नई दिल्ली: मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीट दिलाने के नाम पर 20 लाख रुपये की ठगी मामले में पुलिस ने विकास उर्फ आशीष को गिरफ्तार किया है. डीसीपी राजेश देव के अनुसार बीते 30 मई को इंदर कुमार रॉय की तरफ से एक शिकायत दर्ज कराई गई थी. उन्होंने बताया कि वह एक सरकारी स्कूल में साइंस के टीचर हैं. उनके बेटे शिवम रॉय ने 2019-20 में नीट की परीक्षा दी थी. कम अंक होने के चलते उसका दाखिला नहीं हो सका.
दिसंबर 2020 में आशीष जायसवाल, रोहन सिंह और रोहित के वह संपर्क में आये जिन्होंने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में शिवम के एडमिशन का झांसा दिया. इस सीट के लिए उनसे 20 लाख रुपये की डोनेशन मांगी गई. मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के लैंडलाइन नंबर से उन्हें फोन किया गया ताकि उन्हें विश्वास हो सके. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की मेल आईडी से उन्हें मेल आया. उनके झांसे में आकर उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक में आशीष जायसवाल को 20 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए. यह रकम लेने के बाद उन्होंने अपना मोबाइल बंद कर दिया और भूमिगत हो गए.
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इस मामले में एफआईआर करने के बाद छानबीन शुरू की गई. पुलिस को पता चला कि मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के लैंडलाइन नंबर से फोन स्पूफिंग के जरिए किया गया था. फर्जी तरीके से ईमेल आईडी भी जेनरेट की गई थी. टेक्निकल सर्विलांस की मदद से पुलिस को विकास पारस उर्फ आशीष जायसवाल का ठिकाना पता चला. इसकी मदद से पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के दौरान विकास ने पुलिस को बताया कि वह कानपुर का रहने वाला है. उसने फर्जी दस्तावेज एवं फर्जी आधार कार्ड पर यह बैंक खाता खोला था. आशीष जायसवाल नाम से उसने 2020 में बंधन बैंक का एक खाता युवक से खरीदा था.
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उसने आशीष जायसवाल से साइन किया हुआ चेक, पैन कार्ड, आधार कार्ड और एटीएम कार्ड ले लिया था. उसने आशीष जायसवाल के आधार कार्ड पर अपनी फोटो चिपका ली. इस आधार से उसने आईसीआईसीआई बैंक में आशीष जायसवाल के नाम पर खाता खोला था. वह अपने साथी फारूकी के साथ पीड़ित से मिला था. उन्होंने खुद को रोहन सिंह और रोहित बताया था. उनका एक अन्य साथी लव गुप्ता फर्जी कॉल और मेल करता था. विकास पारस उर्फ आशीष कानपुर का रहने वाला है. उसने उत्तराखंड विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स में पीएचडी कर रखी है. उसके पिता कानपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में सरकारी कर्मचारी थे. 2020 में उसके पिता की कैंसर से मौत हो गई थी. 2019 में एमबीबीएस में उसने फर्जी दाखिले का यह धंधा शुरू किया था.