नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी. यह आम चुनाव 2024 के लिए वोट ऑन अकाउंट या अंतरिम बजट होगा. अंतरिम बजट में चुनावी साल में देश के खर्चे चलाने के लिए सरकार के पास कितना पैसा है और उसका कैसे यूज किया जाएगा, इस पर बात होती है. इसलिए इसे वोट ऑन अकाउंट बजट भी कहते है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल 2017 से पहले हर साल संसद में एक अलग रेलवे बजट पेश किया जाता था.
आखिरी रेल बजट साल 2016 में हुआ पेश
आखिरी रेल बजट 2016 में संसद में पेश किया गया था. 2017 में रेल बजट को केंद्रीय बजट में विलय कर दिया गया, जिससे 92 साल का कार्यकाल समाप्त हो गया. देश के सबसे बड़े ट्रांसपोर्टर के लिए अलग बजट की पुरानी प्रथा को साल 2017 में खत्म कर दिया गया. बता दें कि साल 2016 में नीति आयोग आयोग ने अलग रेलवे बजट की प्रथा को समाप्त करने के लिए सरकार को एक श्वेत पत्र की सिफारिश सौंपी थी.
यह सिफारिश तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु को सौंपी गई थी, जिन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली को रेल बजट को केंद्रीय बजट में विलय करने के लिए लिखा था. सुरेश प्रभु ने कहा था कि यह विलय भारतीय रेलवे के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था के दीर्घकालिक हित में है. इसके अलावा, यह एक कोलोनियल प्रथा थी जिसे समाप्त करने की आवश्यकता थी. साल 2017 में, तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहला संयुक्त केंद्रीय बजट पेश किया था और तब से इस प्रथा का पालन किया जा रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 65 वर्षों में, जो भी रेलवे बजट आया वह एक राजनीतिक उपकरण था, जिसके आधार पर चुनाव लड़े गए और वादे किए गए.