नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार हर साल एक नई ऊचांई को छू रही है. इस साल अब तक लगभग 15.69 मिलियन निवेशकों को जोड़ा है. इसमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश 2.31 मिलियन निवेशक जुड़े है. बता दें कि उत्तर प्रदेश ने महाराष्ट्र को पीछे छोड़ते हुए लिस्ट में सबसे आगे अपनी जगह बना ली है. हालांकि, महाराष्ट्र ने 14.9 मिलियन के साथ सबसे बड़ा निवेशक आधार बरकरार रखा है, जबकि उत्तर प्रदेश और गुजरात 8.9 मिलियन और 7.7 मिलियन निवेशकों के साथ दूसरे स्थान पर हैं. कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और राजस्थान प्रत्येक में लगभग 4.7 मिलियन निवेशक हैं.
क्यों बढ़ रहे निवेशक?
स्मॉलकैप और मिडकैप में बढ़ते उत्साह और कई सार्वजनिक निर्गमों ने नए निवेशकों को आकर्षित किया है. इससे 2023 में 26.85 मिलियन डीमैट खाता जोड़ने में योगदान हुआ, जो कुल मिलाकर 13.51 करोड़ हो गया है. म्युचुअल फंडों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. 2020 के बाद से एसआईपी कैपिटल दोगुने से अधिक हो गया, जो कि कोविड-19 के बाद 0.81 करोड़ से बढ़कर 2.08 करोड़ हो गया है. निवेशकों में वृद्धि, विशेष रूप से कम पहुंच वाले क्षेत्रों में, बढ़ती जागरूकता, निवेश में डिजिटल सहजता और जोखिम उठाने की क्षमता में वृद्धि को श्रेय दिया जाता है.
भारतीय बाजार ने छोड़ा कई देशों को पीछे
भारतीय बाजार, अमेरिका और जापान जैसे वैश्विक दिग्गजों के बराबर पहचान हासिल कर रहा है. 1.3 अरब से अधिक लोगों और बढ़ते मध्यम वर्ग के साथ, भारत विस्तार का लक्ष्य रखने वाली कंपनियों के लिए एक आकर्षक बाजार दे रहा है. एक चैनल को दिए गए इंटरव्यू में एनएसई के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक आशीष चौहान ने कहा कि भारतीय बाजार अमेरिका, चीन, जापान और हांगकांग को पीछे छोड़ते हुए लगभग 4.2 ट्रिलियन डॉलर के बाजार पूंजीकरण के साथ विश्व स्तर पर पांचवां सबसे बड़ा बाजार है.
उन्होंने एक दिलचस्प बदलाव की भी बात की क्योंकि उत्तर प्रदेश निवेशकों की संख्या के मामले में गुजरात से आगे निकल गया है. आशीष चौहान ने पाया कि यूपी के निवेशकों की जनसांख्यिकी शेयर बाजारों में औसत भारतीय अनुपात के अनुरूप है, जो बाजार की बदलती गतिशीलता का संकेत देता है.