नई दिल्ली: कहते हैं विश्वास हो, मेहनत हो, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं, हम अक्सर आगे बढ़ने के लिए अपनों का साथ चाहते हैं और कई बार अपनों का साथ होने के बाद भी हम कामयाब नहीं हो पाते लेकिन इसे गलत साबित कर दिखाया है अनाथ बच्चों ने. जो बचपन से अनाथालय में रही और अपनी पढ़ाई पूरी कर आज अच्छी जगह नौकरी कर खुद का घर लेकर रह रही है.
जज्बे को सलाम! बचपन अनाथालय में गुजरा फिर भी नहीं मानी हार, हासिल किया मुकाम
ईटीवी भारत ने तृप्ति और रितिका से खास बातचीत की जिसमें पता चला कि तृप्ति और रितिका बचपन में खो गई थी या किसी ने शायद उन्हें छोड़ दिया था. जिसके बाद पुलिस ने उन्हें बाल शिशु गृह में पहुंचाया.
ईटीवी भारत की खास बातचीत
नई दिल्ली: कहते हैं विश्वास हो, मेहनत हो, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं, हम अक्सर आगे बढ़ने के लिए अपनों का साथ चाहते हैं और कई बार अपनों का साथ होने के बाद भी हम कामयाब नहीं हो पाते लेकिन इसे गलत साबित कर दिखाया है अनाथ बच्चों ने. जो बचपन से अनाथालय में रही और अपनी पढ़ाई पूरी कर आज अच्छी जगह नौकरी कर खुद का घर लेकर रह रही है.
ईटीवी भारत ने तृप्ति और रितिका से खास बातचीत की जिसमें पता चला कि तृप्ति और रितिका बचपन में खो गई थी या किसी ने शायद उन्हें छोड़ दिया था. जिसके बाद पुलिस ने उन्हें बाल शिशु गृह में पहुंचाया.
महिला सदन से निकलकर की नौकरी
रितिका ने ईटीवी भारत को बताया कि वह जब छोटी थी तो पुलिस ने उन्हें बाल शिशु गृह में पहुंचाया था. जहां वह 16 साल तक रही और उसके बाद उन्हें महिला सदन भेज दिया गया. जहां उन्हें नौकरी, या शादी करके ही बाहर निकलना था, लेकिन उन्होंने शादी करने की बजाय नौकरी करना और अपने पैरों पर खड़े होकर दिखाना बेहतर समझा. जिसके बाद वह आज एक अच्छी कंपनी में अच्छी सैलरी पर काम कर रही हैं और अपने जैसे ही बच्चों की मदद कर रही हैं.
बचपन में एक परिवार ने लिया गोद
इसके अलावा तृप्ति ने ईटीवी भारत को बताया कि वह बचपन से ही एक परिवार के साथ रहे. जिन्होंने उन्हें माता पिता के समान प्यार दिया और उनका ध्यान रखा, और आज वो एक टीचर हैं और इसी के साथ B.A सेकंड ईयर की पढ़ाई भी कर रही है.
कभी नहीं लगा असुरक्षित
इसके अलावा जब हमने रितिका और तृप्ति से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल किया तो उनका कहना था कि उन्हें कभी भी ऐसा महसूस नहीं हुआ. क्योंकि वह कभी अकेली नहीं थी. उनके साथ हमेशा उनका आत्मविश्वास था. बहुत ही निडर और निडरता के साथ इस दुनिया में रहती हैं.
एक सकारात्मक सोच रखना जरूरी
जब हमने रितिका से बात की तो उन्होंने बड़े ही विश्वास से कहा कि उन्हें आज नहीं लगता कि वह एक अनाथ हैं क्योंकि उनके पास कई ऐसे लोग हैं जो उन्हें परिवार की तरह मानते हैं.वे हमेशा हमारी मदद करते हैं और एक विश्वास देते हैं कि वह अपने जीवन में आगे बढ़े और नकारात्मक चीजों के बारे में ना सोचकर सकारात्मक चीजों के बारे में सोचें.
ईटीवी भारत ने तृप्ति और रितिका से खास बातचीत की जिसमें पता चला कि तृप्ति और रितिका बचपन में खो गई थी या किसी ने शायद उन्हें छोड़ दिया था. जिसके बाद पुलिस ने उन्हें बाल शिशु गृह में पहुंचाया.
महिला सदन से निकलकर की नौकरी
रितिका ने ईटीवी भारत को बताया कि वह जब छोटी थी तो पुलिस ने उन्हें बाल शिशु गृह में पहुंचाया था. जहां वह 16 साल तक रही और उसके बाद उन्हें महिला सदन भेज दिया गया. जहां उन्हें नौकरी, या शादी करके ही बाहर निकलना था, लेकिन उन्होंने शादी करने की बजाय नौकरी करना और अपने पैरों पर खड़े होकर दिखाना बेहतर समझा. जिसके बाद वह आज एक अच्छी कंपनी में अच्छी सैलरी पर काम कर रही हैं और अपने जैसे ही बच्चों की मदद कर रही हैं.
बचपन में एक परिवार ने लिया गोद
इसके अलावा तृप्ति ने ईटीवी भारत को बताया कि वह बचपन से ही एक परिवार के साथ रहे. जिन्होंने उन्हें माता पिता के समान प्यार दिया और उनका ध्यान रखा, और आज वो एक टीचर हैं और इसी के साथ B.A सेकंड ईयर की पढ़ाई भी कर रही है.
कभी नहीं लगा असुरक्षित
इसके अलावा जब हमने रितिका और तृप्ति से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल किया तो उनका कहना था कि उन्हें कभी भी ऐसा महसूस नहीं हुआ. क्योंकि वह कभी अकेली नहीं थी. उनके साथ हमेशा उनका आत्मविश्वास था. बहुत ही निडर और निडरता के साथ इस दुनिया में रहती हैं.
एक सकारात्मक सोच रखना जरूरी
जब हमने रितिका से बात की तो उन्होंने बड़े ही विश्वास से कहा कि उन्हें आज नहीं लगता कि वह एक अनाथ हैं क्योंकि उनके पास कई ऐसे लोग हैं जो उन्हें परिवार की तरह मानते हैं.वे हमेशा हमारी मदद करते हैं और एक विश्वास देते हैं कि वह अपने जीवन में आगे बढ़े और नकारात्मक चीजों के बारे में ना सोचकर सकारात्मक चीजों के बारे में सोचें.
Intro:कहते हैं विश्वास हो, मेहनत हो, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं, हम अक्सर आगे बढ़ने के लिए अपनों का साथ चाहते हैं और कई बार अपनों का साथ होने के बाद भी हम कामयाब नहीं हो पाते लेकिन इसे गलत साबित कर दिखाया है उन अनाथ बच्चों ने उन, अनाथ लड़कियों ने जो बचपन से अनाथालय में रही और अपनी पढ़ाई पूरी कर आज अच्छी जगह नौकरी कर खुद का घर लेकर रह रही है.
Body:बच्चन में पुलिस ने अनाथालय में छोड़ा
ईटीवी भारत में तृप्ति और रितिका से खास बातचीत की जिसमें पता चला कि तृप्ति और रितिका बचपन में खो गई थी या किसी ने शायद उन्हें छोड़ दिया था जिसके बाद पुलिस ने उन्हें बाल शिशु ग्रह में पहुंचाया.
महिला सदन से निकलकर की नौकरी
रितिका ने ईटीवी भारत को बताओ कि वह जब छोटी थी तो पुलिस ने उन्हें बाल शिशु ग्रह में पहुंचाया था जहां वह 16 साल तक रही और उसके बाद उन्हें महिला सदन भेज दिया गया जहां उन्हें नौकरी, या शादी करके ही बाहर निकलना था लेकिन उन्होंने शादी करने के बजाय नौकरी करना और अपने पैरों पर खड़े होकर दिखाना बेहतर समझा, जिसके बाद वह आज एक अच्छी कंपनी में अच्छी सैलरी पर काम कर रही हैं और अपने जैसे ही बच्चों की मदद कर रही हैं.
बचपन में एक परिवार ने लिया गोद
इसके अलावा तृप्ति ने ईटीवी भारत को बताया कि वह बचपन से ही एक परिवार के साथ रहे जिन्होंने उन्हें माता पिता के समान प्यार दिया और उनका ध्यान रखा, और आज वो एक टीचर है और इसी के साथ b.a. सेकंड ईयर की पढ़ाई भी कर रही है,
कभी नहीं लगा असुरक्षित
इसके अलावा जब हमने रितिका और तृप्ति से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल किया क्योंकि जो महिलाएं अपने परिवार के साथ इस दुनिया में रहती हैं वो भी अपना को असुरक्षित महसूस करती हैं तो क्या उन्हें कभी ऐसा महसूस हुआ जिस पर उनका कहना था कि उन्हें कभी भी ऐसा महसूस नहीं हुआ क्योंकि वह कभी अकेली नहीं थी उनके साथ हमेशा उनका आत्मविश्वास था बहुत ही निडर है और निडरता के साथ इस दुनिया में रहती हैं
Conclusion:एक सकारात्मक सोच रखना जरुरी
जब हमने रितिका से बात की तो उन्होंने बड़े ही विश्वास से कहां थी उन्हें आज नहीं लगता कि वह एक अनाथ है क्योंकि उनके पास कई ऐसे लोग है बच्चे हैं जो उनको परिवार है उनकी मदद करती हैं और उन्हें एक विश्वास देती हैं कि वह अपने जीवन में आगे बढ़े और नकारात्मक चीजों के बारे में ना सोचकर सकारात्मक चीजों के बारे में सोचें
Body:बच्चन में पुलिस ने अनाथालय में छोड़ा
ईटीवी भारत में तृप्ति और रितिका से खास बातचीत की जिसमें पता चला कि तृप्ति और रितिका बचपन में खो गई थी या किसी ने शायद उन्हें छोड़ दिया था जिसके बाद पुलिस ने उन्हें बाल शिशु ग्रह में पहुंचाया.
महिला सदन से निकलकर की नौकरी
रितिका ने ईटीवी भारत को बताओ कि वह जब छोटी थी तो पुलिस ने उन्हें बाल शिशु ग्रह में पहुंचाया था जहां वह 16 साल तक रही और उसके बाद उन्हें महिला सदन भेज दिया गया जहां उन्हें नौकरी, या शादी करके ही बाहर निकलना था लेकिन उन्होंने शादी करने के बजाय नौकरी करना और अपने पैरों पर खड़े होकर दिखाना बेहतर समझा, जिसके बाद वह आज एक अच्छी कंपनी में अच्छी सैलरी पर काम कर रही हैं और अपने जैसे ही बच्चों की मदद कर रही हैं.
बचपन में एक परिवार ने लिया गोद
इसके अलावा तृप्ति ने ईटीवी भारत को बताया कि वह बचपन से ही एक परिवार के साथ रहे जिन्होंने उन्हें माता पिता के समान प्यार दिया और उनका ध्यान रखा, और आज वो एक टीचर है और इसी के साथ b.a. सेकंड ईयर की पढ़ाई भी कर रही है,
कभी नहीं लगा असुरक्षित
इसके अलावा जब हमने रितिका और तृप्ति से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल किया क्योंकि जो महिलाएं अपने परिवार के साथ इस दुनिया में रहती हैं वो भी अपना को असुरक्षित महसूस करती हैं तो क्या उन्हें कभी ऐसा महसूस हुआ जिस पर उनका कहना था कि उन्हें कभी भी ऐसा महसूस नहीं हुआ क्योंकि वह कभी अकेली नहीं थी उनके साथ हमेशा उनका आत्मविश्वास था बहुत ही निडर है और निडरता के साथ इस दुनिया में रहती हैं
Conclusion:एक सकारात्मक सोच रखना जरुरी
जब हमने रितिका से बात की तो उन्होंने बड़े ही विश्वास से कहां थी उन्हें आज नहीं लगता कि वह एक अनाथ है क्योंकि उनके पास कई ऐसे लोग है बच्चे हैं जो उनको परिवार है उनकी मदद करती हैं और उन्हें एक विश्वास देती हैं कि वह अपने जीवन में आगे बढ़े और नकारात्मक चीजों के बारे में ना सोचकर सकारात्मक चीजों के बारे में सोचें