नई दिल्ली: निजामुद्दीन मरकज में लोगों के एकत्रित होने और इससे कोरोना फैलने के मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया है. सरकार के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने इस बाबत एफआईआर दर्ज कर ली है. इस पूरे मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई है. क्राइम ब्रांच इस कार्यक्रम के आयोजन से लेकर अभी तक के पूरे प्रकरण की जांच करेगी.
13-15 मार्च तक आयोजित किया गया था कार्यक्रम
जानकारी के अनुसार बीते 13 से 15 मार्च के बीच इस मरकज में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें दो हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे. इस आयोजन में विदेशों से आए अनेक लोग भी शामिल हुए थे जिनमें से कुछ को कोरोना होने का शक है. इनमें से सैकड़ों लोग कार्यक्रम के बाद दर्जन भर से ज्यादा राज्यों में फैल गए जिसकी वजह से कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ गया. 24 मार्च से सरकार द्वारा लॉक डाउन घोषित किये जाने के बाद से यहां पर 1500 से ज्यादा लोग फंसे हुए थे.
सरकार के आदेशों का किया उल्लंघन
दिल्ली सरकार की तरफ से 13 मार्च को एक आदेश जारी कर कहा गया था कि किसी भी जगह पर 200 से ज्यादा लोग एकत्रित नहीं होंगे. इसके बावजूद यहां पर दो हजार से ज्यादा लोग एकत्रित हुए. वहीं मरकज की तरफ से कहा गया है कि 24 मार्च को उन्होंने लोगों के यहां फंसे होने की जानकारी पुलिस और 25 मार्च को एसडीएम को दे दी थी. 30 मार्च को इस पूरे मामले का खुलासा हुआ तो हड़कंप मच गया. यहां से निकले 334 लोगों को कोरोना संदिग्ध मानते हुए अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. इनमें से 24 की रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है.
सरकार के आदेश पर दर्ज हुई एफआईआर
सोमवार रात को दिल्ली सरकार की तरफ से पुलिस को यह आदेश दिए गए थे कि वह इस पूरे मामले को लेकर एफआईआर दर्ज करें. वहीं मंगलवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल से भी मुख्यमंत्री ने अपील की थी कि वह पर एफआईआर दर्ज करवा पूरे मामले की जांच करवाएं. इसके बाद मंगलवार शाम को एफआईआर दर्ज कर ली गई है और पूरे मामले की छानबीन क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई है.
इस मामले को लेकर दर्ज की गई एफआईआर में आईपीसी के सेक्शन 269, 270, 271,120 बी और एपेडेमिक डिजेज एक्ट 1897 की धारा 3 लगाई गई है. एफआईआर में कहा गया है कि मरकज प्रबंधन की तरफ से दिल्ली सरकार के आदेशों का उल्लंघन किया गया है. इसमें मौलाना साद और अन्य तबलीगी जमात को आरोपी बनाया गया है.