नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय महिला हॉकी टीम के पूर्व कोच सोजर्ड मारिन और प्रकाशन कंपनी हार्पर कॉलिन्स को भारतीय हॉकी खिलाड़ी गुरजीत कौर की मेडिकल रिपोर्ट से संबंधित किसी भी सामग्री को प्रकाशित करने से रोक दिया है. सोमवार को पीठ कौर की उस अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें किताब के विमोचन पर रोक लगाने से इनकार करने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी गई थी.
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि राष्ट्रीय टीम के कोच के रूप में मारिन आचार संहिता से बंधे थे. उन्हें व्यक्तिगत लाभ के लिए किसी भी जानकारी का खुलासा नहीं करने की आवश्यकता होती है, जो उन्हें भरोसे के साथ में सौंपी जाती है.
कोर्ट ने कहा कि मेडिकल जानकारी जैसे डेटा की सुरक्षा का अधिकार उचित अपेक्षा के दायरे में आता है. कोर्ट ने आदेश दिया कि खिलाड़ी गुरजीत कौर की मेडिकल स्थिति से संबंधित किसी भी तथ्य को इस विषय पुस्तक या किसी अन्य प्रासंगिक मामले को प्रकाशित करने से रोका जाता है. अपनी अपील में कौर ने तर्क दिया कि किताब में मारिन ने उनकी चिकित्सा स्थिति के बारे में कुछ गोपनीय जानकारी का खुलासा किया है, जो गोपनीयता की संहिता के उल्लंघन में है. जिसके द्वारा वह कोच के रूप में बाध्य थे.
कौर ने आगे कहा कि उनकी चिकित्सा स्थिति के बारे में गोपनीय जानकारी का खुलासा करने वाली पुस्तक के प्रकाशक ने उसके निजता के अधिकार का भी उल्लंघन किया है और इसलिए पुस्तक के विमोचन पर रोक लगाई जानी चाहिए.
हालांकि, प्रकाशन कंपनी की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि टीम के अन्य खिलाड़ियों को भी कौर की चिकित्सा स्थिति के बारे में पता था और इसके बारे में जानकारी पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में है.
कोर्ट ने कहा कि लेखक एक कोच के तौर पर गुरजीत कौर के प्रभारी और संरक्षक थे. इसके अलावा अन्य खिलाड़ी भी गोपनीयता की शर्तों से बंधे हुए हैं, जो उन्हें किसी तीसरे पक्ष को जानकारी देने से रोकता है. पीठ ने मामले को आगे के विचार के लिए 7 दिसंबर को सूचीबद्ध किया.
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