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कोरोना: खौफ के साए में अंतिम संस्कार कराने वाले पंडित-कर्मचारी, निभा रहे फर्ज

पश्चिमी दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित श्मशान घाट में सभी कर्मचारी और पंडित बिना किसी भेदभाव के दाह संस्कार की प्रक्रिया को पूरा कर रहे हैं. सेवादार खुद अपने हाथों से चिता को सही कर रहे हैं.

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Published : May 30, 2020, 12:10 PM IST

cremation of covid-19 effected dead bodies
खौफ के साए में अंतिम संस्कार कराने वाले पंडित-कर्मचारी

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कहर की वजह से जहां आम इंसान खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं, तो वहीं पंजाबी बाग श्मशान घाट में शवों का अंतिम संस्कार कराने वाले पंडित और कर्मचारी भी खौफ के साए में जी रहे हैं.

खौफ के साए में अंतिम संस्कार कराने वाले पंडित-कर्मचारी

यहां पर मंगलवार को ओपन शेड में लकड़ियों से अंतिम संस्कार कराने के लिए एसडीएमसी ने साइन बोर्ड लगा दिया, जिसके बाद कुछ सेवादार तो काम छोड़कर चले गए. वहीं कुछ आचार्य और पंडित अभी भी अंतिम संस्कार करवाने का काम कर रहे हैं.

पंजाबी बाग श्मशान घाट में दाह संस्कार

पश्चिमी दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित श्मशान घाट में सभी कर्मचारी और पंडित बिना किसी भेदभाव के दाह संस्कार की प्रक्रिया को पूरा कर रहे हैं. सेवादार खुद अपने हाथों से चिता को सही कर रहे हैं. कोरोना वायरस की वजह से यहां के पंडित और सेवादारों के लिए एमसीडी की तरफ से पिछले कुछ दिन पहले पीपीटी किट भी बांटी गई थी.

कुछ सेवादार काम छोड़ कर चले गए

पंजाबी बाग श्मशान घाट के पंडित सनी का कहना है कि यहां पर कुछ शिकायत मिली थी कि यहां से पंडित और कर्मचारी चले गए हैं. यहां पर शवों का अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है. यहां पर शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है, जो भी यहां पर शव लेकर आता है. उसके साथ अच्छे से व्यवहार किया जाता है और किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा रहा.

पंडित सनी ने बताया कि यहां पर कुछ सेवादार जरूर चले गए हैं लेकिन उनके जाने से कोई दिक्कत नहीं है. वो सिर्फ लकड़ियों को हटाने का काम करते थे लेकिन जो दाह संस्कार की क्रिया है हम सभी पंडित करते हैं. यहां पर इस वक्त 8 पंडित मौजूद हैं, जिससे यहां पर आने वाले लोगों को किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो.

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कहर की वजह से जहां आम इंसान खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं, तो वहीं पंजाबी बाग श्मशान घाट में शवों का अंतिम संस्कार कराने वाले पंडित और कर्मचारी भी खौफ के साए में जी रहे हैं.

खौफ के साए में अंतिम संस्कार कराने वाले पंडित-कर्मचारी

यहां पर मंगलवार को ओपन शेड में लकड़ियों से अंतिम संस्कार कराने के लिए एसडीएमसी ने साइन बोर्ड लगा दिया, जिसके बाद कुछ सेवादार तो काम छोड़कर चले गए. वहीं कुछ आचार्य और पंडित अभी भी अंतिम संस्कार करवाने का काम कर रहे हैं.

पंजाबी बाग श्मशान घाट में दाह संस्कार

पश्चिमी दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित श्मशान घाट में सभी कर्मचारी और पंडित बिना किसी भेदभाव के दाह संस्कार की प्रक्रिया को पूरा कर रहे हैं. सेवादार खुद अपने हाथों से चिता को सही कर रहे हैं. कोरोना वायरस की वजह से यहां के पंडित और सेवादारों के लिए एमसीडी की तरफ से पिछले कुछ दिन पहले पीपीटी किट भी बांटी गई थी.

कुछ सेवादार काम छोड़ कर चले गए

पंजाबी बाग श्मशान घाट के पंडित सनी का कहना है कि यहां पर कुछ शिकायत मिली थी कि यहां से पंडित और कर्मचारी चले गए हैं. यहां पर शवों का अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है. यहां पर शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है, जो भी यहां पर शव लेकर आता है. उसके साथ अच्छे से व्यवहार किया जाता है और किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा रहा.

पंडित सनी ने बताया कि यहां पर कुछ सेवादार जरूर चले गए हैं लेकिन उनके जाने से कोई दिक्कत नहीं है. वो सिर्फ लकड़ियों को हटाने का काम करते थे लेकिन जो दाह संस्कार की क्रिया है हम सभी पंडित करते हैं. यहां पर इस वक्त 8 पंडित मौजूद हैं, जिससे यहां पर आने वाले लोगों को किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो.

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