नई दिल्ली : अमेरिका में बैंक डूबने से शुरू हुई बैंकिंग संकट धीरे-धीरे यूरोप को भी अपनी चपेट में लेने लगी है. अमेरिका में सबसे पहले सिलिकॉन वैली बैंक डूबा. फिर इसके कुछ ही दिनों बाद सिग्नेचर बैंक के डूबने की भी खबर आई. बैंकिंग संकट की आहट यूरोप तक पहुंची, जहां स्विट्जरलैंड का 16वां सबसे बड़ा बैंक क्रेडिट स्विस बैंक भी डूब गया. इस कारण निवेशकों में बैंक निवेश को लेकर असंतोष व्याप्त हो गया. परिणामत: जर्मनी के Deutsche Bank के शेयर एक दिन में सबसे अधिक 8 फीसदी तक गिरे. निवेशकों का भरोसा कायम रखने के लिए USB ने क्रेडिट स्विस बैंक का मर्जर कर लिया.
इस मर्जर के बाद Credit Suisse Bank को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है. USB द्वारा बैंक को टेकओवर करने के बाद कम से कम 36,000 कर्मचारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. जो कुल वर्कफोर्स का करीब 20- 30 फीसदी है. बता दें, इससे पहले दोनों बैंकों के मर्जर के बाद से ही एक्सपर्ट बड़े पैमाने पर छंटनी के कयास लगा रहे थे.
स्विट्जरलैंड में 11,000 कर्मचारियों पर असर पड़ेगा
वहीं, ब्लूमबर्ग में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार यूबीएस और क्रेडिट स्विस बैंक दोनों मिलकर स्विट्जरलैंड में कुल 1.25 लाख लोगों को रोजगार देते हैं. जो देश में कुल रोजगार का 30 फीसदी का हिस्सा निर्वाहन करता है, लेकिन इस छंटनी से सिर्फ स्विट्जरलैंड में 11,000 कर्मचारियों पर असर पड़ेगा. गौरतलब है कि यूबीएस ने Credit Suisse Bank के विलय से पहले ही 9,000 कर्मचारियों को नौकरी से बाहर निकाला था.
भारत पर क्या होगा असर
ब्लूमबर्ग रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि क्रेडिट सुइस बैंक का भारत के कुल 6 शहरों मुबंई, हैदराबाद, पुणे, गुरुग्राम, कोलकाता और बेंगलुरु में ऑफिस है. जिसमें कुल 15,000 कर्मचारी काम करते हैं. इसमें से 5,000 से 7,000 लोग डायरेक्ट ऑपरेशन के काम को देखते हैं. बाकी कर्मचारी ग्लोबल आईटी ऑपरेशन के काम को देखते हैं. इस तरह इस छंटनी से भारतीय कर्मचारी बड़े पैमाने पर प्रभावित होंगे. हालांकि कितने कर्मचारियों की छंटनी होगी, यह अभी साफ नहीं है. लेकिन छंटनी से भारत के कर्मचारियों पर असर निश्चित तौर पर पड़ेगा.
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