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Bhai Dooj : भाइयों के माथे पर तिलक कर बहनों ने मांगी लंबी उम्र की दुआएं - भाई दूज परंपरा की कहानी

भाई दूज भी राखी जैसा ही पर्व होता है, लेकिन इसमें भाई के हाथों में राखी नहीं बांधी जाती है. हालांकि, इस पर्व में भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वादा करते हैं. जबकि बहन अपने भाई की सलामती की दुआ मांगती हैं.

Bhai Dooj
भाइयों के माथे पर तिलक
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Published : Nov 6, 2021, 4:51 PM IST

नई दिल्ली : राजधानी समेत पूरे भारत में आज भैया दूज (Bhai Dooj in delhi) का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक (Tilak) लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं. इस मौके पर भाई भी अपनी बहनों को कुछ न कुछ उपहार देकर स्‍नेह जाह‍िर करते हैं. भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस बार यह पर्व छह नवंबर को मनाया जा रहा है. इसे यम द्वितीया भी कहते हैं.

दिल्ली में भैया दूज के मौके पर बाजारों में रौनक दिखाई दे रही है. बाजारों में खरीदारी करती हुई महिलाओं की काफी भीड़ नजर आई. इस दिन हर बहन अपने भाई को रोली एवं अक्षत से तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन देवी यमुना ने अपने भाई यमराज को पहली बार राखी बांधकर वचन मांगा था.

भाई दूज की परंपरा

भैया दूज के अवसर पर बहन अपने भाई के लिए उसकी पंसदीदा मिठाई या व्यंजन तैयार करती है. इसके बाद भाई की आरती उतारकर मस्तक पर सिंदूर और चावल का तिलक लगाकर मिठाई खिलाते हुए अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती है. वहीं, भाई उनके हमेशा रक्षा करने का वादा करते हैं.

यमराज और यमुना की कहानी

अगर कोई भाई-बहन एक दूसरे से दूर रहते है या फिर किसी बहन के भाई नहीं है तो वो चंद्रमा से प्रार्थना कर सकते हैं. पुराणों में भाई दूज से जुड़ी कई कहानियां मौजूद है. इसमें यमराज और उनकी बहन देवी यमुना की कहानी बहुत ही प्रसिद्ध है. देवी यमुना और यमराज में बड़ा ही स्नेह था. वह यमराज को अक्सर अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करती थी, परंतु यमराज अपने कार्यों में इतने व्यस्त थे कि कभी भी अपनी बहन के घर भोजन पर जा नहीं पाते थे.

ये भी पढ़ें : भाई दूज पर शुभ मुहूर्त में करें टीका, जानें पूजा की विधि

यमराज को घर आने के लिए वचनबद्ध किया

एक समय की बात है जब देवी यमुना ने कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमराज को घर आने के लिए वचनबद्ध किया. तब यमराज जी यह सोचने लगे कि मैं तो सभी के प्राण हरता हूं और मुझे कोई घर नहीं बुलाता है. मगर मेरी बहन तो मुझे इतने वर्षों से बुला रही है और उसका मुझे पालन करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि अपनी बहन के घर आते समय यमराज ने नरक में रहने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आते देख यमुना की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने पूजा कर अपने भाई यमराज के लिए ढेर सारे व्यंजन बनाएं. यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से प्रसन्न होकर यमराज ने बहन को वरदान मांगने का आदेश दिया.

ये भी पढ़ें : आज कलम के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त



फिर यमुना ने यह वरदान मांगा कि यमराज प्रति वर्ष इसी दिन उनके घर आया करें और उनकी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर सत्कार करके टीका करें, उन्हें यमराज का भय कभी न रहे. यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्र-आभुषण दिए और वापस यमलोक लौट गए. उस दिन से भाई दूज की परंपरा का गठन हुआ.

नई दिल्ली : राजधानी समेत पूरे भारत में आज भैया दूज (Bhai Dooj in delhi) का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक (Tilak) लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं. इस मौके पर भाई भी अपनी बहनों को कुछ न कुछ उपहार देकर स्‍नेह जाह‍िर करते हैं. भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस बार यह पर्व छह नवंबर को मनाया जा रहा है. इसे यम द्वितीया भी कहते हैं.

दिल्ली में भैया दूज के मौके पर बाजारों में रौनक दिखाई दे रही है. बाजारों में खरीदारी करती हुई महिलाओं की काफी भीड़ नजर आई. इस दिन हर बहन अपने भाई को रोली एवं अक्षत से तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन देवी यमुना ने अपने भाई यमराज को पहली बार राखी बांधकर वचन मांगा था.

भाई दूज की परंपरा

भैया दूज के अवसर पर बहन अपने भाई के लिए उसकी पंसदीदा मिठाई या व्यंजन तैयार करती है. इसके बाद भाई की आरती उतारकर मस्तक पर सिंदूर और चावल का तिलक लगाकर मिठाई खिलाते हुए अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती है. वहीं, भाई उनके हमेशा रक्षा करने का वादा करते हैं.

यमराज और यमुना की कहानी

अगर कोई भाई-बहन एक दूसरे से दूर रहते है या फिर किसी बहन के भाई नहीं है तो वो चंद्रमा से प्रार्थना कर सकते हैं. पुराणों में भाई दूज से जुड़ी कई कहानियां मौजूद है. इसमें यमराज और उनकी बहन देवी यमुना की कहानी बहुत ही प्रसिद्ध है. देवी यमुना और यमराज में बड़ा ही स्नेह था. वह यमराज को अक्सर अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करती थी, परंतु यमराज अपने कार्यों में इतने व्यस्त थे कि कभी भी अपनी बहन के घर भोजन पर जा नहीं पाते थे.

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यमराज को घर आने के लिए वचनबद्ध किया

एक समय की बात है जब देवी यमुना ने कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमराज को घर आने के लिए वचनबद्ध किया. तब यमराज जी यह सोचने लगे कि मैं तो सभी के प्राण हरता हूं और मुझे कोई घर नहीं बुलाता है. मगर मेरी बहन तो मुझे इतने वर्षों से बुला रही है और उसका मुझे पालन करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि अपनी बहन के घर आते समय यमराज ने नरक में रहने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आते देख यमुना की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने पूजा कर अपने भाई यमराज के लिए ढेर सारे व्यंजन बनाएं. यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से प्रसन्न होकर यमराज ने बहन को वरदान मांगने का आदेश दिया.

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फिर यमुना ने यह वरदान मांगा कि यमराज प्रति वर्ष इसी दिन उनके घर आया करें और उनकी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर सत्कार करके टीका करें, उन्हें यमराज का भय कभी न रहे. यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्र-आभुषण दिए और वापस यमलोक लौट गए. उस दिन से भाई दूज की परंपरा का गठन हुआ.

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