नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद समेत दूसरे आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में टेरर फंडिंग हुई है. दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कड़कड़डूमा कोर्ट से कहा कि इस मामले के आरोपी ताहिर हुसैन ने काले धन को सफेद करने का काम दिया. मामले की अगली सुनवाई 15 फरवरी को होगी.
सुनवाई के दौरान अमित प्रसाद ने पहले की दलीलों के बारे में कोर्ट को संक्षेप में बताया. उन्होंने कहा कि दिल्ली हिंसा के लिए टेरर फंडिंग की गई. ताहिर हुसैन ने काले धन को हिंसा फैलाने के लिए सफेद किया. उन्होंने कहा कि कोर्ट में ईडी का मामला लंबित है जिसमें ताहिर हुसैन मुख्य आरोपी है. उन्होंने एक गवाह विक्टर का मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान को पढ़ते हुए कहा कि हिंसा के लिए धन का उपयोग किया गया. एक गवाह रॉबर्ट ने मीरान हैदर के खिलाफ और आकिब ने शिफा उर रहमान के खिलाफ बयान दर्ज कराया है.
अमित प्रसाद ने कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हुई. इस मामले में 755 एफआईआर दर्ज किए गए हैं. इसमें गोली चलने की 13 घटनाएं घटी. दूसरी वजहों से 6 मौतें दर्ज की गई. इस दौरान 581 एमएलसी दर्ज किए गए. इस हिंसा में 108 पुलिसकर्मी घायल हुए जबकि दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई. इस हिंसा से जुड़े करीब 24 सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा कि इस पूरी घटना में किसी भी साजिशकर्ता को कोई नुकसान नहीं हुआ. अगर किसी का नुकसान हुआ तो वो आम लोग थे। कोर्ट ने अमित प्रसाद को लिखित दलीलें 15 फरवरी के पहले दाखिल करने का निर्देश दिया. 15 फरवरी को याचिकाकर्ता की दलीलें सुनी जाएंगी.
दो फरवरी को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि प्रदर्शन स्थलों पर हिंसा की योजना की साजिश रची गई, जिससे आंदोलनों में जुटे स्थानीय लोगों का कोई लेना-देना नहीं थी. सुनवाई के दौरान अमित प्रसाद ने कहा था कि प्रदर्शन स्थलों पर बाहर से आए लोगों ने हिंसा की योजना को अंजाम दिया. अब ये स्थानीय लोग अभियोजन की मदद कर रहे हैं. अमित प्रसाद ने कहा था कि हिंसा शुरु होने के बाद चुप्पी की साजिश देखी गई. उस साजिश पर से पर्दा देने की कोशिश की गई. अमित प्रसाद ने कहा था कि 22 फरवरी 2020 को हिंसा शुरु नहीं हुई थी. उस समय आरोपियों की गतिविधियां जारी थीं. उसमें स्थानीय लोग शामिल नहीं किए गए.
अमित प्रसाद ने कहा था कि पूरी दिल्ली में 23 विरोध स्थल थे, तब उत्तर-पूर्वी दिल्ली को ही क्यों चुना गया. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में लाठी, डंडे और मिर्ची की क्या जरुरत थी. इससे शांति कैसे हो सकती है. उन्होंने उमर खालिद का बयान पढ़ते हुए कहा था कि ‘खून बहाना पड़ेगा, ऐसे नहीं चलेगा’. अमित प्रसाद ने कहा कि आप अपना खून तो नहीं बहा रहे हो. किसका खून बहा रहे हो. 31 जनवरी को अमित प्रसाद ने कहा था कि किसी को कानून से शिकायत है तो उसे विरोध करने का अधिकार है, लेकिन उसे सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और पुलिस कर्मियों पर हमले का हक नहीं है.
बता दें कि क्राइम ब्रांच ने उमर खालिद पर दंगे भड़काने, दंगों की साजिश रचने, और देशविरोधी भाषण देने के अलावा दूसरी धाराओ के तहत चार्जशीट दाखिल किया था. करीब 100 पेजों की चार्जशीट में कहा गया है कि 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी औऱ ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगों की योजना बनाने के लिए मीटिंग की.
इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया है. चार्जशीट में कहा गया है कि जिन-जिन राज्यों में उमर खालिद गया उसके लिए उसे आने-जाने और रुकने का पैसा प्रदर्शनकारियों के कर्ता-धर्ता इंतजाम करते थे.
उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया था. 17 सितंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 16 सितंबर 2020 को स्पेशल सेल ने चार्जशीट दाखिल किया था.