नई दिल्ली : केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में नए उपराज्यपाल (LG) की नियुक्ति को अभी एक पखवाड़ा भी नहीं हुआ है, लेकिन वे जिस तरह एक्टिव मोड में हैं, इससे दिल्ली की सत्ता में लगातार तीसरी बार काबिज आम आदमी पार्टी सरकार असहज महसूस करने लगी है.
नियुक्ति के बाद उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना जिस तरह ग्राउंड पर जाकर दिल्ली सरकार के अलग-अलग प्रोजेक्ट की समीक्षा कर रहे हैं, दिल्ली वालों को बिजली-पानी समेत अन्य बुनियादी सेवाओं की वर्तमान स्थिति का बारीकी से जायजा ले रहे हैं, आम आदमी पार्टी इस पर सवाल उठा रही है. बीते शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी उपराज्यपाल से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद यूं तो मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह मुलाकात सौहार्दपूर्ण रही और अब प्रत्येक सप्ताह यह मीटिंग होगी. बावजूद आम आदमी पार्टी को उपराज्यपाल का इस तरह सक्रिय होना नहीं खल रहा.
- 27 मई को एक 24 साल के ऑटो चालक की संगम विहार में चाकू मारकर मर्डर कर दिया गया, तो क्या उपराज्यपाल ने संगम विहार थाने का निरीक्षण किया?
- जब 27 मई को 19 साल के लड़के को श्री राम कॉलोनी में मार दिया गया, तो क्या उन्होंने श्री राम कॉलोनी के थाने का निरीक्षण किया ?
- जब 29 मई को वजीराबाद में एक संभल से आए हुए व्यक्ति का मर्डर हुआ, तो क्या उन्होंने वजीराबाद थाने का निरीक्षण किया?
- जब दो भाइयों को अंबेडकरनगर के बार में लड़ाई में मार दिया गया, तो क्या उन्होंने अंबेडकर नगर थाने का निरीक्षण किया? उन्होंने दिल्ली पुलिस को जमीन पर जाकर कोई निर्देश दिया?
- जब मधु विहार में चाकू मारकर एक व्यक्ति का मर्डर हुआ, तो क्या उपराज्यपाल मधु विहार गए?
- जब आदर्श नगर में पीट-पीटकर एक व्यक्ति की मार दिया गया तो क्या वह आदर्श नगर थाने गए?
- जब जोर बाग के मेट्रो स्टेशन पर एक लड़की के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट हुआ, तो क्या उपराज्यपाल ने मेट्रो का निरीक्षण किया? क्या वह दिल्ली पुलिस के साथ जोर बाग मेट्रो स्टेशन गए?
उपराज्यपाल बताएं कि पिछले 10 दिन में उन्होंने जो वादा किया था कि वह ऑफिस में नहीं बैठेंगे तो अब तक उन्होंने कितने पुलिस थानों का निरीक्षण किया है? दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर आम आदमी पार्टी ने उपराज्यपाल से सवाल किया है कि पिछले 10 दिनों में उन्होंने कितने थानों का निरीक्षण किया है?
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद शुरू से ही दिल्ली सरकार बनाम केंद्र की लड़ाई जारी है. यहां तक की बीते चार सालों से यह लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ी जा रही है. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि दिल्ली में उपराज्यपाल को भी चुनी हुई सरकार की मदद और सलाह से ही काम करना होगा. केंद्र सरकार कानून बनाकर दिल्ली सरकार के संविधान प्रदत्त अधिकारों में कटौती नहीं कर सकती. दिल्ली सरकार के इन सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल तक केंद्र से जवाब मांगा है. इस मामले की सुनवाई 27 अप्रैल को होगी.
बता दें कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम 2021 के प्रभावी होने के बाद से दिल्ली में सरकार का मतलब 'उपराज्यपाल' कर दिया गया है. इस वजह से दिल्ली विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक को मंज़ूरी देने का अधिकार उपराज्यपाल के पास रहने वाला है. इसके अलावा दूसरे फैसलों में भी उपराज्यपाल की सलाह लेनी पड़ेगी. इसी बदलाव के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
- उपराज्यपाल विधानसभा का सत्र बुला सकता है. विधानसभा का विघटन और स्थगन करने का अधिकार होता है.
- उपराज्यपाल किसी भी मुद्दे पर या लंबित विधेयक पर राज्य विधानसभा को संदेश भेजने का अधिकार रखता है. इस संदेश पर हुई कार्यवाही की रिपोर्ट राज्य विधानसभा को उपराज्यपाल को देनी होती है.
- उपराज्यपाल के पास बिल को पास करने या न करने का अधिकार है. जैसे अगर कोई बिल कर लगाने, हटाने, कर में छूट देने, वित्तीय दायित्वों से संबंधित कानून में परिवर्तन, राज्य की समेकित निधि के विनिमय आदि संबंध में. बिलों को विधान सभा में पेश करने से पहले उपराज्यपाल की सहमति चाहिए होती है.