नई दिल्ली: बाहरी दिल्ली के अंतर्गत आने वाला बवाना विधानसभा घनी आबादी, औद्योगिक क्षेत्र, खेत-खलिहान और दिल्ली-देहात के लिए मशहूर है.
बता दें कि वर्ष 1993 में विधानसभा के दोबारा परिसीमन के बाद बवाना क्षेत्र को पिछड़ी और अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित कर दिया गया था. क्षेत्र के परिसीमन में 3 नए वार्ड पुठ कलां, बेगमपुर, शाहबाद डेयरी इस विधानसभा क्षेत्र से जुड़े थे. मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की बहुलता होने के कारण यहां कृषि के लिए भी बड़ा क्षेत्र है. लेकिन औद्योगिकरण के लिए दिल्ली सरकार की ओर से ज्यादातर जमीन अधिग्रहित कर ली गई थी.
लोग विधायक के कामकाज से असंतोष
साल 2013 और 2015 में बवाना विधानसभा के लोगों ने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों को समर्थन देकर भारी मतों से विजयी बनाया था. उपचुनाव में भी दोबारा आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी रामचंद्र भारी मतों से जीते. अब उनका कार्यकाल समाप्त होने वाला है. ऐसे में ईटीवी भारत ने जब विधानसभा क्षेत्र का जायजा लिया तो बड़ी संख्या में लोग विधायक के कामकाज से असंतोष दिखे.
परिवहन व्यवस्था दुरुस्त नहीं
हमारी पड़ताल के दौरान बवाना विधानसभा क्षेत्र की प्रमुख सड़कें तो ठीक-ठाक थी. मगर विधानसभा क्षेत्र के अंदर रिहायशी इलाकों में सड़कों की हालत खस्ताहाल मिली. कई इलाकों में पानी सप्ताह में 3 दिन ही आता है. वहीं, कई इलाकों में लोग आज भी समरसेबल का पानी पीने के लिए मजबूर हैं. दिल्ली का सुदूर इलाका होने से यहां की परिवहन व्यवस्था भी दुरुस्त नहीं है. डीटीसी बसों की संख्या आधी हो गई है. जिससे लोग खासे परेशान हैं.
बवाना क्षेत्र के प्रमुख इलाके-
बवाना गांव, बवाना औद्योगिक क्षेत्र, औचंदी बॉर्डर, बेगमपुर, पुठ कलां, हरेवली, प्रह्लादपुर, शाहबाद डेयरी, जेजे कॉलोनी, रोहिणी सेक्टर 20, 21, 22 व 24 प्रमुख हैं. क्षेत्र की कई कॉलोनियां बाहरी इलाकों के कई प्रमुख गांवों से घिरी हैं. इस क्षेत्र में नांगल ठाकरान, वाजिदपुर, माजरा डबास, पुठ खुर्द, होलंबी कला, खेड़ा खुर्द, सुलतानपुर डबास, होलंबी खुर्द जैसे गांव शामिल हैं.
जातीय समीकरण :
- अनुसूचित जाति 27 प्रतिशत
- पिछड़ा व अन्य वर्ग 27 प्रतिशत
- जाट 20 प्रतिशत
- मुस्लिम प्रतिशत 12 प्रतिशत
- ब्राह्मण 10 प्रतिशत
- बनिया 4 प्रतिशत
क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे :
- क्षेत्र में पानी की समस्या लंबे समय से मौजूद है, जिससे जनता पानी की समस्या से जूझ रही है.
- दर्जनों स्कूल हैं, मगर इनकी हालत खराब है, अध्यापकों के पद लंबे समय से खाली हैं.
- सड़कों की हालत में भी कुछ खास सुधार नहीं हुए हैं, अब भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में गलियां टूटी-फूटी हैं.
- मुख्य मार्ग पर जाम की समस्या आए दिन लोगों को परेशान करती है, इससे निपटने के लिए भी कोई उपाय नहीं है.
यहां दिल्ली सरकार का महर्षि बाल्मीकि अस्पताल है, मगर उसमें सुविधाएं नहीं हैं. पहले से जो सुविधाएं थी, उनमें भी कटौती कर दी गई हैं. मोहल्ला क्लीनिक बनाए गए हैं. लेकिन वहां पर कर्मचारी न होने से लोगों को परेशानी होते है.