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Bois Locker Room: SIT या CBI से जांच कराने की मांग पर सुनवाई टली

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Published : May 13, 2020, 3:30 PM IST

Updated : May 27, 2020, 9:38 AM IST

इंस्टाग्राम पर 'Bois Locker Room' ग्रुप के सदस्यों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फिलहाल सुनवाई टाल दी है. इस याचिका में कहा गया था कि इस मामले की जांच SIT या CBI से कराई जाए. क्योंकि इस ग्रुप से जुड़े छात्र काफी प्रभावशाली परिवारों से आते हैं और वो स्थानीय पुलिस को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं.

Bois Locker Room case Hearing deferred on petition seeking investigation by SIT or CBI
केएन गोविंदाचार्य देवाशीष दुबे बॉयज लॉकर रूम इंस्टाग्राम स्नैपचैट दिल्ली हाइकोर्ट दिल्ली पुलिस चीफ जस्टिस डीएन पटेल चीफ जस्टिस एसए बोबड़े

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने इंस्टाग्राम पर 'Bois Locker Room' ग्रुप के सदस्यों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. इस मामले पर कोर्ट 18 मई को सुनवाई करेगा. याचिका में इस मामले की जांच एसआईटी या सीबीआई से कराने की मांग की गई है.

याचिका देवाशीष दुबे ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील ओमप्रकाश परिहार और दुष्यंत तिवारी ने Bois Locker Room के कुछ स्क्रीनशॉट्स की चर्चा की है.

जिसमें स्कूल में पढ़नेवाले नाबालिग लड़के नाबालिग लड़कियों की अश्लील फोटो सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली महिला आयोग ने इस मामले में संज्ञान लिया है. महिला आयोग ने इंस्टाग्राम और पुलिस को नोटिस जारी किया है.


'SIT या CBI से कराई जाए जांच'

याचिका में कहा गया है कि इस मामले की जांच SIT या CBI से कराए जाने की जरुरत है. क्योंकि इस ग्रुप से जुड़े छात्र काफी प्रभावशाली परिवारों से आते हैं और वो स्थानीय पुलिस को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. याचिका में कहा गया है कि इस ग्रुप के सदस्यों ने अपना सोशल मीडिया अकाउंट डीएक्टिवेट कर दिया है और उन लड़कियों के सोशल मीडिया अकाउंट हैक कर उनके फोटो लीक करने की धमकी दी है, जिन्होंने उनकी बातचीत का खुलासा किया है. इसलिए ये जरुरी है कि इस ग्रुप के सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.


'ग्रुप मेंबर्स की मानसिकता काफी खराब'

याचिका में कहा गया है कि इस ग्रुप के छात्रों ने इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 66ई और भारतीय दंड संहिता की धारा 354सी, 507, 509 और 499 का उल्लंघन किया है. याचिका में कहा गया है कि लड़कियों के प्रति इस ग्रुप के सदस्यों की मानसिकता काफी खराब है और अगर इसे नहीं रोका गया तो भविष्य में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ सकता है.

बता दें कि इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट से संज्ञान लेने की मांग करते हुए दो वकीलों ने चीफ जस्टिस डीएन पटेल को पत्र लिखा है. पत्र में मांग की गई है कि इस मामले में पॉक्सो एक्ट और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया जाए. ये पत्र वकील नीलम गोखले और वकील इलाम परीदी ने लिखा है.

सुप्रीम चीफ जस्टिस को भी लिखा गया पत्र

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबड़े को भी तीन वकीलों ने पत्र लिखकर इस मामले पर संज्ञान लेने की मांग की है. इन वकीलों चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच करने की मांग की है.

चीफ जस्टिस को जिन वकीलों ने पत्र लिखा है, उनमें आनंद वर्मा, कौस्तुभ प्रकाश और शुभांगी जैन शामिल हैं. आरएसएस के पूर्व विचारक केएन गोविंदाचार्य ने भी इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इंस्टाग्राम पर कार्रवाई करने की मांग की है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने इंस्टाग्राम पर 'Bois Locker Room' ग्रुप के सदस्यों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. इस मामले पर कोर्ट 18 मई को सुनवाई करेगा. याचिका में इस मामले की जांच एसआईटी या सीबीआई से कराने की मांग की गई है.

याचिका देवाशीष दुबे ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील ओमप्रकाश परिहार और दुष्यंत तिवारी ने Bois Locker Room के कुछ स्क्रीनशॉट्स की चर्चा की है.

जिसमें स्कूल में पढ़नेवाले नाबालिग लड़के नाबालिग लड़कियों की अश्लील फोटो सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली महिला आयोग ने इस मामले में संज्ञान लिया है. महिला आयोग ने इंस्टाग्राम और पुलिस को नोटिस जारी किया है.


'SIT या CBI से कराई जाए जांच'

याचिका में कहा गया है कि इस मामले की जांच SIT या CBI से कराए जाने की जरुरत है. क्योंकि इस ग्रुप से जुड़े छात्र काफी प्रभावशाली परिवारों से आते हैं और वो स्थानीय पुलिस को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. याचिका में कहा गया है कि इस ग्रुप के सदस्यों ने अपना सोशल मीडिया अकाउंट डीएक्टिवेट कर दिया है और उन लड़कियों के सोशल मीडिया अकाउंट हैक कर उनके फोटो लीक करने की धमकी दी है, जिन्होंने उनकी बातचीत का खुलासा किया है. इसलिए ये जरुरी है कि इस ग्रुप के सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.


'ग्रुप मेंबर्स की मानसिकता काफी खराब'

याचिका में कहा गया है कि इस ग्रुप के छात्रों ने इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 66ई और भारतीय दंड संहिता की धारा 354सी, 507, 509 और 499 का उल्लंघन किया है. याचिका में कहा गया है कि लड़कियों के प्रति इस ग्रुप के सदस्यों की मानसिकता काफी खराब है और अगर इसे नहीं रोका गया तो भविष्य में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ सकता है.

बता दें कि इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट से संज्ञान लेने की मांग करते हुए दो वकीलों ने चीफ जस्टिस डीएन पटेल को पत्र लिखा है. पत्र में मांग की गई है कि इस मामले में पॉक्सो एक्ट और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया जाए. ये पत्र वकील नीलम गोखले और वकील इलाम परीदी ने लिखा है.

सुप्रीम चीफ जस्टिस को भी लिखा गया पत्र

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबड़े को भी तीन वकीलों ने पत्र लिखकर इस मामले पर संज्ञान लेने की मांग की है. इन वकीलों चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच करने की मांग की है.

चीफ जस्टिस को जिन वकीलों ने पत्र लिखा है, उनमें आनंद वर्मा, कौस्तुभ प्रकाश और शुभांगी जैन शामिल हैं. आरएसएस के पूर्व विचारक केएन गोविंदाचार्य ने भी इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इंस्टाग्राम पर कार्रवाई करने की मांग की है.

Last Updated : May 27, 2020, 9:38 AM IST
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