नई दिल्ली: साल 2023 में दुनिया की अर्थव्यवस्था को मंदी का सामना करना पड़ सकता है.World Bank ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सभी बड़ी और दिग्गज अर्थव्यवस्था मसलन अमेरिका, यूरोप और चीन के विकास दर में गिरावट के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था मौजूदा वर्ष में मंदी के करीब रहेगी. विश्व बैंक ने अपने सलाना रिपोर्ट में कहा कि उसने 2023 के लिए ग्लोबल ग्रोथ रेट को घटाकर 1.7 फीसदी कर दिया है, जो पहले 3 फीसदी हुआ करता था. Global Economic Crisis . Global growth rate for 2023. World Bank.
भारत की ग्रोथ रेट 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान
अगर World Bank की ये भविष्यवाणी सच साबित हुई, तो तीन दशक में ये तीसरा मौका होगा, जब आर्थिक विकास सबसे कमजोर रहेगा. इससे पहले 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट (Global Economic Crisis) गहराया था. फिर 2020 में कोरोना महामारी के चलते Global Growth Rate में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका इस वर्ष मंदी से बच सकता है लेकिन इसके बाद भी अमेरिका की ग्रोथ रेट केवल 0.5 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं बात करें भारत की ग्रोथ रेट की तो भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.6 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ने की संभावना है.
प्रति व्यक्ति आय वृद्धि औसतन 2.8% का अनुमान
अगले दो वर्षों में उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में प्रति व्यक्ति आय वृद्धि औसतन 2.8% होने का अनुमान लगाया गया है. उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि 2022 में 2.5% से 2023 में 0.5% तक धीमी होने का अनुमान है. पिछले दो दशकों में, इस पैमाने की मंदी ने वैश्विक मंदी का पूर्वाभास दिया है. World Bank Report में कहा गया कि कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका में सप्लाई चेन में रुकावट पैदा हो सकती है. चीन की कमजोर अर्थव्यवस्था का यूरोप को खामियाजा उठाना पड़ सकता है. 2024 के अंत तक, उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में जीडीपी का स्तर महामारी से पहले अनुमानित स्तरों से लगभग 6% कम होगा.
वैश्विक अर्थव्यवस्था के मंदी का अनुमान
World Bank ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका और यूरोप में बढ़ती ब्याज दरों के चलते गरीब देशों से निवेश को आकर्षित करेगा, जिससे इन देशों में निवेश का संकट पैदा हो सकता है. विश्व बैंक ने कहा, 'कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए कोई भी नया प्रतिकूल घटनाक्रम...वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल सकता है. इनमें अपेक्षा से अधिक मुद्रास्फीति (Inflation), कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए ब्याज दरों में अचानक वृद्धि, या महामारी का फिर से उभरना शामिल है.' इस बीच, यूरो क्षेत्र के फ्लैटलाइन होने की उम्मीद है, क्योंकि यह रूस के आक्रमण से संबंधित गंभीर ऊर्जा आपूर्ति व्यवधानों और मूल्य वृद्धि से जूझ रहा है.
IMF ने कही थी विकास दर में गिरावट की बात
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी 2023-24 में भारत के आर्थिक विकास दर 6.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया है, जो 2022-23 में 6.8 फीसदी रहने की उम्मीद है. IMF ने कहा है कि कच्चे तेल के दामों में उछाल, कमजोर बाहरी मांग और सख्त मॉनिटरी पॉलिसी के चलते आर्थिक विकास दर में गिरावट आ सकती है. IMF ने कहा है कि अगले दो वर्षों में भारत में महंगाई में कमी आ सकती है. हालांकि, उसने ये चेतावनी भी दी है कि कोरोना वायरस के खतरनाक वेरिएंट से ट्रेड और आर्थिक विकास पर असर पड़ सकता है. आईएमएफ के मुताबिक, यूक्रेन में युद्ध और रूस पर लगाये गए प्रतिबंधों के चलते इंडिया पर कई प्रकार से प्रभाव डाल रहा है. जिसमें कमोडिटी के दामों में बढ़ोतरी, कमजोर बाहरी मांग और भरोसे में कमी शामिल है.