नई दिल्ली : चालू खरीफ सत्र (ग्रीष्मकालीन बुवाई) में 21 जुलाई तक धान की बुवाई का क्षेत्रफल तीन प्रतिशत बढ़कर 180.2 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि दलहन का रकबा 10 प्रतिशत घटकर 85.85 लाख हेक्टेयर रह गया है. कृषि मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. पिछले साल इसी अवधि में धान का रकबा 175.47 लाख हेक्टेयर और दलहन का रकबा 95.22 लाख हेक्टेयर था. धान खरीफ की मुख्य फसल है, जिसकी बुवाई आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून के साथ शुरू होती है. देश के कुल चावल उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत खरीफ सत्र से आता है.
मोटे अनाज का रकबा का बढ़ा
आंकड़ों के अनुसार, श्री अन्न या मोटे अनाज का रकबा 21 जुलाई तक बढ़कर 134.91 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल इसी अवधि में 128.75 लाख हेक्टेयर था. गैर-खाद्यान्न श्रेणी में तिलहन का रकबा बढ़कर 160.41 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 155.29 लाख हेक्टेयर था. मूंगफली का रकबा 34.56 लाख हेक्टेयर से थोड़ा बढ़कर 34.94 लाख हेक्टेयर हो गया है. वहीं, सोयाबीन का रकबा 111.31 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 114.48 लाख हेक्टेयर हो गया है.
खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा बढ़ा
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, कपास का रकबा 109.99 लाख हेक्टेयर से मामूली गिरावट के साथ 109.69 लाख हेक्टेयर रह गया. गन्ने का रकबा 53.34 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 56 लाख हेक्टेयर रहा. सभी प्रमुख खरीफ फसलों का कुल रकबा शुक्रवार (21 जुलाई) तक बढ़कर 733.42 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 724.99 लाख हेक्टेयर था.
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दक्षिण-पश्चिम मानसून ने भारत में केरल के तट पर आठ जून को दस्तक दी थी, जबकि इसकी सामान्य तारीख एक जून है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने पहले कहा था कि अल नीनो की स्थिति बनने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है.
(भाषा)