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मासूम बच्चियों के साथ ये सब कर जाते हैं तालिबानी लड़ाके,दिल्ली में अफगानियों का झलका दर्द

अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान ने पिछले दिनों पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद पूरे देश में हिंसक घटनाएं शुरू हो गईं. जहां एक ओर अफगानिस्तान में रहे रहे लोग डर के साये में जीने को मजबूर हैं. वहीं दूसरी और भारत सहित अन्य देशों में रह रहे अफगानी नागरिकों में भी अपने वतन और अपने लोगों के लिए चिंता है.

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Published : Aug 24, 2021, 4:34 PM IST

Updated : Aug 24, 2021, 6:53 PM IST

afghani women talk about taliban with etv bharat in delhi
अफगानी नागरिकों में भी अपने वतन और अपने लोगों के लिए चिंता हैं.

नई दिल्ली : अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद अन्य देशों में रह रहे अफगानी लोगों में भी तालिबान की दहशत को लेकर खौफ है. अलग-अलग देशों में रहकर अफगानिस्तान मूल के निवासी जैसे-तैसे अपना गुजर-बसर कर रहे हैं, क्योंकि अपना देश छोड़कर दूसरे देश में बस जाने के बाद उन्हें शिक्षा रोजगार से जुड़ी कई समस्याएं देखनी पड़ रही हैं, जिसके चलते वह आर्थिक समस्याओं से भी गुजर रहे हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने राजधानी दिल्ली में रह रहे अफगानी मूल की महिलाओं से बात की.


पिछले करीब 5 साल से अपने दो भाइयों के साथ दिल्ली के लाजपत नगर में रह रही सिबा ने ईटीवी भारत को बताया कि जब से अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे की खबर सुनी है, उन्हें लगातार अपने परिवार की चिंता सता रही है, क्योंकि उनकी मां, दादी और अन्य रिश्तेदार सब अफगानिस्तान में हैं. सिबा ने बताया कि उनके परिवार से उनकी बात हुई है वह लोग सभी घरों में हैं. महिलाएं घर से नहीं निकल सकती हैं. वहीं उनके पड़ोस में से कई बच्चियों और महिलाओं को तालिबानी उठाकर ले गए हैं. सिबा ने कहा कि तालिबानी 12 से 15 साल की छोटी बच्चियों को उठाकर ले जाते हैं और उनके साथ जबरन शादी कर लेते हैं.

अफगानी नागरिकों में भी अपने वतन और अपने लोगों के लिए चिंता हैं.
इतना ही नहीं शिवा ने कहा कि वह पिछले 5 साल से भारत में रह रही हैं, लेकिन यहां पर भी न तो वह पढ़ाई कर पा रही है और न ही नौकरी. दस्तावेज नहीं होने के चलते न तो उन्हें कॉलेज में दाखिला मिलता है और न ही कोई नौकरी मिलती है, जिसके कारण काफी परेशानी आती है. पिछले कई महीनों से वह नौकरी की तलाश कर रही हैं. इसके अलावा अपने परिवार के साथ बगल में किराए के मकान में रह रही तमन्ना ने ईटीवी भारत को बताया कि पिछले कई महीनों से मकान का किराया नहीं दिया है, क्योंकि पहले से ही कई समस्याएं थीं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान थोड़ा-बहुत काम भी बंद हो गया. उन्होंने बताया कि यहां पर उनके भाई-बहन न तो स्कूल जा पाते हैं और न ही उन्हें या उनके किसी परिवार के अन्य सदस्य को नौकरी मिलती है. अफगानी मूल की तमन्ना ने कहा कि तालिबानी खुद को सच्चा और सबसे बड़ा मुसलमान बताते हैं, जबकि एक सच्चा मुसलमान और खुदा की इबादत करने वाला इंसान कभी भी किसी दूसरे बंदे की जान नहीं ले सकता. बच्चों को मौत के घाट की नहीं उतारता. हमारे धर्म में नहीं है कि महिलाओं के साथ अत्याचार किया जाए. मुस्लिम धर्म में महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का दर्जा दिया गया है. लेकिन तालिबान जिस खुदा का नाम लेकर लोगों पर जुल्म करता है वह सरासर गलत है बेबुनियाद है.


यह भी पढ़ें:- अफगानिस्तान से लौटे जीत बहादुर ने सुनायी खौफ भरी दास्तान


अफगानी मूल की 15 साल की नायाब ने बताया कि अपने देश के बारे में इस तरीके की बातें सुनकर बहुत बुरा लगता है. अफसोस की बात है कि कभी हम अपने देश वापस नहीं लौट पाएंगे. उन्होंने कहा कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया और इस बार वह दावा कर रहा है कि महिलाओं पर अत्याचार नहीं किया जाएगा. महिलाओं को पढ़ने और नौकरी करने की इजाजत दी जाएगी, लेकिन तालिबान की किसी भी बात पर देश की किसी भी महिला को बिल्कुल भरोसा नहीं है. उसका दर्दनाक और क्रूरता वाला चेहरा हर किसी ने देखा है.

यह भी पढ़ें:- तालिबान शरीयत कानून के नाम पर इस्लाम को बदनाम कर रहा : अजमेर दरगाह के प्रमुख दीवान

नई दिल्ली : अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद अन्य देशों में रह रहे अफगानी लोगों में भी तालिबान की दहशत को लेकर खौफ है. अलग-अलग देशों में रहकर अफगानिस्तान मूल के निवासी जैसे-तैसे अपना गुजर-बसर कर रहे हैं, क्योंकि अपना देश छोड़कर दूसरे देश में बस जाने के बाद उन्हें शिक्षा रोजगार से जुड़ी कई समस्याएं देखनी पड़ रही हैं, जिसके चलते वह आर्थिक समस्याओं से भी गुजर रहे हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने राजधानी दिल्ली में रह रहे अफगानी मूल की महिलाओं से बात की.


पिछले करीब 5 साल से अपने दो भाइयों के साथ दिल्ली के लाजपत नगर में रह रही सिबा ने ईटीवी भारत को बताया कि जब से अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे की खबर सुनी है, उन्हें लगातार अपने परिवार की चिंता सता रही है, क्योंकि उनकी मां, दादी और अन्य रिश्तेदार सब अफगानिस्तान में हैं. सिबा ने बताया कि उनके परिवार से उनकी बात हुई है वह लोग सभी घरों में हैं. महिलाएं घर से नहीं निकल सकती हैं. वहीं उनके पड़ोस में से कई बच्चियों और महिलाओं को तालिबानी उठाकर ले गए हैं. सिबा ने कहा कि तालिबानी 12 से 15 साल की छोटी बच्चियों को उठाकर ले जाते हैं और उनके साथ जबरन शादी कर लेते हैं.

अफगानी नागरिकों में भी अपने वतन और अपने लोगों के लिए चिंता हैं.
इतना ही नहीं शिवा ने कहा कि वह पिछले 5 साल से भारत में रह रही हैं, लेकिन यहां पर भी न तो वह पढ़ाई कर पा रही है और न ही नौकरी. दस्तावेज नहीं होने के चलते न तो उन्हें कॉलेज में दाखिला मिलता है और न ही कोई नौकरी मिलती है, जिसके कारण काफी परेशानी आती है. पिछले कई महीनों से वह नौकरी की तलाश कर रही हैं. इसके अलावा अपने परिवार के साथ बगल में किराए के मकान में रह रही तमन्ना ने ईटीवी भारत को बताया कि पिछले कई महीनों से मकान का किराया नहीं दिया है, क्योंकि पहले से ही कई समस्याएं थीं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान थोड़ा-बहुत काम भी बंद हो गया. उन्होंने बताया कि यहां पर उनके भाई-बहन न तो स्कूल जा पाते हैं और न ही उन्हें या उनके किसी परिवार के अन्य सदस्य को नौकरी मिलती है. अफगानी मूल की तमन्ना ने कहा कि तालिबानी खुद को सच्चा और सबसे बड़ा मुसलमान बताते हैं, जबकि एक सच्चा मुसलमान और खुदा की इबादत करने वाला इंसान कभी भी किसी दूसरे बंदे की जान नहीं ले सकता. बच्चों को मौत के घाट की नहीं उतारता. हमारे धर्म में नहीं है कि महिलाओं के साथ अत्याचार किया जाए. मुस्लिम धर्म में महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का दर्जा दिया गया है. लेकिन तालिबान जिस खुदा का नाम लेकर लोगों पर जुल्म करता है वह सरासर गलत है बेबुनियाद है.


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अफगानी मूल की 15 साल की नायाब ने बताया कि अपने देश के बारे में इस तरीके की बातें सुनकर बहुत बुरा लगता है. अफसोस की बात है कि कभी हम अपने देश वापस नहीं लौट पाएंगे. उन्होंने कहा कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया और इस बार वह दावा कर रहा है कि महिलाओं पर अत्याचार नहीं किया जाएगा. महिलाओं को पढ़ने और नौकरी करने की इजाजत दी जाएगी, लेकिन तालिबान की किसी भी बात पर देश की किसी भी महिला को बिल्कुल भरोसा नहीं है. उसका दर्दनाक और क्रूरता वाला चेहरा हर किसी ने देखा है.

यह भी पढ़ें:- तालिबान शरीयत कानून के नाम पर इस्लाम को बदनाम कर रहा : अजमेर दरगाह के प्रमुख दीवान

Last Updated : Aug 24, 2021, 6:53 PM IST
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