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डॉ. बीसी रॉय अवॉर्डः भारत में इसका महत्व नोबेल पुरस्कार की तरह, पिछले चार साल से नहीं हुई इसकी घोषणा

भारत में डॉ. बिधान चंद्र रॉय अवॉर्ड का महत्व चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की तरह है. इसे पाने की ख्वाहिश हर डॉक्टर की होती है लेकिन एनएमसी के गठन के बाद इस अवॉर्ड की घोषणा नहीं की जा सकी है. वहीं, केंद्रीय राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने डॉक्टर की तुलना सीमा पर मौजूद फौज से की. भारत में कोरोना के दौरान कई डॉक्टरों की मौत भी हुई.

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Published : Jul 1, 2022, 5:50 PM IST

भारत में डॉ. बिधान चंद्र रॉय अवॉर्ड का महत्व चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की तरह है.
भारत में डॉ. बिधान चंद्र रॉय अवॉर्ड का महत्व चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की तरह है.

नई दिल्लीः भारत में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हर डॉक्टर का डॉ. बिधान चंद्र रॉय यानी डॉ. बीसी रॉय अवॉर्ड पाने का एक सपना होता है. भारतीय चिकित्सकों में इसका महत्व चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने जैसा होता है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council of India) इस अवार्ड की हर साल घोषणा करती थी, लेकिन जब से नेशनल मेडिकल काउंसिल (National Medical Commission) यानी एनएमसी का गठन किया गया है, तब से एलोपैथिक डॉक्टर्स को मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान डॉ. बीसी राय अवार्ड के लिए नॉमिनेशन भी बंद हो गया है. देशभर के डॉक्टर की संस्था ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. साथ ही एनएनसी पर सवाल खड़े किए हैं कि पिछले 4 वर्षों से डॉ. बीसी राय अवॉर्ड क्यों नहीं दिया जा रहा है?

फेमा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रोहन कृष्णन बताते हैं कि डॉ. बीसी रॉय अवॉर्ड डॉक्टरों को मिलने वाला सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड है, जो पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे डॉ बिधान चंद्र राय के नाम पर हर वर्ष चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने वाले डॉक्टर को दिया जाता है. हर वर्ष मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया कुछ डॉक्टर्स के नाम का सुझाव इस अवार्ड के लिए देती थी. जिनमें से विशेषज्ञों का एक पैनल योग्य उम्मीदवारों के नाम का चयन करता था, लेकिन पिछले 4 वर्षों से यह प्रक्रिया बंद कर दी गई है. क्योंकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग कर इसकी जगह पर नेशनल मेडिकल काउंसिल का गठन किया गया है, जो इसको लेकर काफी सुस्त रवैया अपना रहा है.

भारत में डॉ. बिधान चंद्र रॉय अवॉर्ड का महत्व चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की तरह है.

ये भी पढ़ेंः भारतीय उपमहाद्वीप के पहले चिकित्सा सलाहकार बने राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे की प्रेरणा !

बता दें, कोरोना की पहली लहर में दिल्ली में केवल 23 डॉक्टर्स की कोरोना संक्रमण से मौत हुई, जबकि दूसरी लहर के केवल डेढ़ महीने के दौरान ही 100 से ज्यादा डॉक्टर्स की मौत हो गई. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. जयेश लेले बताया कि 1 अप्रैल से 15 मई 2021 के बीच लगभग डेढ़ महीने के दौरान पूरे देश भर में 400 से अधिक डॉक्टर्स की कोरोना से मौत हुई. कोरोना की पहली लहर में दिसंबर 2020 तक पूरे देश में 740 डॉक्टर्स की मृत्यु हुई थी. कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या 4 गुना बढ़ गई. जुलाई और सितंबर तक कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या पीक टाइम में 94,000 तक पहुंच गई थी. 1 अप्रैल 2021 के बाद कोरोना मरीजों की संख्या जो बढ़ना शुरू हुई वह चार लाख के पास तक पहुंच गई.

राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे

वहीं, राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे के मौके पर आईएमए ईस्ट दिल्ली ब्रांच एवं गोयल हॉस्पिटल एंड यूरोलॉजी सेंटर ने मिलकर पूर्वी दिल्ली कृष्णा नगर के गोयल हॉस्पिटल में रक्त दान शिविर का आयोजन किया. साथ ही लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक भी किया गया. इस मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने रक्तदान करने वाले लोगों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया और कहा कि डॉक्टर समाज की सेवा कर रहे हैं. जिस तरीके से सेना के जवान बॉर्डर पर भारत माता की सेवा और रक्षा करते हैं, ठीक उसी तरीके से डॉक्टरों ने कोरोना काल में समाज की रक्षा की है.

राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे

नई दिल्लीः भारत में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हर डॉक्टर का डॉ. बिधान चंद्र रॉय यानी डॉ. बीसी रॉय अवॉर्ड पाने का एक सपना होता है. भारतीय चिकित्सकों में इसका महत्व चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने जैसा होता है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council of India) इस अवार्ड की हर साल घोषणा करती थी, लेकिन जब से नेशनल मेडिकल काउंसिल (National Medical Commission) यानी एनएमसी का गठन किया गया है, तब से एलोपैथिक डॉक्टर्स को मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान डॉ. बीसी राय अवार्ड के लिए नॉमिनेशन भी बंद हो गया है. देशभर के डॉक्टर की संस्था ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. साथ ही एनएनसी पर सवाल खड़े किए हैं कि पिछले 4 वर्षों से डॉ. बीसी राय अवॉर्ड क्यों नहीं दिया जा रहा है?

फेमा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रोहन कृष्णन बताते हैं कि डॉ. बीसी रॉय अवॉर्ड डॉक्टरों को मिलने वाला सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड है, जो पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे डॉ बिधान चंद्र राय के नाम पर हर वर्ष चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने वाले डॉक्टर को दिया जाता है. हर वर्ष मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया कुछ डॉक्टर्स के नाम का सुझाव इस अवार्ड के लिए देती थी. जिनमें से विशेषज्ञों का एक पैनल योग्य उम्मीदवारों के नाम का चयन करता था, लेकिन पिछले 4 वर्षों से यह प्रक्रिया बंद कर दी गई है. क्योंकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भंग कर इसकी जगह पर नेशनल मेडिकल काउंसिल का गठन किया गया है, जो इसको लेकर काफी सुस्त रवैया अपना रहा है.

भारत में डॉ. बिधान चंद्र रॉय अवॉर्ड का महत्व चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की तरह है.

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बता दें, कोरोना की पहली लहर में दिल्ली में केवल 23 डॉक्टर्स की कोरोना संक्रमण से मौत हुई, जबकि दूसरी लहर के केवल डेढ़ महीने के दौरान ही 100 से ज्यादा डॉक्टर्स की मौत हो गई. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. जयेश लेले बताया कि 1 अप्रैल से 15 मई 2021 के बीच लगभग डेढ़ महीने के दौरान पूरे देश भर में 400 से अधिक डॉक्टर्स की कोरोना से मौत हुई. कोरोना की पहली लहर में दिसंबर 2020 तक पूरे देश में 740 डॉक्टर्स की मृत्यु हुई थी. कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या 4 गुना बढ़ गई. जुलाई और सितंबर तक कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या पीक टाइम में 94,000 तक पहुंच गई थी. 1 अप्रैल 2021 के बाद कोरोना मरीजों की संख्या जो बढ़ना शुरू हुई वह चार लाख के पास तक पहुंच गई.

राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे

वहीं, राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे के मौके पर आईएमए ईस्ट दिल्ली ब्रांच एवं गोयल हॉस्पिटल एंड यूरोलॉजी सेंटर ने मिलकर पूर्वी दिल्ली कृष्णा नगर के गोयल हॉस्पिटल में रक्त दान शिविर का आयोजन किया. साथ ही लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक भी किया गया. इस मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने रक्तदान करने वाले लोगों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया और कहा कि डॉक्टर समाज की सेवा कर रहे हैं. जिस तरीके से सेना के जवान बॉर्डर पर भारत माता की सेवा और रक्षा करते हैं, ठीक उसी तरीके से डॉक्टरों ने कोरोना काल में समाज की रक्षा की है.

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