नई दिल्ली : देश की राजधानी में कोरोना (Delhi Corona) और उसके बाद लगे लॉकडाउन का बुरा असर हर क्षेत्र पर पड़ा है. रेस्टोरेंट का व्यापार भी, इससे अछूता नहीं रहा है. कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave) और उसके चलते लगे लॉकडाउन की वजह से दिल्ली में रेस्टोरेंट व्यापार (Delhi Restaurants Business) पूरी क्षमता से 50 फ़ीसदी पर सिमट कर रह गया है. दिल्ली में बड़ी संख्या में रेस्टोरेंट्स बंद हो चुके हैं. व्यापारियों की मानें तो दिल्ली में लगभग 50% रेस्टोरेंट्स बंद हो चुके हैं. इनमें कई बड़े और नामचीन रेस्टोरेंट भी शामिल हैं. रेस्टोरेंट्स के बंद हो जाने से न सिर्फ बेरोजगारी बढ़ी है, बल्कि खाने के जायके के लिए मशहूर दिल्ली का जायका भी इन दिनों कुछ फीका पड़ता हुआ नजर आ रहा है.
तमाम मुश्किलों के बीच जूझते हुए रेस्टोरेंट हुए बंद
रेस्टोरेंट्स व्यापारियों ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि वर्तमान समय में, एक रेस्टोरेंट को चलाने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. एक तो लॉकडाउन की वजह से टाइम कम करके, पाबंदी लगा दी गई है. वहीं, दूसरी तरफ ग्राहक भी, पहले की तरह नहीं आ रहे हैं. बाजार में पूरी तरीके से सन्नाटा पसरा हुआ है. सिर्फ वीकएंड पर थोड़े बहुत लोग रेस्टोरेंट्स में आते हैं, लेकिन इन सबसे रेस्टोरेंट का खर्चा निकालना मुश्किल हो गया है. कोविड-19 से पैदा हुए विपरीत हालातों के चलते न सिर्फ आर्थिक परेशानियां बढ़ी हैं, बल्कि खर्चे भी बड़े हैं. इसकी वजह से रेस्टोरेंट्स बड़ी संख्या में बंद हुए हैं.
ढाई महीने बाद रेस्टोरेंट खोलने पर कई परेशानियां आईं सामने
ढाई महीने के लंबे अंतराल के बाद, जब लॉकडाउन खुला और रेस्टोरेंट खुले, तो रेस्टोरेंट्स मालिकों के सामने कई प्रकार की परेशानियां थीं. एक तो रेस्टोरेंट की मेंटेनेंस, दूसरा साफ-सफाई, साथ ही कर्मचारियों का वेतन और अन्य खर्च. ढाई महीने तक रेस्टोरेंट्स के ऑपरेशन में न रहने से काफी सारी चीजें खराब भी हो गई. जैसे ही रेस्टोरेंट खोले गए, तो काफी सारी चीजें खराब थीं. इन्हें ठीक करने और रेस्टोरेंट को सैनिटाइज करके रिओपन करने में समय लगा. खास तौर पर रेस्टोरेंट्स के अंदर किचन को दोबारा रिस्टोर करना एक बड़ी चुनौती थी. इसमें हर एक रेस्टोरेंट को कम से कम एक हफ्ते का टाइम लगा है.
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कर्मचारियों का न होना और माल की सप्लाई में दिक्कत
रेस्टोरेंट्स खोलने की इजाजत मिलने के बाद, रेस्टोरेंट्स मालिकों के सामने एक और बड़ी चुनौती पर्याप्त मात्रा में लेबर और कर्मचारियों का न होना था. इसके साथ ही रेस्टोरेंट में अलग-अलग प्रकार के व्यंजन बनाए जाने के लिए माल की सप्लाई भी पर्याप्त मात्रा में नहीं थी. इसको लेकर रेस्टोरेंट मालिकों को दोबारा से इंतजाम करने पड़े और गांव के लेबर को अपने खर्चे पर न सिर्फ शहर बुलाना पड़ा, बल्कि उनका कोविड-19 टेस्ट करवाकर, उन्हें वैक्सीनेटेड भी करवाना पड़ा.
क्या कहता है सिविक एजेंसियों का डाटा
दिल्ली के अंदर अलग-अलग कई सिविक एजेंसियां काम करती हैं. नॉर्थ एमसीडी, साउथ एमसीडी और ईस्ट एमसीडी से प्राप्त हुए डाटा के अनुसार, साल 2019 में दिल्ली की नगर निगम से 7,000 के आसपास रेस्टोरेंट्स ने हेल्थ ट्रेड लाइसेंस प्राप्त किया था या फिर रिन्यू करवाया था. वहीं, कोरोना के बाद लगातार पिछले दो सालों में हेल्थ ट्रेड लाइसेंस लेने वाले रेस्टोरेंट्स की संख्या में कमी आई है. इस साल अभी तक तीनों नगर निगम में महज दो हजार रेस्टोरेंट्स ने ही लाइसेंस रिन्यू करवाया है.
कनॉट प्लेस में भी बंद हुए बड़ी संख्या में रेस्टोरेंट
दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस में भी कोरोना की दूसरी लहर के चलते 100 से ज्यादा इंडियन और इंटर कॉन्टिनेंटल फूड सर्व करने वाले रेस्टोरेंट्स बंद हुए हैं. इसके चलते बेरोजगारी भी काफी ज्यादा बढ़ गई है.
जहां पहले खाने के लिए उमड़ती थी भीड़, अब पड़े हैं खाली
कनॉट प्लेस में बड़ी संख्या में, ऐसे रेस्टोरेंट्स हैं, जहां खाने के जायके का लुफ्त उठाने के लिए पहले काफी बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती थी. कोरोना की दूसरी लहर के बाद आर्थिक बदहाली के चलते यह सभी रेस्टोरेंट्स बंद हो चुके हैं और यहां सन्नाटा पसरा है.
इस वर्ष अभी तक जारी हुए हेल्थ ट्रेड लाइसेंस
एमसीडी | वर्ष | लाइसेंस | वर्ष | लाइसेंस |
नॉर्थ एमसीडी | 2019 | 2500 | 2021 | 600 |
साउथ एमसीडी | 2019 | 2000 | 2021 | 500 |
ईस्ट एमसीडी | 2019 | ---- | 2021 | 500 |
वहीं, दिल्ली में 2019 में 878 रेस्टोरेंट बार लाइसेंस के साथ चलते थे. इनकी संख्या घटकर अब 572 हो गई है.