नई दिल्ली : भारत सहित वैश्विक स्तर पर टॉप सीईओ को 2022 में वास्तविक रूप से 9 फीसदी वेतन वृद्धि मिली, जबकि दुनिया भर में कर्मचारियों के वेतन में इसी अवधि के दौरान 3 प्रतिशत की कटौती हुई. सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. भारत में शीर्ष वेतन पाने वाले लगभग 150 अधिकारियों को पिछले साल औसतन 1 मिलियन डॉलर मिले, 2021 के बाद से वास्तविक अवधि के वेतन में 2 फीसदी की वृद्धि हुई. एक कर्मचारी जितना साल भर में कमाता है, एक भारतीय एक्जीक्यूटिव चार घंटे में उससे अधिक कमा लेता है.
इन देशों के सीईओ की सैलरी बढ़ी : अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर जारी ऑक्सफैम के नए विश्लेषण से पता चलता है कि कर्मचारियों ने पिछले साल औसतन 6 दिन 'मुफ्त में' काम किया क्योंकि ये वेतन मुद्रास्फीति (Inflation) से चला गया. जबकि भारत, ब्रिटेन, अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में शीर्ष अधिकारियों के लिए वास्तविक वेतन में 9 फीसदी (मुद्रास्फीति के लिए समायोजित नहीं होने पर 16 फीसदी) की वृद्धि हुई.
लिंग आधारित भेदभाव आज भी बरकरार : 50 देशों में एक अरब श्रमिकों के 2022 में 685 डॉलर की औसत वेतन कटौती हुई, वास्तविक मजदूरी में 746 अरब डॉलर का सामूहिक नुकसान हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाएं और लड़कियां हर महीने कम से कम 380 अरब घंटे अनपेड केयर वर्क में लगा रही हैं. निष्कर्षों से पता चलता है कि महिला श्रमिकों को अक्सर कम भुगतान वाले घंटों में काम करना पड़ता है या उनके अवैतनिक देखभाल कार्यभार के कारण कार्यबल को पूरी तरह से छोड़ देना पड़ता है. उन्हें पुरुषों के समान मूल्य के काम के लिए लिंग आधारित भेदभाव, उत्पीड़न और कम वेतन का भी सामना करना पड़ता है.
अमीरी- गरीबी की बढ़ रही खाई : ऑक्सफैम इंटरनेशनल के अंतरिम कार्यकारी निदेशक अमिताभ बेहर ने कहा, जबकि कॉरपोरेट मालिक हमें बता रहे हैं कि हमें वेतन कम रखने की जरूरत है, वे खुद को और अपने शेयरधारकों को बड़े पैमाने पर भुगतान कर रहे हैं. अधिकांश लोग कम पैसे के लिए अधिक समय तक काम कर रहे हैं और जीवन यापन की लागत को बनाए नहीं रख सकते. सबसे अमीर और बाकी लोगों के बीच की खाई दिन-ब-दिन बढ़ रही है.
अवैतनिक छुट्टियों में वृद्धि : बेहर ने कहा कि श्रमिकों में एकमात्र वृद्धि अवैतनिक छुट्टियों में देखी गई है. जिसमें महिलाएं जिम्मेदारी उठा रही हैं. यह अविश्वसनीय रूप से कठिन और मूल्यवान काम घर और समुदाय में मुफ्त में किया जाता है. शेयरधारक लाभांश ने इस बीच 2022 में 1.56 ट्रिलियन डॉलर का रिकॉर्ड बनाया, जो 2021 की तुलना में 10 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि है. बेहर ने आगे कहा कि हर बार संकट आने पर मजदूरों को बलि का बकरा बनाया जाता है. उदारवादी मुनाफाखोरी करने वालों की जगह महंगाई को जिम्मेदार ठहरा देते हैं.
(आईएएनएस)