नई दिल्ली: सब्जीमंडी में दर्दनाक हादसे को लेकर नॉर्थ एमसीडी की रिपोर्ट सामने आ गई है, जिसमें निगम अधिकारियों को सीधे तौर पर क्लीन चिट दे दी गई है. स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो जो यह रिपोर्ट बनाई गई है, उसमें सिर्फ मामले की लीपापोती करके निगम का फेस सेविंग किया जा रहा है. रिपोर्ट के सामने आने के बाद विपक्ष के पूरी रिपोर्ट को सिर्फ खानापूर्ति बताया जा रहा है. स्टैंडिंग चेयरमैन का कहना है कि पूरी रिपोर्ट को निगम में बीजेपी के नेताओं के द्वारा दोबारा एग्जामिन किया जाएगा ताकि इस पूरे मामले का कोई पहलू छूट ना जाए, लेकिन इतना तो साफ है कि पूरे मामले में हुए दो बच्चों की मौत को लेकर निगम ने अपना पल्ला झाड़ लिया और मामले को खानापूर्ति कर अधिकारियों द्वारा बनाई गई रिपोर्ट के जरिए रफा-दफा किया जा रहा है.
वर्तमान में नॉर्थएमसीडी अपने क्षेत्र में खतरनाक इमारतों के सर्वे को लेकर लगातार विवादों में बनी हुई है. इस बीच 13 सितंबर को पुरानी दिल्ली के सब्जी मंडी इलाके में हुए बहुमंजिला इमारत गिरने से दर्दनाक हादसे में 2 बच्चों की मौत हो गई थी, जिसको लेकर नॉर्थ एमसीडी के द्वारा जांच कमेटी बिठाई गई थी और अब इस पूरी जांच कमेटी की रिपोर्ट भी आ गई है. बता दे की पूरी रिपोर्ट में अधिकारियों के द्वारा जो कहा गया है वह बेहद चौका देने वाला है. निगम के वरिष्ट बिल्डिंग अधिकारी एमपी गुप्ता द्वारा कमिश्नर को सौंपी गई रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि सब्जी मंडी में जिस इमारत के गिरने से दर्दनाक हादसा हुआ है, वह इमारत पहले से जर्जर नहीं थी ना ही इसकी शिकायत निगम को की गई थी और ना ही इस पूरे मामले को लेकर निगम किसी भी तरह से जिम्मेदार है और ना ही निगम ने कोई लापरवाही की है. सब्जी मंडी में हुए हादसे के बाद कमिश्नर संजय गोयल के आदेश के बाद बनी इस जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. बता दे कि 13 सितंबर को हुए इस हादसे में 2 बच्चों की दर्दनाक मृत्यु भी हुई थी.
ये भी पढ़ें: सब्जी मंडी हादसे की रिपोर्ट आई सामने, मासूमों की जान का कोई जिम्मेवार नहीं
सब्जी मंडी में हुए इस पूरे हादसे को लेकर जांच समिति ने घटना वाले इलाके में सिविल लाइन जोन के चार अधिकारियों की भूमिका की जांच की है. इसमें उपायुक्त सतनाम सिंह समेत निगम के तीन वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं, जिनमें अधिशासी अभियंता संजय शर्मा, सहायक अभियंता केसी सिरोही और कनिष्ठ अभियंता विपिन की भूमिका की जांच की गई है, लेकिन एमपी गुप्ता द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सब्जी मंडी में हुए हादसे को लेकर निगम अधिकारियों की किसी भी तरीके से कोई भूमिका नहीं थी. इसलिए सभी अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी गई है. साथ ही जांच रिपोर्ट के अनुसार निगम में पूरे मलका गंज वार्ड में खतरनाक इमारतों का दोबारा सर्वे कराया, जिसके बाद 38 इमारतों को नोटिस भी दे दिए गए हैं और अगले 15 दिन में इन सभी खतरनाक इमारतों पर कार्रवाई की जाएगी.
रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब सवाल यह उठ रहा है कि नॉर्थ एमसीडी के क्षेत्र में हर साल इस तरह की घटनाएं होती हैं और लोगों की जाने जाती है, लेकिन हर बार निगम अधिकारियों व कर्मचारियों को क्लीन चिट मिल जाती है. ऐसे में जान गंवाने वालों की मौत का जिम्मेदार कौन है. आखिर उन दो मासूम बच्चों का क्या कसूर जिनकी जान सब्जी मंडी के हादसे में चली गई.
इस पूरे मामले पर नेता विपक्ष विकास गोयल ने बातचीत करते हुए स्पष्ट तौर पर कहा कि नॉर्थ एमसीडी के अधिकारियों द्वारा मलका गंज में हुए हादसे को लेकर जो रिपोर्ट दाखिल की गई है. वह सिर्फ मामले की लीपापोती है और कुछ नहीं. अधिकारियों ने खानापूर्ति करके रिपोर्ट बनाई है. निगम के द्वारा हर बार ऐसे हादसों को लेकर रिपोर्ट पेश की जाती है, लेकिन किसी को भी इस रिपोर्ट के तहत दोषी नहीं ठहराया जाता. मलका गंज हादसे में जान गवाने वाले दोनों बच्चों की मौत के जिम्मेदार नगर निगम का सिस्टम है जो आज पूरी तरीके से भ्रष्टाचार में लिप्त है.