नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी तेल कंपनियों के अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज कर दी है. चीफ जस्टिस (chief Justice) डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता पूरी तरह से जानते हैं कि प्रेस में प्रचार कैसे किया जाता है.
कोर्ट ने कहा कि महज आरोप लगा देने से भ्रष्टाचार साबित नहीं हो जाता है. इसके लिए पुख्ता साक्ष्यों की जरुरत होती है. याचिका नेशनलिस्ट पावर पार्टी के अध्यक्ष शिव प्रताप सिंह पवार ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि एचपीसीएल, बीपीसीएल, आईओसीएल, गेल और ओएनजीसी अपनी कंपनियों के अंदर चल रही गैरकानूनी गतिविधियों की जांच की जानकारी नहीं दे रही है.
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उन्होंने आरोप लगाया कि इन कंपनियों के अधिकारियों ने 2013 में विभिन्न वेंडरों से निम्न गुणवत्ता वाले सामान खरीदे. इन कंपनियों को निम्न गुणवत्ता वाले सामानों की सप्लाई करनेवाले वेंडर्स को ब्लैकलिस्ट करना चाहिए और उसकी सीबीआई जांच की जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि सामानों की गुणवत्ता की जांच के लिए विशेषज्ञों की ओर से दिए गए साक्ष्य का होना जरूरी है.
इसलिए इस याचिका को मंजूर नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को जांच रिपोर्ट के लिए सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए, अगर सूचना के अधिकार के तहत भी कोई जानकारी नहीं दी जाती है तो अपील भी करनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि बिना किसी प्रमाण के और उनका पक्ष सुने बिना किसी अधिकारी को बर्खास्त नहीं किया जा सकता है.