नई दिल्ली: डीडीए द्वारा बनाए गए ईडब्ल्यूएस और एलआईजी फ्लैटों की बिक्री ना होने को देखते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बिक्री मापदंडों में संशोधन किये थे. इसके तहत नरेला क्षेत्र में परिवहन सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को विकसित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने के बाद 15 दिनों के भीतर 1281 फ्लैट के लिए 1940 आवेदन आए हैं. बता दें कि नरेला में एलआईजी और ईडब्ल्यूएस फ्लैटों की बिक्री के लिए 5 सितंबर को ही डीडीए ने पहले आओ पहले पाओ के आधार पर विज्ञापन जारी किया था.
3 अगस्त को दिल्ली विकास प्राधिकरण की बैठक की अध्यक्षता कर रहे उपराज्यपाल ने 3 लाख से कम की वार्षिक व्यक्तिगत आय की बाध्यता को संशोधित कर 10 लाख रुपए वार्षिक व्यक्तिगत आय कर दिया था. इसके बाद कई और आवेदक एलआईजी और ईडब्ल्यूएस श्रेणियों में ऐसे घरों के लिए पात्र पाए गए. इसके अलावा, कनेक्टिविटी की कमी, स्वास्थ्य सुविधाओं की अनुपस्थिति और सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी फ्लैट के लिए आवेदन में बड़ी बाधा साबित हो रही थीं.
इसके बाद, एलजी के हस्तक्षेप और संबंधित विभागों और अधिकारियों को निर्देश दिए जाने के बाद डीटीसी ने रूट नं. 120सी और 120ई नरेला पॉकेट-जी और नरेला सेक्टर-ए1 से केंद्रीय सचिवालय तक शहर के प्रमुख इलाकों से होते हुए नरेला में विभिन्न सेक्टरों में 11 पुलिस थानों के निर्माण के लिए दिल्ली पुलिस को जमीन आवंटित की गई.
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वहीं पुलिस चौकी स्थापित करने के लिए दिल्ली पुलिस को नरेला के सेक्टर-जी7/जी8 में एक रेडी टू पजेशन फ्लैट भी आवंटित किया गया है. इसी तरह, एमसीडी द्वारा औषधालयों की स्थापना के लिए फ्लैट भी आवंटित किए गए हैं और इसके लिए सर्वेक्षण पहले ही किए जा चुके हैं. नरेला में डीडीए फ्लैटों की बिक्री को बढ़ावा देने के अलावा, इस अभ्यास से उत्तर-पश्चिम दिल्ली के वांछित विकास को भी शुरू करने की उम्मीद है.
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