नई दिल्ली: इन दिनों भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी शिक्षा के मुद्दे को लेकर आमने सामने हैं और दोनों ही पार्टियां एक दूसरे के गढ़ में जाकर वहां की स्कूल की खस्ताहाल को दिखाकर दोनों एक दूसरे की सरकार को नीचा दिखाने का काम कर रही है. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के सांसद दिल्ली के विभिन्न सरकारी स्कूलों में घूम-घूम कर कमियां ढूंढ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात पहुंच कर वहां के शिक्षा मंत्री के गृह नगर भावनगर में स्कूलों की दुर्दशा को दिखाने का काम कर रहे हैं.
मनीष सिसोदिया गुजरात से दिल्ली लौट आए हैं और यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गुजरात के स्कूलों की दुर्दशा के बारे में सबको बता रहे हैं. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि गुजरात के शिक्षामंत्री के गृहनगर भावनगर में सरकारी स्कूलों का हाल खस्ताहाल है.
किसी भी स्कूल में बुनियादी सुविधाएं नहीं
सिसोदिया ने बताया कि स्कूलों की ये हालत है, जैसे किसी कबाड़ख़ाने के दरवाजे खोल कर बच्चों को वहां पढ़ने के लिए बैठा दिया हो. गुजरात के स्कूलों की दीवारें मकड़ी के जालों से अटी पड़ी हैं. चारों तरफ गंदगी है, पीने का पानी नहीं है, शौचालय नहीं है, बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं. सिसोदिया ने बताया कि उनके गुजरात में स्कूल विजिट करने के बाद से गुजरात के अलग-अलग हिस्से से लोग खस्ताहाल पड़े सरकारी स्कूलों की फोटो भेज रहे हैं और बता रहे हैं कि गुजरात के बाकी सरकारी स्कूल भी खस्ताहाल हैं, जहां पढ़ाई और इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है.
दिल्ली के सरकारी स्कूलों को देखने का सिसोदिया ने गुजरात के सीएम व शिक्षा मंत्री को दिया निमंत्रण
सिसोदिया ने बताया कि उन्होंने चिट्ठी लिखकर गुजरात के मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री को दिल्ली आकर यहां के सरकारी स्कूलों को देखने के लिए आमंत्रित किया है, ताकि वो आकर देख सकें और सीख सकें कि पिछले सात सालों में दिल्ली सरकार ने देश में एक भी ऐसा स्कूल नहीं छोड़ा है. जहां गंदगी हो या बेसिक सुविधाएं मौजूद न हों. सिसोदिया ने नसीहत देते हुए कहा कि अगर भाजपा को गुजरात के सरकारी स्कूलों को ठीक करने की रूचि नहीं है तो गुजरात के लोग भी मन बना चुके हैं और उनके पास आम आदमी पार्टी के रूप में एक ऐसी सरकार चुनने का विकल्प है जो पांच साल में पूरे गुजरात के सरकारी स्कूलों को बदल देगी.