नई दिल्ली: राजधानी में हाईकोर्ट ने जानवरों से कोरोना वायरस के फैलने की जांच में पशु चिकित्सकों की मदद लेने की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई के बाद ये आदेश दिया.
बाघ की कोरोना से मौत की बात सही नहीं
बता दें कि यह याचिका पशु अधिकार कार्यकर्ता संगीता डोगरा ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में एक बाघ की मौत कथित रुप से कोरोना वायरस से हुई थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सरकारें सभी जरुरी कदम उठा रही हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि बाघ की मौत की वजह का सही से पता नहीं लगाया गया. केवल अनुमान के आधार पर यह कह दिया गया कि टाइगर की मौत कोरोना से हुई थी.
वन अधिकारियों ने किया था खंडन
याचिका में कहा गया था कि टाइगर की मौत कोरोना से होने का वन अधिकारियों और सरकार ने खंडन किया था. वन अधिकारियों ने कहा था कि बाघ को फुटबॉल के आकार का हेयरबॉल हो गया था जिसकी वजह से वह खा नहीं पा रहा था. याचिका में कहा गया था कि बाघ की मौत एक जलाशय के पास हुई थी. ऐसे में वन अधिकारियों को जलाशय के पानी का टेस्ट करना चाहिए.
डब्ल्यूएचओ ने भी किया था आगाह
याचिका में कहा गया था कि डब्ल्यूएचओ ने 23 अप्रैल को एक रिपोर्ट जारी किया था और सीवेज सिस्टम में कोरोना के मिलने की पुष्टि की थी. डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि सीवेज सिस्टम में वायरस के अवशेष मिले थे इसलिए पानी में भी इसकी जांच होनी चाहिए थी.