही किसी खामी को लेकर उन्हें कोई रिपोर्ट सौंपी गई है जबकि स्कूल बिल्डिंग पर स्पष्ट रूप से डेंजर जोन मार्क किया जा चुका है बाबत इसके प्रिंसिपल सभी तथ्यों को सिरे से नकार कर खुद को बचाने की नाकाम कोशिश में लगे नजर आए. प्रिंसिपल ने साफ तौर पर कहा कि उनके हाथ में केवल कागजी कार्रवाई है जो उन्होंने पूरी की है. उन्होंने लिखित तौर पर शिकायत की लेकिन प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं की गई.

वहीं उजवा गांव के जो छात्र इस जर्जर बिल्डिंग पढ़ाई कर रहे हैं उनके अभिभावक हमेशा इसी बात से डरे रहते हैं कहीं उनका बच्चा किसी घटना का शिकार ना हो जाए. इसको लेकर जब अभिभावकों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कई बार प्रिंसिपल से इस बिल्डिंग को शिकायत की गई. जहां बच्चे पानी पीने आते हैं और खेलते हैं बिल्डिंग ठीक उसके पास है और कभी-कभी तो वहां से पत्थर के कुछ टुकड़े भी गिरते हुए नजर आते हैं. ऐसे में हमेशा डर सताता है कि कहीं बच्चों के ऊपर बिल्डिंग गिर ना जाए. बिल्डिंग की स्थिति इतनी खराब है कि किसी भी समय कोई भी दर्दनाक हादसा हो सकता है लेकिन फिर भी न ही स्कूल प्रशासन की नींद खुल रही है और ना ही सरकार की. वहीं इस स्कूल से पढ़े हुए अभिभावक ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा किए जा रहे स्कूलों में बदलाव के सभी दावे खोखले हैं. दिल्ली सरकार ने यहां के स्कूलों में कोई विकास कार्य नहीं किया. उनका कहना है कि यदि प्रशासन कोई कार्यवाई नहीं करेगा तो अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए जो भी बन पड़ेगा वह करेंगे लेकिन अपने बच्चों की जान जोखिम में नहीं रहने देंगे.

वहीं एक गैर सरकारी संस्था इंटेलेक्चुअल फॉर्म फॉर ह्यूमन राइट्स के चैयरमैन राहुल भारत ने बताया कि स्कूल की जर्जर स्थिति को लेकर उन्होंने प्रिंसिपल से शिकायत की और प्रिंसिपल के यह कहने पर कि पीडब्लूडी एक्शन नहीं लेता उन्होंने जाकर पीडब्ल्यूडी विभाग और विधायक से भी बात की तो उन्हें केवल आश्वासन ही मिला. वहीं स्कूल के प्रिंसिपल और अन्य अधिकारियों से पता चला कि इस स्कूल के नाम पर कोई भी फंड सैंक्शन नहीं किया जाता जिसका कारण पूछने पर यह समझ आया कि यहां बच्चों की संख्या कम है. वहीं राहुल ने कहा कि जब यह पता लगाने की कोशिश की गई कि यहां बच्चों की संख्या कम क्यों है तो गांववालों ने कहा कि ऐसी जर्जर बिल्डिंग में कोई अपना बच्चा पढ़ने के लिए क्यों भेजेगा और गरीबों के पास इतना पैसा है नहीं कि वह बच्चों को निजी स्कूलों में भर्ती करा सकें. यही कारण है कि बच्चों की जान की सलामती के लिए अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं. राहुल ने यह भी बताया कि भले दिल्ली सरकार दिल्ली के स्कूलों में विकास कार्यों का दावा करें लेकिन गांव के स्कूलों में एक पाई भी खर्च नहीं की है. गांव की बिल्डिंग की हालत इतनी खराब है कि उसमें सांप और बिच्छू जैसे जहरीले जीव जंतु रहते हैं और हर कदम पर बच्चों की जान खतरे में रहती है. उन्होंने कहा कि जितने भी शिक्षक इस स्कूल में पढ़ा रहे हैं उन सभी के बच्चे निजी स्कूल में पढ़ते हैं यानी शिक्षक भी अपने बच्चों को इस तरह के स्कूलों में नहीं पढ़ाना चाहते ऐसे में सरकार द्वारा किए जा रहे हैं सभी दावे महज़ उनका बड़बोला पन है और कुछ नहीं.




Conclusion:नजफगढ़ गांव के उजवा इलाके में जर्जर हालात में बड़ी बिल्डिंग को ना गिराए जाने से अभिभावकों में खासी नाराजगी है जिसकी वजह से वह अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ने के लिए भेजने से भी कतरा रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि दिल्ली सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने को लेकर किए जा रहे दावों में कितनी सच्चाई है.
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