नई दिल्ली: लंबे इंतजार के बाद आखिरकार कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवारों की सूची जारी हो गई है. हालांकि अभी भी 16 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय नहीं हो सके हैं, 70 में से 54 सीटों पर ही कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा की है.
इस सूची में गौर करने वाली बात यह है कि पांच ऐसे चेहरे हैं, जो शीला दीक्षित की कैबिनेट में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज रह चुके हैं. इनमें से तीन नेता, डॉ अशोक वालिया, कृष्णा तीरथ और नरेंद्र नाथ वे नाम हैं, जो शीला दीक्षित के पहले कैबिनेट में ही मंत्री रहे थे. वहीं बाद में शीला दीक्षित के दो सरकारों में मंत्री रहे दो नेता हारून यूसुफ और अरविंदर सिंह लवली को भी पार्टी ने इस बार मौका दिया है.
महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री थे नरेंद्र नाथ
गौरतलब है कि नरेंद्र नाथ 1998 से 2008 तक लगातार 10 साल शाहदरा से विधायक रहे. शीला दीक्षित की पहली सरकार में उन्हें शिक्षा, ऊर्जा और टूरिज्म जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी मिली थी. 2013 में उन्हें भाजपा के जितेंद्र सिंह शंटी और 2015 में आम आदमी पार्टी के राम निवास गोयल से हार का सामना करना पड़ा था. इस बार भी उनका सामना रामनिवास गोयल से ही होगा.
डॉ वालिया इस बार कृष्णा नगर से
पहली विधानसभा से चौथी विधानसभा तक लगातार 4 बार विधानसभा के सदस्य रहे डॉ अशोक वालिया ने शीला कैबिनेट में स्वास्थ्य, शहरी विकास और भूमि व भवन जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली थी. 2013 में लक्ष्मीनगर से उन्हें आम आदमी पार्टी के विनोद कुमार बिन्नी और फिर 2015 में नितिन त्यागी से मात मिली थी. गौरतलब है कि डॉ वालिया ने 2008 तक जिस गीता कॉलोनी विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया था, उसका बड़ा हिस्सा परिसीमन के बाद कृष्णा नगर में चला गया और शायद यही कारण है कि इसबार वे कृष्णा नगर से किस्मत आजमा रहे हैं.
वापसी के बाद तीरथ पर भरोसा
कृष्णा तीरथ के पास शीला दीक्षित की पहली कैबिनेट में समाज कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी थी. वे कांग्रेस की सरकार में केंद्रीय कैबिनेट में भी मंत्री रहीं. हालांकि 2014 में कांग्रेस की बुरी हार के बाद 2015 में भाजपा में शामिल हुईं और पटेल नगर विधानसभा से चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गईं और फिर 2019 में वापस कांग्रेस में शामिल हो गईं. इसबार कांग्रेस ने उन्हें पटेल नगर से ही मैदान में उतारा है.
फिर से बल्लीमारान में हारून यूसुफ
लगातार चार बार विधायक रहे हारून यूसुफ भी शीला दीक्षित की कैबिनेट में अहम पदों पर रहे थे. वे फूड एंड सप्लाई, उद्योग, परिवहन और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण मामलों के मंत्री रहे. 2013 में भी हारून यूसुफ ने बल्लीमारान से जीत दर्ज की थी, लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के इमरान हुसैन से हार गए. इसबार फिर यही से जोर आजमाएंगे.
लवली के सामने फिर वाजपेयी
1998 से 2013 तक लगातार विधायक रहे अरविंदर सिंह लवली शीला दीक्षित की सरकार में शहरी विकास, शिक्षा और परिवहन जैसे विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. 2015 में उन्हें गांधीनगर से आम आदमी पार्टी के अनिल वाजपेयी से हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि अनिल वाजपेयी बाद में भाजपा में शामिल हो गए और अभी भाजपा से ही चुनाव लड़ रहे हैं. इसबार भी लवली का सामना वाजपेयी से ही होगा.
शीला की गैरमौजूदगी में उनके मंत्रियों का सहारा
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने शीला दीक्षित के अनुभव को अपनी मजबूती बनाते हुए दिल्ली की सातों सीटों पर 2014 की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया था. लेकिन अब तो शीला रहीं नहीं. देखने वाली बात होगी कि उनकी गैरमौजूदगी में उनके साथी मंत्री रहे नेता कांग्रेस को इस विधानसभा चुनाव में कितनी कामयाबी दिला पाते हैं.